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This Article is From Oct 25, 2019

प्राइम टाइम इंट्रो: गोपाल कांडा और भारतीय राजनीति की बेशर्मी

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अक्टूबर 25, 2019 23:36 pm IST
    • Published On अक्टूबर 25, 2019 23:36 pm IST
    • Last Updated On अक्टूबर 25, 2019 23:36 pm IST

हरियाणा के सिरसा से विधायक गोपाल कांडा की बात क्या सिर्फ इसलिए हो रही है कि कांडा ने बीजेपी को सपोर्ट देने की बात कही है? क्या हम इस सवाल का जवाब ठोस रूप से जानते हैं कि अगर कांग्रेस को ज़रूरत होती तो गोपाल कांडा का सपोर्ट लेने से इंकार कर देती? बीजेपी ने कहा है कि गोपाल कांडा से समर्थन नहीं लेगी. कितने घंटे लग गए इस एक बयान के आने में. लेकिन क्या गोपाल कांडा का किस्सा इसी के साथ नेपथ्य में चला जाएगा? सवाल यह भी होना चाहिए कि अगर आप गोपाल कांडा के बारे में बात कर रहे हैं तो सिर्फ गोपाल कांडा के बारे में ही क्यों बात कर रहे हैं. उन लोगों की बात क्यों नहीं कर रहे हैं जिनकी मदद से कोई गोपाल कांडा बनता है. जिनकी मदद से आज भी गोपाल कांडा बनने की प्रक्रिया जारी है. नौकरशाही, राजनीति और ठेकाशाही के खेल से जो भी नियमों को तोड़ने का जोखिम उठाता है, वह गोपाल कांडा जैसा बन जाता है. जब तक आप इस प्रक्रिया को नहीं समझेंगे, आप न राजनीति को समझ पाएंगे या न ही गोपाल कांडा को.

बीजेपी को ज़रूर बताना चाहिए कि सिरसा में चार्टर्ड प्लेन किसकी इजाजत से कांडा को लाने गया था? सिरसा की भाजपा सांसद सुनीता दुग्गल इस जहाज़ में बैठी हैं. यह जहाज़ सिरसा से दिल्ली आ रहा था. इस जहाज़ में आगे की सीट पर गोपाल कांडा बैठे थे. एक और निर्दलीय विधायक रंजीत सिंह चौटाला भी थे जो रनियां से जीते थे. सवालों के उठने पर खबरें आ रही हैं कि बीजेपी इस कांडा से किनारा कर सकती है, लेकिन इसका जवाब देना चाहिए कि जहाज में जो नज़दीकी दिख रही है वो किसका फैसला था. किसके कहने पर महिला सांसद सुनीता दुग्गल गोपाल कांडा को सिरसा से दिल्ली ला रही थीं. चार्टर्ड प्लेन या हेलीकॉप्टर किसने बुक किया था? क्या सुनीता दुग्गल का यह अपना फैसला था, ऐसा हो नहीं सकता, उन्हें तो पता ही होगा कि गोपाल कांडा के कारण एक एयरहोस्टेस गीतिका शर्मा आत्महत्या के लिए मजबूर हुई थी. बाद में गीतिका की मां ने भी आत्महत्या कर ली थी. क्या महिला सांसद सुनीता दुग्गल को नहीं पता था कि कांडा का राजनीतिक इतिहास क्या है?

2009 में कांग्रेस को 40 सीट आई थी. सरकार बनाने के लिए निर्दलीय विधायक गोपाल कांडा को गृह राज्य मंत्री बनाया गया. 2019 में बीजेपी को 40 सीटें आईं, रिज़ल्ट के दिन कांडा बीजेपी की सांसद सुनीता दुग्गल के साथ नज़र आया. जिस शाम प्रधानमंत्री बीजेपी को सात सीटें कम होने को भी अभूतपूर्व सफलता बता रहे थे, खट्टर सरकार की ईमानदारी और भ्रष्टचार मुक्त सरकार की बात कर रहे थे उसी शाम जहाज़ में उड़कर गोपाल कांडा संकेत दे रहा था कि अगर सरकार इतनी ही ईमानदार थी तो उसके जैसे नेताओं की पूछ अब भी क्यों है? वो क्यों बीजेपी की सांसद के साथ जहाज में है?

