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This Article is From Dec 16, 2015

प्राइम टाइम इंट्रो : केजरीवाल के आरोपों में कितना दम?

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    दिसंबर 23, 2015 13:32 pm IST
    • Published On दिसंबर 16, 2015 21:11 pm IST
    • Last Updated On दिसंबर 23, 2015 13:32 pm IST
लुटियन दिल्ली की सियासत में कुछ तो हो रहा है जो सामान्य नहीं है। हाथ किसी पर डाला जाता है और पकड़ा कोई और जाता है। एक दिन मुद्दा जहां होता है अगले दिन वही मुद्दा कहीं और नज़र आता है। भ्रष्टाचार के तमाम मामले और छापे के बाद की सिसायत को फिर से पलट कर देखने की ज़रूरत है। हल्का हल्का दिखेगा कि सत्ता पर वर्चस्व की लड़ाई मैदान के किन किन कोनों से खेली जा रही है। पता ही नहीं चलता है निशाने पर कौन है और शतरंज की बिसात पर किसकी शह है और किसकी मात हो रही है।

याद कीजिए ललित मोदी के मामले को। कुछ ही महीने पहले यूरोप की खूबसूरत जगहों से उनके ट्वीट आया करते थे और मीडिया के ज़रिये चलने वाली सियासत में प्राइम टाइमीय भूचाल आ जाता था। पत्रकार उनके इंटरव्यू के लिए समंदर के किनारे वाले शहरों में जाया करते थे। संसद की कार्यवाही ठप्प होती थी कि राजस्थान की मुख्यमंत्री ने सरकार से छिपा कर ललित मोदी के लिए कोई हलफनामा दिया है। इसके साथ साथ विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को भी लपेटे में लिया गया। लेकिन एक दिन संसद में सुषमा के ही बयान से इस मसले का समापन हो जाता है। उस दौरान जांच वगैरह की कुछ घोषणाएं भी होती हैं, कोने कॉर्नर वाले नोटिस जारी हुए। अब उनसे क्या हुआ कौन पता करे। लेकिन ललित मोदी में राजस्थान के 33 ज़िलों के क्रिकेट संघों ने जो विश्वास व्यक्त किया है वो अदभुत है। बीजेपी नेता और राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के उपाध्यक्ष अमीन पठान ने 9 महीने पहले ललित मोदी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया था, उसे वापस ले लिया गया है। कह रहे हैं कि ये फैसला क्रिकेट हित में लिया गया है। ससंदीय राजनीति में जो ललित मोदी देश हित के खिलाफ थे राजस्थान क्रिकेट संघ की राजनीति में वही ललित मोदी क्रिकेट हित हो गए हैं। फिर से अध्यक्ष हो गए हैं।

ललित मोदी सेटल हो रहे हैं लेकिन दिल्ली एंड डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन डीडीसीए में कथित भ्रष्टाचार को लेकर इसके पूर्व चेयरमैन अरुण जेटली निशाने पर आ गए हैं। ललित मोदी ने तो तब ट्वीट कर अरुण जेटली पर भी आरोप लगा दिये थे। वैसे इस लड़ाई को आठ साल से बीजेपी के सांसद कीर्ति आज़ाद अकेले लड़ रहे थे। अंतर ये आया है कि आम आदमी पार्टी ने पहली बार उस शख्स को निशाने पर लिया है जिसे लुटियन दिल्ली की सियासत की धुरी कहा जाता है। कभी उन पर इतना खुलकर राजनीतिक हमला नहीं हुआ है।

