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This Article is From Sep 05, 2022

क्या झुक जाएंगे देवघर के DM बीजेपी के सांसदों के सामने?

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    सितंबर 06, 2022 00:15 am IST
    • Published On सितंबर 05, 2022 23:20 pm IST
    • Last Updated On सितंबर 06, 2022 00:15 am IST

सोशल मीडिया पर IAS की परीक्षा में पास करने वाले नायकों की तरह पूजे जाते हैं. इनके बहुत सारे वीडियो आपको मिल जाएंगे. उन वीडियो में सरकारी कार से उतरने का सीन ज़रूर होता है. कलक्टर साहब कार से उतरे हैं और सलामी दी जा रही है. उनकी सफलता में सत्ता की चमक शामिल होती है और सत्ता के जितने प्रतीक हैं, उन्हीं के सहारे किसी के IAS होने का सामाजिक जश्न मनाया जाता है. लेकिन जब एक IAS अफसर के खिलाफ अपना काम करने पर राजद्रोह का मामला दर्ज होता है, FIR होती है तब IAS बिरादरी की इतनी फौज के बीच से चूं की आवाज़ नहीं आती है. ऐसा लगता है कि इनकी नौकरी में सब है मगर सत्ता का स नहीं है लेकिन जब सफल होते हैं सत्ता का स ही इनकी पहचान का प्रतीक बनता है. लेकिन जब एक IAS अफसर ग़लत के खिलाफ बोल देता है तब सारे IAS चुप्पी साध लेते हैं. क्यों नहीं साथ आते? क्या अपना कर्तव्य निभाने पर किसी अफसर के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज हो सकता है? क्या सांसद निशिकांत दुबे ने सही तथ्यों के आधार पर झारखंड के देवघर के ज़िलाधिकारी  और IAS अफसर मंजूनाथ भजंत्री के खिलाफ FIR की है? जिसमें देशद्रोह की भी धारा लगाई गई है.

हम इन वीडियो को महिमामंडन के लिए नहीं दिखा रहे, न हीं, इसके ज़रिए अधिकारी के कार्यों पर मुहर लगा रहे हैं. ये सभी पुराने वीडियो हैं जिनमें देवघर के ज़िलाधिकारी मंजूनाथ भजंत्री  जनता के बीच कार्य करते हुए देखे जा सकते हैं. ज़िला मुख्यालय में आने-जाने वाले आम आदमी ही बेहतर बता सकता है. अच्छे या बुरे ज़िलाधिकारी को आम लोगों के बीच जाना ही होता है तो यह वीडियो केवल परिचय के लिए है कि देवघर के ज़िलाधिकारी मंजूनाथ भजंत्री जनता के बीच काम करते हुए देखे जा सकते हैं. मंजूनाथ भजंती IIT बांबे के छात्र रहे हैं. 2011 में IAS बने हैं.बीजेपी के सांसद निशिकांत दुबे की शिकायत पर दिल्ली पुलिस ने देवघर के डीसी मंजूनाथ भजंत्री और झारखंड पुलिस के खिलाफ FIR की गई है. इनके खिलाफ दिल्ली में एक ज़ीरो FIR हुई है जिसमें सेडिशन यानी देशद्रोह की धारा का भी शामिल है. देवघर पुलिस ने उनके 2 बेटों को कथित रुप से गाली दी और उपायुक्त के कहने पर जान से मारने की धमकी दी. मंजूनाथ भजंत्री दो साल तक ज़िलाधिकारी रह चुके हैं, लेकिन दिसंबर 2021 में  चुनाव आयोग के आदेश के बाद पद से हटा दिया गया. फिर से तैनाती हुई और पिछले छह महीने से इस पद पर हैं. 

आरोप है कि बीजेपी के दो सांसद निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी ने कथित रुप से देवघर एयरपोर्ट के एयर ट्रैफिक कंट्रोलर पर दबाव बनाया कि रात के वक्त चार्टेड प्लेन टेक ऑफ करने की अनुमति दी जाए और प्लेन ने टेक आफ भी किया. इस मामले में देवघर एयरपोर्ट पर तैनात डीएसपी सुमन अमन ने 9 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की है. कराई गई है.जिसमें सांसद निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी के अलावा बीजेपी नेता कपिल मिश्रा, निशिकांत दुबे के दो बेटे भी शामिल हैं. दूसरों की निजी सुरक्षा और जीवन को खतरे में डालने की डालने के मामले की धारा 336,आपराधिक रुप से किसी क्षेत्र में प्रवेश करने पर लगने वाली धारा 447 शामिल है. एक सितंबर को कुंडा पुलिस थाने में यह FIR दर्ज हुई है. 

