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This Article is From Sep 15, 2014

छोटी ग़लती पर भी बड़ा जुर्माना

Ravish Kumar
  • Blogs,
  • Updated:
    नवंबर 20, 2014 12:53 pm IST
    • Published On सितंबर 15, 2014 21:19 pm IST
    • Last Updated On नवंबर 20, 2014 12:53 pm IST

नमस्कार... मैं रवीश कुमार। आज मुद्दे पर आने से पहले मैं आपको एक कहानी सुनाना चाहता हूं। यह कहानी मैंने वाशिंगटन पोस्ट में पढ़ी थी। रेडले बाल्को कोई ब्लॉगर हैं जो क्रिमिनल जस्टिस पर लिखते हैं। वाशिंगटन पोस्ट में यह कहानी काफी शोध के साथ लिखी गई है। इसका एक छोटा सा हिस्सा बताता हूं।

वाशिंगटन पोस्ट की साइट पर एक वीडियो भी मिला जो इसी कहानी का हिस्सा है। निकोल बोल्डन नाम की 32 साल की अश्वेत महिला एक दिन कार से कहीं जा रही थीं। तभी सामने वाली कार ने ग़लत तरीके से यू टर्न किया और ब्रेक लगाने के बाद भी बोल्डन की कार टकरा गई। बोल्डन की कार में उसके दो छोटे बच्चे थे, लेकिन सामने की कार वाले ने पुलिस बुलाई और बोल्डन को गिरफ्तार कर लिया गया। पता चला कि बोल्डन के खिलाफ पहले भी ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन के मामले में तीन-तीन नगरपालिका अदालतों से गिरफ्तारी के वारंट जारी हो चुके हैं।

अमरीका के सेंत लुई काउंटी का यह किस्सा है, जहां 90 नगरपालिकाएं हैं और 81 के पास अपना कोर्ट है। बाकी के तीन वारंट अलग अलग इलाकों के कोर्ट से जारी किए गए थे। सीट बेल्ट न पहनने के कारण, तेज़ रफ्तार से चलाने के जुर्म में। बोल्डन किसी तरह अपने परिवार का खर्च चलाती हैं, लिहाज़ा वह जुर्माना भरने कोर्ट नहीं जा सकी और वारंट निकल गया।

वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में एक वकील ने बताया है कि इसे हम पॉवर्टी वायलेशन कहते हैं, यानी ग़रीबी के कारण लोग जुर्माना नहीं दे पाते। बीमा का प्रीमियम नहीं भर पाए तो जुर्माना नहीं दे पाए, तो गिरफ्तारी का वारंट।

बोल्डन ने एक अदालत में किसी तरह ज़मानत की राशि तो भर दी मगर दूसरे वारंट में गिरफ्तार हो गई। ऐसे लोगों की मदद करने वाले वकीलों की संस्था ने जुर्माना राशि को 1700 अमरीकी डॉलर से कम कराने के खूब प्रयास किए। 1700 अमरीकी डॉलर मतलब भारतीय रुपये में एक लाख रुपये से भी अधिक की फाइन। किसी तरह यह कम होकर 700 डॉलर हुआ, यानी 42 हज़ार से कुछ अधिक।

इस दौरान उसे महीने से ज्यादा जेल में रहना पड़ा। बच्चों से दूर रही सो अलग। वकीलों का कहना है कि यह समझना ज़रूरी है कि यह अपराध नहीं है। ग़लती है।

खैर सेंट लुई काउंटी में ऐसी कहानी आम बताई जा रही है। वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट कहती है कि बड़ी संख्या में लोग वकील तक नहीं रख पाते हैं। यह उस अमरीका की कहानी है जिसे हम स्वर्ग मानकर चलते हैं। तो हालत यह है कि सेंट लुई काउंटी की सालाना आमदनी में 40 प्रतिशत तरह तरह के जुर्मानों का हिस्सा होता है। इस 40 प्रतिशत में ज्यादातर ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन के होते हैं।

भारत में भी ऐसी कहानियां हैं, मगर कोई लिखता नहीं होगा या हमें दिखता नहीं होगा। इतनी लंबी कहानी सुनाने का जोखिम इसलिए उठाया, क्योंकि भारत सरकार ट्रैफिक और मोटर वाहनों के लिए नया कानून लेकर आ रही है।

इस कानून का ड्राफ्ट ट्रांसपोर्ट मंत्रालय की साइट पर है और आप सुझाव दे सकते हैं। इसके मुताबिक,

- ट्रैफिक लाइट जंप करना, ग़लत साइड कार चलाने या सीट बेल्ट न लगाने पर 5000 रुपये का जुर्माना लगेगा।

- अगर आप दोबारा ग़लती करते पकड़े गए तो 10,000 से 15,000 के बीच जुर्माना देना होगा।