फिर यह तस्वीर याद दिलाती है कि बीजेपी इतनी जल्दी कैसे भूल गई कि वह कभी गोपाल कांडा को सज़ा देने के लिए सड़क पर उतरी थी, गीतिका शर्मा के इंसाफ के लिए सड़क पर उतरा करती थी. कांग्रेस सरकार में गोपाल कांडा गृह राज्य मंत्री था. गीतिका को आत्महत्या के लिए मजबूर करने के आरोप में 18 महीने जेल में रहा है. पहाड़ में ध्यान कर रही महिला सांसद उमा भारती का बयान आ गया कि कांडा का समर्थन लेना अनैतिक है, लेकिन जिस कांडा के साथ जहाज में बीजेपी की सांसद सुनीता दुग्गल सफर कर रही थीं, क्या किसी ने उनका बयान सुना? गीतिका शर्मा के भाई अंकित शर्मा को सुनिए.

हम आपको याद दिलाना चाहते हैं कि 2012 में जब गीतिका शर्मा ने आत्महत्या की थी, तब गोपाल कांडा के मामले को हमने कैसे कवर किया था. आप इस रिपोर्ट में गोपाल कांडा के उस किलेनुमा महल को देखिए. नियमों  को तोड़कर ग्रीन बेल्ट में किला बनाया था 100 करोड़ का. आज तक वह किला वहां मौजूद है. 7 साल में कुछ भी नहीं हुआ है. 

गोपाल कांडा पहले इनेलो चौटाला के करीबी माने जाते थे. जब 2009 में इनेलो से टिकट नहीं मिला तो निर्दलीय जीते. उस समय इनेलो को 31 सीटें आई थीं. कांग्रेस को 40. ठीक आज की तरह का रिज़ल्ट हुआ था. गोपाल कांडा हुड्डा सरकार में गृह राज्य मंत्री बना. अब वह बीजेपी की सांसद के साथ एक जहाज़ में समर्थन देने के लिए दिल्ली आते हुए दिख रहा है. इनेलो, कांग्रेस और बीजेपी. यह बता रहा है कि इस तरह के नेताओं का कुछ नहीं बिगड़ता है. जब जनता पार्टी बदलती है तो ये नेता भी पार्टी बदलकर सत्ता के साथ आ जाते हैं.

गोपाल कांडा का एक राजनीतिक दल है. हरियाणा लोकहित पार्टी का मुख्यालय गुरुग्राम के उस दफ्तर में है जहां कभी एमडीएलआर एयरलाइन कंपनी चला करती थी. मुरलीधर एंड सन लखपत राम एयरलाइन्स. 2005 में इस कंपनी को शुरू किया था और इसी से जुड़ी थी गीतिका शर्मा. 2009 में कंपनी बंद हो गई. लोन नहीं चुका पाने के कारण. अब इसी कंपनी के दफ्तर में एक पार्टी चल रही है. गोपाल कांडा को 602 वोटों से जीत मिली. 2015 में गोपाल कांडा ने एक फिल्म भी बनाई थी. भाई मस्ट बी क्रेज़ी. फिल्म फ्लॉप रही. तब तक वह जेल जाकर बाहर आ चुका था और फिल्म बना रहा था. बिपाशा बसु हीरोइन थी. कांडा जैसे लोग जो चाहते हैं वो कर जाते हैं. जबकि गोपाल कांडा के खिलाफ दस दस चेक बाउंस का केस है. जबकि 2009 के हलफनामे के अनुसार 60 करोड़ की संपत्ति थी. 2014 के हलफनामे में इसकी संपत्ति 114 करोड़ हो गई. यानी बढ़ गई, लेकिन 2019 के हलफनामे में पति-पत्नी की कुल संपत्ति 95 करोड़ की हो गई. फिल्म फ्लॉप हो गई. एयरलाइन कंपनी बंद हो गई. हत्या के मामले में 18 महीने जेल रहा. फिर भी 95 करोड़ की संपत्ति होती है.