सवाल है कि क्या भाजपा के दो सांसदों ने ATC में अनधिकृत प्रवेश किया था, यह वो जगह है जहां से हवाई जहाज़ के उड़ान को संचालित और नियंत्रित किया जाता है. घटना 31 अगस्त की बताई जाती है. FIR के मुताबिक गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे और उनके दोनों बेटे, और सांसद मनोज तिवारी ATC में ज़बरन घुस गए और कर्मचारियों पर दबाव बनाया कि उनके चार्टेड प्लेन को उडऩे की इजाज़त दी जाए. जबकि देवघर में रात के वक्त उड़ान भरने या विमान के उतरने की सुविधा नहीं है. DSP अमन सुमन ने अपनी शिकायत में लिखा है कि जब वे ATC में पहुंचे तो वहां एयरपोर्ट के निदेशक संदीप ढींगरा और चार्टड प्लेन के पायलट पहले से मौजूद थे. कुछ देर बाद सांसद और उनके दोनों बेटे भी आ गए. दबाव डाल कर रात के वक्त उड़ान भरने की मंज़ूरी ली और उड़ गए. DSP ने CCTV का हवाला दिया कि 31 अगस्त को मुकेश पाठक, देवता पांडे और पिंटू तिवारी भी ATC में घुस गए. 

दुमका की अंकिता को शाहरुख ने जला दिया था, जिसके कारण उनकी मौत हो गई थी. शाहरुख गिरफ्तार है. सांसद अंकिता के परिवार को सहायता राशि देने जा रहे थे. यहां यह अलग विषय हो सकता है कि 28 लाख का चेक देने के लिए चार्टड प्लेन के किराये पर कितना खर्च हुआ होगा? सांसद को प्लेन के टिकट का पैसा तो मिलता है, पूरा प्लेन किराए पर लेने के लिए सरकार पैसे नहीं देती है. इसलिए जानना ज़रूरी है कि चार्टड प्लेन क्या बीजेपी के फंड से भाड़े पर लिया गया या सांसद ने अपने पैसे से भाड़े पर लिया

मेक माई ट्रिप की वेबसाइट से हमने जानने का प्रयास किया कि दिल्ली से देवघर चार्टड प्लेन का कितना किराया हो सकता है? इस पर देवघर का तो नहीं मिला लेकिन रांची का मिला. उससे एक अंदाज़ा मिल सकता है कि दिल्ली से देवघर तक चार्टड प्लेन का कितना किराया हो सकता है. इस वेबसाइट पर दिल्ली से रांची के लिए 6 सीटों वाले चार्टड प्लेन का किराया कम से कम करीब 9 लाख है और अच्छे विमान के साथ किराया बढ़ता जाता है. दिल्ली से देवघर का किराया अगर दस लाख मान लिया जाए तो दोनों तरफ से कम के कम 20 लाख रुपया तो होता ही है. वैसे ठीक-ठीक कितना किराया लगा है, इसके बारे में सांसद निशिकांत दुबे को बताना चाहिए.

सांसद निशिकांत दुबे ने 28 लाख रुपये का चेक दिया और इसके लिए चार्टड प्लेन पर 20 लाख रुपये खर्च किए.अगर सांसद नियमित विमान से जाते तो अंकिता के परिवार को 28 लाख के अलावा 50 लाख रुपये की मदद दे सकते थे. ज़्यादा मदद हो जाती है. इसे लेकर शनिवार के दिन देवघर के डीसी मंजूनाथ भजंत्री और सांसद निशिकांत दुबे के बीच ट्विटर पर बहस हो गई. मंजूनाथ भजंत्री ने अपने ट्विट में लिखाकि 

माननीय सांसद महोदय रात में उतरने का मामला कोर्ट में है, उस पर तो टिप्पणी नहीं करुंगा लेकिन जब रात में उतरने और उड़ने की सुविधा ही नहीं है, हाल ही में कई विमानें रद्द हुई हैं तब आपका चार्टेड प्लेन 6 बजकर 17 मिनट पर कैसे उड़ा जबकि सूर्यास्त का समय 6 बजकर 3 मिनट था?