- सेलफोन के इस्तमाल पर 4,000 से 10,000 रुपये तक की फाइन होगी

- शराब पीकर गाड़ी चलाने के जुर्म में 15,000 से 50,000 रुपये तक का जुर्माना लगेगा

- बिना लाइसेंस गाड़ी चलाएंगे तो 10,000 और दो-दो लाइसेंस निकला तो 25,000 तक का जुर्माना और तीन महीने की जेल

- बिना नंबर प्लेट के गाड़ी चलाएंगे तो 25,000 और दोबारा पकड़े गए तो 50,000 जुर्माना देना होगा।

अधिकतम गति सीमा से ज्यादा चलाने पर भी कई प्रकार की पेनाल्टी लगाई गई है।

- अधिकतम गति सीमा से अगर आप 9 किमी प्रति घंटा ज्यादा रफ्तार से चला रहे हैं तो कार बाइक वालों को 5000 रुपये की फाइन लगेगी।

- अधिकतम गति सीमा से 19 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलाते हुए पकड़े गए तो फाइन 7500 रुपये।

- अधिकतम गति सीमा से 29 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलाते हुए पकड़े गए तो 10,000 रुपये और अधिकतम गति सीमा से 40 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलाते हुए पकड़े गए तो 12500 रुपये जुर्माना देना होगा

इसके साथ ही दो से 8 हफ्तों के लाइसेंस सस्पेंड होगा और रिफ्रेशर कोर्स के लिए जाना होगा। कई बार अलग-अलग कारणों से आप समय पर बीमा का प्रीमियम नहीं भर पाते हैं। यह एक गलती है, लेकिन क्या इसकी इतनी बड़ी सज़ा होनी चाहिए कि वह प्रीमियम से भी ज्यादा हो।

ड्राफ्ट में लिखा है कि बिना बीमा के स्कूटर या मोटरसाइकिल चलाने पर 10,000 की फाइन, कार चलाने पर 25,000 की फाइन और अन्य श्रेणी की गाड़ियां चलाने पर 75,000 रुपये की फाइन।

इस कानून में कई अच्छी बातें भी हैं, जैसे कोई निर्माता खराब कार देगा तो पांच लाख तक का जुर्माना उस पर लगेगा। एंबुलेंस या आपात गाड़ियों को जगह न देने वालों को भी जुर्माना भरना होगा। आपकी कार से किसी की मौत हुई, तो चार लाख रुपये देने होंगे। लेकिन मेरा फोकस मूलत जुर्माना राशि पर है।

मौत के मामले में अधिकतम जुर्माना तो समझ सकते हैं, लेकिन रेड लाइट जम्प करने से लेकर बिना बीमा की कार चलाने की फाइन इतनी न हो कि हालत अमरीका जैसी हो जाए। हालांकि ये मौसादा दुनिया के कई देशों के आधार पर ही तैयार किया गया है। मगर कोई भी कानून उस देश के सामाजिक आर्थिक दायरे से निकल कर आना चाहिए।

सबके पास कार हैं इसका मतलब यह नहीं कि सब अमीर हैं या इतने सक्षम हैं कि 25,000 रुपये जुर्माना भर सकेंगे। इन कारों में ड्राईवर भी होते हैं। कई मामलों में जुर्माना राशि या तो उनकी तनख्वाह के बराबर है या उससे भी ज्यादा। मालिक जब इनकी तनख्वाह से काटेगा तो उसके सामाजिक आर्थिक असर के बारे में भी सोचिये, जिसकी तरफ वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट इशारा करती है।

हमारी सड़कों की जिम्मेदारी कौन लेगा। कई जगहों पर सड़कों पर अतिक्रमण हैं, कई जगहों पर खराब होती हैं, कई जगहों पर रेड लाइट काम नहीं करती या फिर बिजली के खंभे से ढंकी होती है।

लेकिन आप सरकार का मकसद और उसकी मजबूरी भी समझिये। हर साल हम ही उसके सामने यह आंकड़ा पेश करते हैं कि इस साल भी मुल्क में तीन लाख लोग सड़क दुघर्टना में मारे गए हैं। आपने क्या किया? क्या यह सही नहीं है कि हमसे अनजाने में ग़लती होती है, तो हममें से कई जानबूझ कर लापरवाही करते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि ट्रैफिक नियम सख्त नहीं हैं। तो सरकार उन नियमों को सख्त क्यों न करें? लेकिन क्या सख्त करने का यही एक रास्ता है कि जुर्माना की राशि इतनी हो कि उसे न देने के जुर्म में ही कोई जेल चला जाए। सिर्फ मौत या अक्षमता के मामलों को छोड़कर।

(प्राइम टाइम इंट्रो)

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