मोदी सरकार आने के बाद ट्विटर पर खुद को नमो समर्थक कहने वाले कुछ प्रभावशाली लोगों ने उनकी हल्की फुल्की आलोचना की लेकिन सुब्रह्मण्यम स्वामी ही खुल कर बोलते रहे। स्वामी का हमला भी नीतियों और उनके कमज़ोर प्रदर्शन के आरोपों तक ही सीमित रहा। इस मामले की यूपीए के समय कंपनी मामलों के मंत्रालय ने जांच की थी लेकिन आगे क्या हुआ पता नहीं। आठ साल से कीर्ति आज़ाद, बिशन सिंह बेदी, और सुरेंद्र खन्ना जैसे खिलाड़ी दिल्ली डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन में कथित भ्रष्टाचार के मामले उठा रहे हैं। हाल ही में जेटली ने सोनिया को इशारों में कहा था कि क्वीन इज़ नॉट अबव द लॉ। यानी महारानी कानून से ऊपर नहीं हैं। अब जाकर कांग्रेस जागी है और कह रही है कि डीडीसीए में भ्रष्टाचार की जांच संयुक्त संसदीय समिति करे। तो क्या वाकई जेटली को घेरा जा रहा है या वे घिर रहे हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि वे इस तरह के अस्पष्ट आरोपों का जवाब नहीं देते हैं। कोई विशेष चार्ज बतायें तो जवाब देने के लिए तैयार हैं। शरद पवार ने हमारे सहयोगी मनोरंजन भारती से कहा कि जेटली की ईमानदारी पर कोई शक नहीं है। अगर बीजेपी पवार के इस सर्टिफिकेट से खुश होती है तो उसे पवार की एक और बात से खुश होना होगा जो उन्होंने मनोरंजन भारती से ही कही है। पवार ने कहा कि नेशनल हेराल्ड का कोई मामला नहीं है। नेशनल हेरल्ड नेहरू का अखबार था। उसका घाटा नुकसान गांधी परिवार ही उठाता रहा है।

दिल्ली सरकार के पूर्व अधिकारी आशीष जोशी की शिकायत पर सीबीआई ने प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार के घर दफ्तर पर छापे मारे हैं। कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि आशीष जोशी के आरोप पर इतनी सक्रियता कि सीबीआई सीएम के दफ्तर तक पहुंच गई। इसलिए सीबीआई स्वतंत्र नहीं है।

पिछले ही हफ्ते आप कार्यकर्ता की शिकायत पर सीबीआई ने दिल्ली सरकार के समाज कल्याण विभाग के प्रधान सचिव एस.पी. सिंह के यहां छापे मारे थे। वहां भी शराब पकड़ी गई थी। ऐसा नहीं है कि सीबीआई आप कार्यकर्ताओं की शिकायत नहीं सुनती है। एस.पी. सिंह को मुख्यमंत्री केजरीवाल ने सस्पेंड कर दिया था इसलिए बीजेपी का आरोप सही नहीं है कि केजरीवाल की नज़र में सीबीआई स्वतंत्र संस्था नहीं है।

बीजेपी सांसद कीर्ति आज़ाद ने संसद में डीडीसीए में कथित अनियमितता का सवाल उठाया तो राजनाथ सिंह वाले गृहमंत्रालय ने खेल मंत्रालय को लिखा और खेल निदेशक ने सात जुलाई को दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को लिखा कि जांच कर तुरंत उचित कार्रवाई की जाए। इसका मतलब है कि केंद्र सरकार अपने सांसद की शिकायत पर भी काम करती है। कीर्ति आज़ाद ने मुझे बताया कि सीबीआई 42 बिन्दुओं पर डीडीसीए मामले की जांच कर रही है। पता नहीं अभी तक बीजेपी नेताओं ने ये बात क्यों नहीं बताई है। वैसे कीर्ति ने शिकायत न की होती तो अरविंद केजरीवाल चार महीने बाद तीन सदस्यों की जांच कमेटी न बनाते।

कमेटी ने अपनी रिपोर्ट तीन दिन में ही दे दी। लेकिन इस कमेटी का अध्यक्ष बनाये जाते ही ऑफिसर चेतन सांगी के खिलाफ एफआईआर कर दी गई। चेतन सांगी सतर्कता विभाग के प्रमुख हैं और एफआईआर उनके मातहत आने वाले एंटी करप्शन ब्यूरो में की गई। क्या इसका ये मतलब है कि अफसरों के ज़रिये अफसरों को फिक्स किया जा रहा है। अधिकारियों को डराया भी जा रहा है। केजरीवाल ने आरोप लगाया है कि सीबीआई छापे के बहाने डीडीसीए के भ्रष्टाचार की फाइलें पढ़ने गई थी जिसके तार वित्त मंत्री से कथित रूप से जुड़ते हैं। लेकिन कांग्रेस पूछ रही है कि 15 नवंबर को रिपोर्ट आ गई थी तो उसे जारी क्यों नहीं किया गया।