माननीय सांसद महोदय किसने ATC के कमरे में जाने की इजाज़त आपको दी ? किसने आपके दोनों बच्चों को ATC के कमरे में जाने की इजाज़त दी? किसने आपके समर्थकों को ATC की इमारत में प्रवेश करने की अनुमति दी?

देवघर के ज़िलाधिकारी  ने सांसद निशिकांत दुबे के ट्विट का जवाब देना शुरू कर दिया. सांसद ने भी ट्विट करना शुरू कर दिया. उन्होंने ज़िलाधिकारी  को हवाई अड्डे से संबंधित नियमो को पढ़ने की सलाह दे दी. लिखा कि एक IAS अफसर के रुप में देश आपसे ज्यादा उम्मीद रखता है. अब यह मामला जांच के दायरे में है तो आगे तभी कमेंट करें जब नियमों को पढ़ लें. 
सांसद की भाषा उग्र होने लगी. सांसद अपने ट्विट में लिखते हैं कि क्या आपको पता है कि एयरपोर्ट पर ATC टावर की सुरक्षा अब DGCA और BCAS करता है, अब इसकी सुरक्षा संबंधित एयरपोर्ट के ज़िला ज़िलाधिकारी करते हैं? ऐसे ही जानकारी के लिए पूछ लिया, इसकी शिक्षा मुजे कुछ बुझे, कुछ जले, कुछ टिमटिमा रहे, कुछ बिलबिला रहे बुद्धिजीवियों व पत्रकारों से मिलीं. 

निशिकांत दुबे ने दिल्ली में दर्ज FIR की कापी भी ट्विट कर दिया और लिखा कि उनके 18-19 साल के बच्चों के खिलाफ साज़िश रची गई है, वैसे कलूषित मानसिकता के देवघर ज़िला उपायुक्त के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने केस किया है. 

मैंने एयरपोर्ट अथारिटी से ज़रूरी इजाज़त ले ली थी. मैं एयरपोर्ट सलाहकार समिति का चेयरमैन हूं. मैं जांच कर सकता हूं. रात में उड़ने के मामले को लेकर हाई कोर्ट में केस चल रहा है. आपने अदालत की अवमानना की है. 

सांसद एक ज़िलाधिकारी को ट्विट में कलुषित मानसिकता से ग्रसित लिख रहे थे. हसेड़ी लिख रहे थे.हसेड़ी का क्या मतलब है, क्या किसी और शब्द के बदले इसका इस्तमाल किया गया है ताकि बात वही समझ आए जो सांसद कहना चाहते हैं, क्या यह कोई अपशब्द है? क्या निशिकांत दुबे देवघर एयरपोर्ट सलाहकार समिति के अध्यक्ष हैं? इस समिति की सूचना ज़िलाधिकारी को क्यों नहीं है? क्यों मंजूनाथ भजंत्री ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है, आखिर निशिकांत दुबे इस बारे में किसी आधिकारित पत्र ट्विट कर ही सकते थे जब उन्होंने FIR की कापी ट्विट की है तब. दूसरे भाजपा सांसद मनोज तिवारी नागरिक विमानन की संसदीय समिति के सदस्य हैं. क्या किसी सलाहकार समिति के अध्यक्ष और ससंदीय समिति के सदस्य को बिना इजाज़त ATC में जाने की अनुमति है?ज़ाहिर हैं जांच से ही इसकी बात सामने आएगी. निशिकांत दुबे ने FIR में लिखा है कि वे शाम 5:15 बजे एयरपोर्ट पहुंच गए थे और 5 बजकर 25 मिनट पर विमान में बैठ चुके थे. झारखंड हाईकोर्ट में रात में विमान उड़ने के मसले को लेकर सुनवाई चल रही है,

