सीबीआई के छापे के बाद केजरीवाल के ताकतवर नौकरशाह राजेंद्र कुमार के चेहरे पर निराशा और शरीर में थकावट साफ दिख रही है। सोमवार को ईवन और ऑड नंबर पर अरविंद केजरीवाल के घर पर हो रही बैठक में शिरकत करने प्रिंसिपल सेक्रेटरी राजेंद्र कुमार भी आए। कुछ देर बाद उनके घर से बाहर निकले... अपनी कार बुलाई.. सिगरेट का पैकेट निकाला और आसमान की ओर देखते हुए कश लगाने लगे। केजरीवाल के फ्लैग स्टाफ रोड पर अकेले खड़े इस प्रभावशाली नौकरशाह से जहां कुछ लोग बचने की कोशिश कर रहे थे तो वहीं राजेंद्र कुमार भी बहुतों से नजरें चुरा रहे थे। हालांकि देखकर भी अनजान बनना उनकी आदत में शुमार रहा है। मीडिया भी उनकी इस आदत को काफी पहले से जानता है। लेकिन सीबीआई की पूछताछ ने उन्हें इस वक्त विनम्र सा बना दिया है। हमें देखते ही उनके चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट आ गई। वे पूछने लगे कि यह खबर कैसे छप रही थी कि मैं जांच में सहयोग नहीं कर रहा हूं। हम लोगों ने कहा सूत्रों के हवाले से खबर थी। हमने भी मजाक किया कि आजकल सूत्र और ट्विटर ही खबरें प्लांट करवाते हैं।
बहुत तमीज से पेश आ रही सीबीआई
15 दिसंबर को उनके घर और दफ्तर पर सीबीआई छापे के बाद मेरी उनसे पहली मुलाकात थी। सिगरेट के कश लेते औपचारिक बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ। खामोशी से उन्होंने कहा कि आजकल सबसे बड़ी परेशानी उन्हें मोबाइल नहीं होने के चलते हो रही है। सीबीआई ने मोबाइल जब्त कर लिया है और पत्नी के फोन से ही दफ्तर के लोगों से बातचीत होती है। सीबीआई के छह दिन से लगातार पूछताछ के बावजूद उन्होंने सीबीआई को क्लीन चिट देते कहा कि सीबीआई सम्मान देकर उनसे पूछताछ करती है। मेरे लिए यह बेहद चौंकाने वाली बात थी क्योंकि एक तरफ सीबीआई के सूत्र यह कहते हैं कि राजेंद्र कुमार जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं तो दूसरी तरफ दिल्ली सरकार के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया कहते हैं कि सीबीआई गैर जरूरी सवाल राजेंद्र कुमार से पूछ रही है। लेकिन राजेंद्र कुमार कहते हैं कि सीबीआई उनसे बहुत तमीज से पेश आ रही है। बातों ही बातों में उन्होंने यह भी खुलासा किया कि इस समय सरकारी काम निबटाने से ज्यादा जोर सीबीआई पूछताछ के लिए हाजिरी देने में बीत रहा है।
आरोपों में कितनी सच्चाई...
मेरे दोस्त रवि ने पूछा कि सेहत खराब होने की खबरें भी आ रही थीं..। बची सिगरेट फेंकते हुए उन्होंने कहा कि सीबीआई केस के बाद उनकी तबियत खराब है और बीपी की दिक्कत आ रही है। कांग्रेस की सरकार में वे यदाकदा रुककर लोगों से हालचाल पूछ लिया करते थे लेकिन आम आदमी पार्टी की सरकार में उनकी मशरूफियत इतनी बढ़ गई थी कि केजरीवाल और मनीष के अलावा उनकी प्राथमिकता में शायद दूसरा कोई नहीं था। तभी हमारे एक दोस्त ने पूछा कि क्या आपके ऊपर लगे आरोपों में कोई सच्चाई है? इतना सुनते ही वे हंसे और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए केजरीवाल के बंगले की तरफ चल पड़े।
विधानसभा में बदल गई सीट
मंगलवार को अरविंद केजरीवाल ने राजेंद्र कुमार को ईमानदार बताने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। ऐसा दिखाया कि सरकार उनके पीछे खड़ी है। लेकिन यह बात राजेंद्र कुमार भी जानते हैं कि एक नौकरशाह को बचाने के लिए सरकार अपनी साख कभी दांव पर नहीं लगाएगी। मंगलवार को भी राजेंद्र कुमार विधानसभा के वीआईपी दीर्घा में बैठे थे। लेकिन हमेशा दिल्ली सरकार के चीफ सेक्रेटरी के बगल में बैठने वाले राजेंद्र कुमार आज चीफ सेक्रेटरी केके शर्मा के पीछे बैठे थे। सत्ता और ओहदा वक्त के साथ बदलता रहता है। सीबीआई की जांच के बाद शायद राजेंद्र कुमार को यह अहसास हो चुका है कि जनता से ज्यादा सरकार की विचारधारा को तवज्जो देने के अपने खतरे हैं। अब उन्हीं हालात से राजेंद्र कुमार भी दो चार हो रहे हैं, जिन पर कल तक वे शायद हंसते रहे हों...।
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This Article is From Dec 22, 2015
रवीश रंजन शुक्ला का ब्लॉग : क्यों बदले-बदले नजर आते हैं केजरीवाल के खास नौकरशाह राजेंद्र कुमार
Ravish Ranjan Shukla
- ब्लॉग,
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Updated:दिसंबर 23, 2015 13:22 pm IST
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Published On दिसंबर 22, 2015 22:46 pm IST
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Last Updated On दिसंबर 23, 2015 13:22 pm IST
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