यह सवाल सिरसा की जनता से भी है उसे गोपाल कांडा में ऐसी क्या संभावना नज़र आई कि 2009 में निर्दलीय चुना, हत्या के मामले में जेल जाने के बाद 2019 में फिर से चुना. 2014 में गोपाल कांडा हार गया था. इसी चार अक्तूबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार के गृह विभाग के मुख्य सचिव को कहा है कि आप कोर्ट के सामने आकर बताएं कि गोपाल कांडा वाले केस में बताए कि कैसे आगे बढ़ा जा रहा है. सरकार क्या चाहती है? क्योंकि मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सरकारी वकील गोपाल कांडा के मामले में कोर्ट में उपस्थित नहीं होते थे जिससे मामला टलता जाता था. अक्तूबर 2012 में चार्जशीट फाइल हो गई थी मगर अभी तक ट्रायल पूरा नहीं हुआ है. गोपाल कांडा ज़मानत पर जेल से बाहर है. जहाज़ में है.

कांडा जैसे नेता का संबंध और संपर्क हर जगह होता है. जितनी आसानी से वे आरएसएस का बता रहे हैं उतनी आसानी से कभी ओम प्रकाश चौटाला के करीब बताते थे उतनी ही आसानी से भूपेंद्र सिंह हुड्डा के और अब बीजेपी संघ के. दसवीं पास गोपाल कांडा ने किन संपर्कों के ज़रिए इतनी संपत्ति बनाई, कैसे वह राजनीति में प्रासंगिक बना रहा, इस सवाल का जवाब खोजिए. कांडा पर 40 करोड़ के आयकर चोरी का मामला भी चल रहा है. जब गोपाल कांडा जैसे नेता राजनीति में मजबूत हो रहे होते हैं तब हमारी नज़र नहीं होती है. बीजेपी किनारा कर लेगी, लेकिन गोपाल कांडा से क्या आप किनारा कर सकते हैं, क्या आप सोचेंगे कि हमारे देश में इंसाफ का क्या सिस्टम है कि दस-दस साल लग जाते हैं सुनवाई पूरी होने में और सज़ा होने में. आप सोचिए इस दौरान गीतिका का परिवार कैसे जीता होगा? अकेले कोर्ट तक जाते-जाते उनकी मानसिक स्थिति क्या रही होगी. लेकिन इसी दौरान गोपाल कांडा जनता के वोट से विधायक भी बनता है और राजनीति के केंद्र में भी आ जाता है.

हमें समझना होगा कि क्या कांडा से ऐतराज़ सिर्फ इसलिए है कि उसपर हत्या के आरोप हैं या इस बात से भी है कि कांडा जैसा कोई इतना पैसे वाला कैसे बन जाता है, राजनीति में सफल कैसे हो जाता है, अगर इस सवाल के साथ देखेंगे कि तो आपको भारत की राजनीति गोपाल कांडा जैसे नेताओं से भरी मिलेगी. इसलिए गोपाल कांडा का सवाल सिर्फ नैतिकता का नहीं है, उस प्रक्रिया का भी है जिससे कोई कांडा बनता है. जनजननायक जनता पार्टी 10 महीने पुरानी पार्टी है. उसके 10 विधायक हैं. उनकी औसत संपत्ति 25 करोड़ है. इसके एक विधायक की संपत्ति 91 करोड़ की है और एक की 74 करोड़. बीजेपी के तीन ऐसे विधायक हैं, जिनकी संपत्ति 88 करोड 76 करोड़ और 58 करोड़ है. कांग्रेस के कुलदीप बिश्नोई की संपत्ति 105 करोड़ है. अगर इस लिहाज़ से देखेंगे तो आपको यह बात समझ आएगी कि दरअसल आपके पास विरोध करने के लिए भी कुछ नहीं है. कुछ विकल्प ही नहीं बचा है. बीजेपी कह रही है कि अपने आप कांडा ने समर्थन दिया था. बीजेपी के पास सरकार बनाने की संख्या की समस्या तो नहीं है. यह भी कहा जा रहा है कि दुष्यंत चौटाला बीजेपी को समर्थन दे सकते हैं. दुष्यंत ने कहा है कि वे कांग्रेस को भी दे सकते हैं बीजेपी को भी सपोर्ट कर सकते हैं.

क्या आदित्य ठाकरे मुख्यमंत्री हो सकते हैं? शिवसेना के कार्यालय में पोस्टर लगाए गए हैं जिनमें आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री के रूप में बताया गया है. एनसीपी ने कहा है कि वह विपक्ष में भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं. उन्हें किसी तरह का ऑफर नहीं चाहिए.

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