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This Article is From Feb 26, 2015

क्या रेलवे ने ज्यादा ऊंचा लक्ष्य रखा?

Ravish Kumar, Saad Bin Omer
  • Blogs,
  • Updated:
    फ़रवरी 26, 2015 23:33 pm IST
    • Published On फ़रवरी 26, 2015 21:23 pm IST
    • Last Updated On फ़रवरी 26, 2015 23:33 pm IST

नमस्कार... मैं रवीश कुमार। मोदी सरकार के दूसरे रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने अपना पहला रेल बजट पेश कर दिया। इतिहास में पहली बार हुआ है जब किसी नई ट्रेन का एलान नहीं हुआ। यात्री किराया भी नहीं बढ़ा है। इसकी जानकारी रेलमंत्री ने शुरू में ही दे दी। अक्सर रेलमंत्री इस घोषणा को आखिर के लिए बचा कर रखते थे, ताकि बजट भाषण में रुचि बनी रहे। मगर प्रभु जी ने तो पूरी फिल्म की स्टोरी पहले बता दी। कुछ फिल्में ऐसे भी शुरू होती हैं। प्रभु आपकी रेल को तेज़ कर देना चाहते हैं।

9 रेल कारिडोर में गाड़ियों की रफ्तार बढ़ाई जा रही है। इसमें गाड़ी की रफ्तार 110-130 किमी प्रति घंटे की जगह 160 से 200 किमी प्रति घंटे होगी। ताकि दिल्ली कोलकाता और दिल्ली मुंबई के बीच एक रात में ही यात्रा पूरी हो सके। यानी बुलेट ट्रेन तो अभी सैंपल के रूप में आएगी अगर आ गई तो, मगर मौजूदा रेलगाड़ियां 200 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने लगेंगी यह सोच कर ही आप दिल्ली से पटना 13 की बजाए 7 घंटे में पहुंचने का सपना देख सकते हैं। बुलेट ट्रेन पर खास ज़ोर नहीं है। छोटे से पैराग्राफ में निपटा दिया गया है यानी प्रभु ने अपनी प्राथमिकता बता दी है। इसके अलावा

  • लोअर बर्थ के लिए बुजुर्ग यात्रियों का कोटा बढ़ाया जाएगा।
  • 4 महीने पहले आप टिकट की बुकिंग करा सकते हैं।
  • 400 स्टेशनों पर मुफ़्त वाई-फ़ाई की सुविधा होगी।
  • जनरल डिब्बों में भी अब मोबाइल फ़ोन चार्ज करने की सुविधा होगी।
  • अब आप स्मार्ट फ़ोन से पांच मिनट में बिना रिज़र्वेशन वाला टिकट बुक करा सकेंगे।
  • रेल बजट में महिला सुरक्षा पर ध्यान देते हुए चुनिंदा गाड़ियों में महिलाओं के डिब्बे में सीसीटीवी लगाने का फ़ैसला हुआ है, लेकिन ऐसा करते हुए महिलाओं की निजता का ध्यान रखा जाएगा।
  • 108 ट्रेनों में अपनी पसंद का भोजन चुनने के लिए ई-कैटरिंग की शुरुआत की जाएगी।
  • 650 स्टेशनों पर नए शौचालय बनाए जाएंगे और 17000 टॉयलेट्स को बदलकर बायो टॉयलेट किया जाएगा।
  • बड़े स्टेशनों में लिफ़्ट और एस्केलेटर के लिए 120 करोड़ रुपये जारी किए जाएंगे।


पिछले साल जून में ही यात्री भाड़ा में 14.5 प्रतिशत की वृद्धि हो गई थी। डीज़ल के दाम कम होने के बाद भी कुछ चीज़ों का माल भाड़ा बढ़ाया गया है। जैसे यूरिया का माल भाड़ा 10% बढ़ेगा, सीमेंट का 6.3% और लोहे स्टील में एक फीसदी से कुछ कम। ऊर्वरक मंत्री अनंत कुमार ने कहा है कि यूरिया का जो दाम बढ़ेगा उसके लिए हम सब्सिडी बढ़ा देंगे।

रेल बजट तैयार करते वक़्त सुरेश प्रभु ने मोटे तौर पर चार लक्ष्य रखे हैं। इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए रेलवे जो तरीका अपनाएगा वह ये हैं।