इस सिलसिले में एयरपोर्ट डायरेक्टर से मैंने जानकारी लेने के लिए उनके कार्यालय में जाने का निर्णय उनसे बात कर लिया, चूंकि समय कम था इसलिए नंगे पांव ही जल्दबाज़ी में जाने का फैसला लिया. जाने के क्रम में झारखंड पुलिस के अधिकारी और कर्मचारियों ने मुझे जाने से रोका और मेरे दोनों पुत्र जो मेरा चप्पल लेकर आ रहे थे, उनके साथ गाली गलौच किया. मुझे जान से मारने की धमकी दी. मेरे कार्य में बाधा पहुंचाने का काम उन्होंने देवघर के ज़िला उपायुक्त मंजूनाथ के कहने पर किया. इसका खुलासा दूसरे दिन हुआ जब वो बिना इजाज़त के देवघर के एयरपोर्ट के सुरक्षा क्षेत्र में DRDO के रेस्ट्रिक्टेड क्षेत्र में गए, जहां जाने की अनुमति कवल प्रधानमंत्री कार्यालय देता है, वहां एयरपोर्ट डाइरेक्टर ने उनको समझाने का प्रयास किया,जहां पर उन्होंने रसूख का धौंस दिखाया.  

अब यह जांच का विषय है लेकिन इसे पढ़ कर कई बातों पर संदेह होता है. आम तौर पर हवाई अड्डे पर सुरक्षा कर्मी रोकते ही हैं. देवघर एयरपोर्ट की सुरक्षा झारखंड पुलिस करती है. पिता जब नंगे पांव चले गए तो क्या उनके बेटे भी चप्पल लेकर पिता के पीछे आ सकते हैं, एक जोड़ी चप्पल उठाने के लिए दोनों बेटे को पीछे-पीछे क्यों जाना पड़ा? निशिकांत दुबे ने अपनी  FIR में समर्थकों के ATC बिल्डिंग में घुस आने की बात का ज़िक्र नहीं किया है न जवाब दिया है कि ये झूठे आरोप हैं. जांच का विषय है लेकिन क्या गाली गलौज करने और सांसद को जान से मारने की बात अतिरेक नहीं लगती है?  कोई भी सुरक्षाकर्मी इतना जोखिम तो नहीं लेगा कि सांसद को जान से मारने की धमकी दे दे, यह तो विशेषाधिकार का मामला बन जाता है, इससे उसकी नौकरी खतरे में पड़ सकती है. अगर धमकी दी तब वहीं पर FIR क्यों नहीं दर्ज कराई गई? ये तो एयरपोर्ट आथारिटी का भी काम था कि उनके परिसर में सांसद को जान से मारने की धमकी दी गई है, क्यों नहीं कोई कदम उठाया गया? क्या निशिकांत ने एयरपोर्ट के डायरेक्टर को कोई लिखित शिकायत दी है, किसी का नाम दिया है?

यह तस्वीरें निशिकांत दुबे की हैं, अलग अलग समय की हैं, लेकिन यहां हम इनका इस्तेमाल FIR और अपने सवालों को आगे बढ़ाने के लिए कर रहे हैं.FIR में निशिकांत दुबे 1 सितंबर यानी दूसरे दिन के एक प्रसंग का ज़िक्र करते हैं जब वे वहां नहीं थे. FIR में लिखा है कि जब ज़िलाधिकारी ने एयरपोर्ट निदेशक संदीप ढींगरा को धौंस दिखाई. धौंस दिखाना क्या होता है? किस बात पर धौंस दिखाई? अगर ऐसा था तो इस बात को लेकर FIR कराने की क्षमता निदेशक की भी है, क्या उन्होंने ऐसी कोई FIR कराई है? उनके बदले सांसद क्यों करा रहे हैं? जबकि 1 सितंबर को वे मंत्री हरदीप सिंह पुरी से मुलाकात कर रहे थे जिसकी तस्वीर उन्होंने ट्विट की थी. 31 अगस्त को ऐसा कुछ हुआ भी तब क्या एयरपोर्ट के निदेशक ने यही बात DGCA को लिखित रुप में बताई है? जहां तक हमें सूत्रों से पता चला है कि एयरपोर्ट के निदेशक संदीप ढींगरा ने कोई FIR नहीं कराई है. 31 अगस्त को ज़िलाधिकारी एयरपोर्ट पर नहीं थे, लेकिन अगले दिन यानी 1 सितंबर को गए थे. सूत्रों ने बताया कि DRDO टर्मिनल अलग है, वहां मंजूनाथ  भजंत्री ने प्रवेश नहीं किया.  वे यात्री टर्मिनल ज़रूर गए थे मगर ATC की तरफ नहीं गए.जबकि उनके पास विधिवित तरीके से लिया गया पास भी था. बेहतर है जांच जल्दी हो और पारदर्शी तरीके से हो ताकि तमाम दावों पर सही पक्ष सामने आ जाएं. 

