छुट्टी से लौटने के बाद राहुल गांधी लोकसभा में तीसरी बार बोले। सरकार इस बार भी तिलमिलाई। सबसे ज़्यादा वो राहुल गांधी के इस तंज पर तिलमिलाई कि पीएम मोदी कुछ दिनों के लिए भारत के दौरे पर आए हैं तो पंजाब जाकर किसानों से भी मिल लें।
ये भी पूछा कि मेक इन इंडिया किसान नहीं करते क्या। क्या चंद उद्योपति ही मेक इन इंडिया कर सकते हैं। उन्होंने हरियाणा के कृषि मंत्री ओपी धनखड़ के बयान का भी ज़िक्र किया। लोकसभा में दिया गया राहुल का ये बयान छोटा था लेकिन सरकार को चुभने वाला था।
तभी सरकार की तरफ से खाद्य प्रसंस्करण राज्यमंत्री हरसिमरत कौर, खाद्य एवं नागरकि आपूर्ति मंत्री रामविलास पासवान, संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद और ख़ुद संसदीय कार्यमंत्री वैंकैया नायडू को बचाव में आगे आना पड़ा। विपक्ष ने ये सवाल भी उठाया कि शून्यकाल में मंत्रियों के जवाब देने का नियम नहीं है। फिर एक साथ दो-दो मंत्रियों ने जवाब क्यों दिया। अगर राहुल के सवाल पर दिया तो दूसरे सांसदों के उठाए मुद्दों पर भी मंत्रियों का जवाब सुनिश्चित किया जाए। स्पीकर ने कहा कि ये मंत्रियों की इच्छा पर है। अगर वे सदन में मौजूद और संबंधित मुद्दे पर बोलना चाहें बोल सकते हैं। स्पीकर किसी भी मंत्री को जवाब देने के लिए बाध्य नहीं कर सकती।
हरसिमरत कौर ने राहुल पर हमला बोलते हुए कहा कि जब ओले गिर रहे थे तो वे विदेश में थे। अब उपवास से लौट कर ड्रामा कर रहे हैं। कांग्रेस समेत समूचे विपक्ष ने इसे राहुल पर व्यक्तिगत हमला कह रिकार्ड से निकालने की मांग की। स्पीकर ने ऐसा करने का भरोसा दिया।
इससे पहले राहुल भूमि अधिग्रहण और नेट न्यूट्रैलिटी के मुद्दे पर सरकार को सदन में घेर चुके हैं। तब भी सरकार की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया आई थी। ये सब देख कर लोकसभा चुनावों के पहले के वो महीने याद आते हैं जब नरेन्द्र मोदी के एक बयान पर पहले तो कांग्रेस चुप रह कर उन्हें अहमियत न देते दिखना चाहती थी। फिर उसके तीन-चार बड़े नेता उस पर प्रतिक्रिया देते नज़र आते थे।
यही हाल राहुल के बोलने पर बीजेपी का हो रहा है। राहुल के बोलते ही चारों तरफ से उन्हें घेरने की कोशिश होती है। लगता है 11 महीने में ही काल चक्र बदल गया है। याद रखना होगा कि राहुल कितना भी अच्छा और बड़ा निशाना लगा लें, सरकार नहीं गिरेगी। हां राहुल के बोलते रहने से ये होगा कि कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं का मनोबल उठेगा। बीजेपी या सरकार जितना तिलमिलाएगी, मनोबल उतना उठेगा।
लोकसभा से निकलने के बाद पत्रकारों के पूछे एक सवाल के जवाब में वेंकैया नायडू ने कहा कि सरकार का काम जनता की सेवा है, आपका (मीडिया) का काम एक व्यक्ति की पूजा है तो कीजिए। जब उनसे प्रतिप्रश्न किया गया कि क्या वे मीडिया पर आरोप लगा रहे हैं तो उन्होंने बात गोलमोल कर दी। ज़ाहिर है मीडिया में राहुल की दस्तक भी सरकार को अखर रही है। बीजेपी भूल रही है कि यूपीए सरकार के वक्त नरेन्द्र मोदी के सरकार पर हमले को भी मीडिया इसी संजीदगी से जगह देता था। देखिए आगे आगे क्या होता है।
This Article is From Apr 29, 2015
उमाशंकर की कलम से : राहुल का बोलना और सरकार का तिलमिलाना जारी है
Umashankar Singh
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Updated:अप्रैल 29, 2015 20:35 pm IST
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Published On अप्रैल 29, 2015 20:29 pm IST
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Last Updated On अप्रैल 29, 2015 20:35 pm IST
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