लेकिन बीजेपी के नेता कहते हैं कि वसुंधरा सरकार के खनन मामलों के प्रधान सचिव अशोक सिंघवी को एंटी करप्शन ब्यूरो ने गिरफ्तार किया था। सोशल मीडिया में लिखा गया था कि सीबीआई ने छापा मारा था लेकिन सितंबर महीने में राज्य के एंटी करप्शन ब्यूरो ने छापा मारा और इस छापे के साथ मुख्यमंत्री के दफ्तर से कोई फाइल नहीं उठाई गई जैसा कि केजरीवाल दावा कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी डीडीसीए के भ्रष्टाचार पर प्रेस कांफ्रेंस करने जा रही है। कीर्ति आज़ाद भी डीडीसीए के भ्रष्टाचार को लेकर रविवार के दिन प्रेस कांफ्रेंस कर सकते हैं। अब सवाल है कि क्या सीबीआई केजरीवाल के दफ्तर में गई थी।

इसके प्रमाण में आम आदमी ने सीबीआई की दी हुई रसीद पेश की है कि क्या क्या फाइलें उठाईं गई हैं। आम आदमी पार्टी का कहना है कि वैसी फाइल उठाई है जो मुख्यमंत्री के कमरे में फाइलों की आवाजाही की रिकॉर्ड होती है। कुछ ऐसी फाइलें उठाईं गईं जो हाल फिलहाल की हैं जबकि राजेंद्र कुमार का मामला 2002 का है। आप नेताओं का दावा है कि राजेंद्र कुमार के घर से मिला ही क्या। कुछ भी नहीं। 27 साल की नौकरी में किसी के खाते से 28 लाख रुपये मिलना कोई बड़ी बात नहीं है। उनके घर से शराब की 14 बोतलें बरामद हुई हैं जिसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। 9 लीटर से ज्यादा शराब रखने के आरोप में तीन साल की सज़ा हो सकती है। अगर आप दर्शकों के घर में है तो तुरंत फेंक दीजिए।

बीजेपी भी कम आक्रामक नहीं है। वो केजरीवाल पर आरोप लगा रही है कि एक भ्रष्ट अधिकारी का बचाव क्यों कर रहे हैं। इस क्रीडा में ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के लोग सामने आ गए हैं। उनका कहना है कि मई महीने में उनके पास राजेंद्र कुमार के खिलाफ शिकायतें मिलने पर मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखी थी। हमें मुख्यमंत्री की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला।

इस चिट्ठी में साफ साफ तो नहीं लिखा है कि क्या शिकायत है लेकिन ये लिखा है कि कुछ शिकायतें मिली हैं कि उनके पास आय से अधिक संपत्ति है। इसकी जांच की जाएं। ट्रांसपेरेंसी ने यह पत्र लेफ्टिनेंट गर्वनर नजीब जंग, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को भी भेजी थी। तो क्या सारे मिलकर चुप हो गए थे।

क्या सीबीआई मुख्यमंत्री के दफ्तर की फाइलों को पढ़ा है, उनके कमरे में गई है। क्या केजरीवाल कथित रूप से एक भ्रष्ट अधिकारी को बचाने का प्रयास कर रहे हैं। क्या राजेंद्र कुमार पर शराब रखने के अनाप शनाप आरोप लगाये जा रहे हैं। उनके भ्रष्टाचार से संबंधित खबरों को क्यों नहीं ज़ाहिर किया जा रहा है। क्या केजरीवाल और कांग्रेस ने जेटली पर जो आरोप लगाया है उसमें कुछ दम है। या ये भी ललित गेट की तरह इंटिया गेट से होते हुए अजमेरी गेट में गुम हो जाएगा।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है। इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।

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