इस घटना के मूल प्रश्नों से हटकर अंकिता पर चले जाने, या झारखंड सरकार के इशारे पर राजनीति के आरोपों से जवाब नहीं मिलता है, मूल प्रश्न है कि क्या सांसद अपने बेटों के साथ ATC कक्ष में गए? क्या वे बिना इजाज़त के गए थे ? इसका जवाब इसमें नहीं है. निशिकांत दुबे भी झारखंड की FIR पर सवाल उठाते हैं. क्या एटीसी में प्रवेश करने से पहले अनुमति ली गई थी? नंगे पांव दौड़ कर चले गए या चप्पल लेकर बेटे आने लगे, ये इस सवाल का जवाब नहीं है. सांसद को वो एप्लिकेशन फार्म दिखा देना चाहिए जो उन्होंने ATC की तरफ जाने के लिए भरे होंगे? इन नियमों में कहीं नहीं लिखा है कि आप डायरेक्टर से बात करके जा सकते हैं.हमारे सहयोगी मनीष ने निशिकांत दुबे से बात की तो उन्होंने एनडीटीवी को जवाब देने से मना किया और कहा कि ANI न्यूज़ एजेंसी पर जो उनका बयान है, वही चला लें. 

सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि वे संसदीय समिति के सदस्य हैं, नागरिक विमानन की, तो क्या इस नाते वे ATC बिना इजाज़त जा सकते हैं, क्या वे मजबूर कर सकते हैं कि सूर्यास्त के बाद विमान उड़े? और जो FIR है उसमें देशद्रोह का आरोप लगाया गया है, क्या सांसद भी अतिरिक्त लाभ नहीं उठा रहे हैं? सांसद समिति के सदस्य हैं, विमानन मंत्री नहीं हैं. क्या संसदीय समिति के पास कार्यपालिका का अधिकार होता है? 

क्या भाजपा सांसद मनोज तिवारी संसदीय समिति के काम से देवघर गए थे? क्या नागरिक विमानन विभाग की संसदीय समिति अपने सदस्यों को चार्टड प्लेन का ख़र्चा देती है? क्या चार्टड प्लेन से जाने पर भी संसदीय समिति के सदस्य होने की छूट मिल सकती है? क्या संसदीय समिति के सदस्यों के लिए एयरपोर्ट पर अलग से सुविधाएं दी जाती हैं? ये सब सवाल हैं, जिनके उत्तर आने चाहिए. 

भाजपा के दोनों सांसदों को लिखित आवेदन पत्र दिखाना चाहिए जिसमें अपने लिए और एक सांसद के दोनों बेटे के लिए ATC कक्ष में जाने की इजाज़त मांगी गई थी? अगर कोई मौखिक आदेश था तब यही बता दें कि किस नियम के तहत एयरपोर्ट के निदेश मौखिक आदेश दे सकते हैं. क्या यह भी नियम है कि उनके बेटे चप्पल या अटैची उठाकर पीछे पीछे जा सकते हैं?

एक IAS अफसर जब नियमों के तहत अपना पक्ष रख रहा है, उसे लेकर बहस हो सकती है, लेकिन क्या उसके खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज हो सकता है? जबकि सुप्रीम कोर्ट इस कानून को ही खत्म करने पर विचार कर रहा है, केंद्र सरकार ने कोर्ट से इस बारे में समय मांगा है, उम्मीद है सांसद निशिकांत दुबे की FIR में दिल्ली पुलिस ने सोच समझ कर देशद्रोह की धारा 124 ए लगाई होगी. चिन्ता की बात है कि जब यह सब ट्विटर पर हो रहा था, तब भी IAS अफसरों का अखिल भारतीय संगठन चुप हो गया. उनका ट्विटर हैंडल है, कोई नहीं बोला. ये चुप्पी परेशान करने वाली है. हमारी जानकारी में केवल एक आवाज़ आई है. 