  • रेलवे में सुधार के लिए मध्यम अवधि की योजना बनाई जाएगी।
  • रेलवे के विकास के लिए नई साझेदारियां बनाई जाएंगी जिसमें निश्चित रूप से निजी क्षेत्र की भी भूमिका होगी।
  • रेलवे अतिरिक्त संसाधन जुटाने के सभी रास्ते खोजेगा।
  • मैनेजमेंट सिस्टम को बेहतर बनाया जाएगा। ज़रूरत पड़ी तो नए सिरे से सिस्टम बनाए जाएंगे।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि मैं इस बात से ज्यादा खुश हूं कि पहली बार रेलवे को तकनीकि रूप से बेहतर और आधुनिक बनाने के लिए ठोस नज़रिया सामने आया है। 2015 के रेल बजट से रेलवे में सुधार की शुरुआत हो गई। अभी तक गाड़ियों और कोच की संख्या पर ही बात होती थी।

रेलवे का बजट अब बढ़कर 1 लाख 11 करोड़ रुपये का हो गया है जो 65 हज़ार 798 करोड़ रुपये था। तो पैसा कहां से आएगा इसके लिए रास्ते ये हैं।

  • पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप सेल परिणाम आधारित
  • बजट में पीपीपी पर ज़्यादा ज़ोर
  • पीपीपी से अर्थव्यवस्था में ज़्यादा रोज़गार
  • बंदरगाहों और खानों तक रेलवे कनेक्टिविटी के लिए पीपीपी प्रोजेक्ट
  • रेलवे में सुधार के लिए अतिरिक्त संसाधन


रेलवे को विद्युतीकरण के साथ पटरी को डबल, ट्रिपल करने के लिए 27 गुना पैसा चाहिए। पांच साल के लिए रेलवे का अनुमानित बजट साढ़े आठ लाख करोड़ रखा गया है।

कांग्रेस ने कहा है कि सिर्फ मुंबई दिल्ली और कोलकाता की बात है। पूरे देश की नहीं। नीतीश कुमार ने कहा है कि पीपीपी मोड को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है।

एक सवाल सांसद निधि को लेकर उठ रहा है। रेल मंत्री ने कहा है कि सांसद अपनी निधि का कुछ हिस्सा रेलवे स्टेशनों को बेहतर करने में लगाएं। एक सांसद को हर साल पांच करोड़ की राशि स्थानीय विकास के लिए मिलती है। सांसद निधि, कोरपोरेट सोशल रिस्पोंसिबिलिटी फंड से लेकर पेंशन फंड और राज्यों के साथ भागीदारी योजना बनाने में और खर्चे को बांटने में भी, क्या इनसे प्रभु आगले पांच साल के लिए साढ़े आठ लाख करोड़ रुपये जुटा लेंगे। एक उत्तर हो सकता है कि नहीं जुटा पाएंगे, लेकिन अगर यह नहीं हो सकता है तो फिर कौन सा रास्ता बचा है जिसके बारे में प्रभु ने नहीं सोचा क्या आलोचक आपको बता रहे हैं।

सुरेश प्रभु ने इस पर ज़ोर दिया है कि यह पांच साल का रोड मैप है। विश्व बैंक जैसे संगठनों से निवेश आएगा। कैसे आएगा और किन शर्तों पर आएगा नहीं पता। ऐसा नहीं कि पहले नहीं आया। प्रभु का दावा है कि अगर हम उपभोक्ता सेवाओं को बेहतर कर दें तो यात्री का रेल में भरोसा बढ़ेगा और वह ज्यादा किराया दे सकेगा। प्रभु का लक्ष्य है कि रेल को हर दिन दो करोड़ यात्रियों की जगह तीन करोड़ यात्रियों को ढोना होगा।

ज़ाहिर है यात्रियों की संख्या के लिए कोच बढ़ाने होंगे। गाड़ियों की संख्या बढ़ानी होगी। तो फिर गाड़ी और कोच की बात होगी न। इस बजट में प्रभु ने कहा है कि ऊपरी बर्थ पर चढ़ने वाली सीढियों की डिज़ाइन में बदलाव करेंगे। बिस्तर की डिज़ाइन के लिए निफ्ट से बात कर रहे हैं।

बजट को पढ़कर लगा कि समस्याओं पर प्रभु की नज़र तो गई है, हो सकता है कि उनका रास्ता मुकम्मल न हो लेकिन क्या प्रभु ने यह कहने का साहस नहीं दिखाया है कि रेलवे ग़रीब है। उसे निवेश चाहिए। क्या रेलवे के निजीकरण का कोई गुप्त दरवाज़ा खुलने जा रहा है? क्या प्रभु ने यह कहा कि निजीकरण के अलावा कोई रास्ता नहीं? प्रधानमंत्री ने वाराणसी में तो कहा था कि वे कभी निजीकरण नहीं करेंगे।

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