यह ट्विट 1985 बैच के संजीव गुप्ता है जो अब रिटायर हो चुके हैं. पूर्व में गृह विभाग में सचिव रह चुके हैं. उन्होंने लिखा है कि इससे विचित्र कभी नहीं नही देखा. अपना कर्तव्य निभाने के लिए एक IAS अफसर के खिलाफ देशद्रोह की धारा लगाई गई है? नार्थ एवेन्यू के SHO ज़ीरो FIR में यह लिखने के लिए मान ही कैसे गए? जबकि शिकायत कर्ता निशिकांत दुबे भी देशद्रोह होने का एक उदाहरण नहीं लिखते हैं. सांसद सरकार नहीं होते हैं. अगले दिन मंजूनाथ भजंत्री पास लेकर एयरपोर्ट टर्मिनल गए थे. इस पास पर ATC रुम में जा सकते थे मगर नहीं गए. संजीव गुप्ता सवाल करते हैं क्या सुरक्षा की समीक्षा करने पर अफिसर को गिरफ्तार किया जाएगा? अगर उड़ने की अनुमति मिलने के बाद चार्टड प्लेन उड़ गया तो यह काम सांसद महोदयों के ATC रूम में गए बिना भी हो सकता था. 

क्या बाकी IAS अफसर इतना भी नहीं लिख सकते थे, या सब इस राय के हैं कि सही हुआ है? अगर डर के कारण नहीं बोल पा रहे हैं तो कम से इस प्रोग्राम का लिंक ही अपने ग्रुप में शेयर कर लें, कुछ समय के लिए डर नहीं लगेगा. पूर्व गृह सचिव संजीव गुप्ता ने अपने ट्विट में आई ए एस अफसरों के संगठनों की भी खिंचाई की है. इसलिए कहा कि नौकरशाही चरमरा गई है, वह गलत के खिलाफ नहीं बोल पाती है, सही है, यह भी नहीं बोल पाती है. 

यह घटना अप्रैल 2017 की है, सहारनपुर के एस एस पी के सरकारी निवास में भीड़ घुस आई, इस भीड़ का नेतृत्व उस समय के भाजपा सांसद राघव लखनपाल शर्मा कर रहे थे. घर के भीतर तोड़फोड़ भी हुई, उस समय एसएसपी घर पर नहीं थे, उनकी पत्नी थी और बच्चे थे. तब की खबर उठाकर देखिए, 400 लोगों की भीड़ एस एस पी के सरकारी निवास में घुस आने का दावा किया गया था और नेतृत्व कर रहे थे बीजेपी के तत्कालीन सांसद राघव लखनपाल शर्मा. क्या इसके लिए सांसद महोदय पास लेकर गए थे? बंगले को जो नुकसान पहुंचाया गया था वो किस इजाज़त से पहुंचाया गया और ऐसा होने पर प्रधानमंत्री ने क्या कार्रवाई की? तब लव कुमार ने कहा था कि उनके परिवार ने कभी ऐसा नहीं देखा. उनके घर पर हमला हुआ था. तब भाजपा सांसद के खिलाफ FIR हुई थी. इस समय राघव लखनपाल शर्मा सांसद नहीं हैं. किसी एस एस पी के घर में घुस कर तोड़फोड़ करने की घटना आपने नहीं देखी होगी, 2017 की इस घटना को याद कर लीजिए.  
(वीओवीटी आउट ऐंकर इन)

आप सर्च कीजिए कि ऐसा करने के बाद प्रधानमंत्री ने या बीजेपी ने सांसद महोदय के खिलाफ क्या कार्रवाई की थी? जिस तरह से निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी इस मामले में आक्रामक है, लगता नहीं कि सरकार या पार्टी में किसी को एतराज़ है.

यह खबर ऋशिकेश की है. आज यहां के त्रिवेणी घाटर से बाज़ार तक बेरोज़गार छात्रों ने सरकारी भर्ती घोटाले को लेकर रैली निकाली. अपनी डिग्रियों की प्रतिलिपि जलाकर विरोध किया. इनकी मांग है कि सरकार uksssc पेपर लीक,  वन दरोगा भर्ती विधानसभा भर्ती जैसे मामलों की निष्पक्ष जांच कराए. उत्तराखंड में कथित रुप से बीजेपी सरकार के मंत्रियों उनके करीबियों को बिना किसी प्रक्रिया के सरकारी नौकरी दे दी गई. मामला सामने आने के बाद विधानसभा के सचिव को एक महीने की छुट्टी पर भेज दिया गया है. अब 2000 से लेकर 2021 के दौरान जितनी भर्तियां हुई हैं उनकी जांच होगी. कांग्रेस और भाजपा शासन के दौरान ये भर्तियां हुई हैं. 

अगली खबर मध्यप्रदेश से. कागजी ट्रक की कहानी है जो कागज़ पर चलता है, कागज़ पर करोड़ रुपये का टनों अनाज ढोता है. कागज़ पर केवल ट्रक ही नहीं आटो भी अनाज ढोता है. मोटरसाइकिल से भी अनाज की ढुलाई होती है. इस कहानी से पता चलता है कि का़ग़ज़ से क्या क्या होता है. अनुराग द्वारी की यह रिपोर्ट बता रही है कि भारत भले कहीं पर विश्व गुरु बन गया है मगर घोटाले करने वाले भी किसी विश्व गुरु से कम नहीं हैं. पता नहीं उनकी कागज़ों पर ट्रैफिक का कंट्रोल किसके पास रहता है, जिनकी जेब भरती रही और जिनके कारण महिलाएं और बच्चों का शरीर कुपोषित होता रहा. 

पिछले दिनों सीबीआई के एक अधिकारी के आत्महत्या की खबर आई थी. दिल्ली सरकार के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आरोप लगाया है कि सीबीआई के डिप्टी लीगल एडवाइज़र जितेंद्र कुमार ने इसलिए यह कदम उटाया क्योंकि उन पर झूठे आरोप लिखने के दबाव थे.  यह बेहद गंभीर आरोप है. क्योंकि घटना के बाद दिल्ली पुलिस ने कहा था कि इसके पीछे किसी का हाथ नहीं दिखता. जितेंद्र कुमार ने भी अपने नोट में लिखा है कि उनकी मौत के लिए कोई ज़िम्मेदार नहीं है. 

उनके ऊपर इतना दबाव था कि वह मानसिक दबाव में आ गए और उन्होंने सुसाइड कर लिया यह बहुत दुखद घटना है कि सीबीआई के एक अधिकारी को जिसको देख रहा था कि पूरा मामला फर्जी है उसके ऊपर गलत काम करने का इतना दबाव बनाया गया कि वह आत्महत्या करने पर मजबूर हो गयामुझे गिरफ्तार करने के लिए एक फर्जी केस को मजबूत बनाने के लिए अधिकारी पर इतना दबाव बना दिया कि उस अधिकारी को सुसाइड करना पड़ गया यह बहुत अफसोस जनक है मेरी उनके परिवार के प्रति संवेदनाएं

राहुल गांधी के आटे वाले बयान को लेकर काफी मीम बन गए. खूब मज़ाक उड़ा कि आटे को लीटर में नहीं तौला जाता है. यह एक गलती थी जिसे राहुल गांधी ने तुरंत ही सुधार ली थी.जब प्रधानमंत्री से ज़ुबान फिसलती है तो उनके साथ भी यही होता है लेकिन एक रैली को लेकर सारी बात इसी में खर्च हो गई. आम लोग करें वो ठीक है, लेकिन मीडिया क्यों कर रहा था, क्या इस सवाल पर चर्चा करने से बचने के लिए जिसके बारे में राहुल गांधी इन दिनों बोल रहे हैं. मीडिया को लेकर उनकी कही गई बात पर चर्चा क्यों नहीं होती, मज़ाक इसका भी हो सकता था और मीम इसका भी बन सकता था, पर क्यों नहीं बना. 

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