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This Article is From Sep 16, 2016

बिहार में पिक्चर पॉलिटिक्स : किसका दामन ज्यादा दागदार...

Mihir Gautam
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    सितंबर 16, 2016 21:11 pm IST
    • Published On सितंबर 16, 2016 20:33 pm IST
    • Last Updated On सितंबर 16, 2016 21:11 pm IST
शहाबुद्दीन की जेल से रिहाई के बाद शुरू हुई सियासत थमती तो नहीं दिख रही, हां दिशा बदली जरूर है. अब लड़ाई सिर्फ प्रेस कॉन्फ्रेंस और टीवी कैमरे के सामने आरोपों की नहीं है. एक के बाद एक तस्वीरें जारी हो रही हैं और इन तस्वीरों के आधार पर एक-दूसरे को अपराधियों का हितैषी साबित करने का मौका कोई नहीं चूक रहा. अचानक कई तस्वीरें सामने आई हैं. कौन दे रहा है, क्यों दे रहा है.... अपने फायदे-नुकसान के हिसाब से एक के बाद एक तस्वीरें. हर तस्वीर का मकसद विरोधी को अपराधियों का करीबी साबित करना है.

जब शहाबुद्दीन रिहा हुए तो बीजेपी कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर नीतीश सरकार पर हमलावर हो गई. सबसे ज्यादा निशाने पर लालू यादव की पार्टी और नेता रहे. 14 सितंबर को बिहार में बीजेपी का चेहरा और पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने लालू प्रसाद के बेटे और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव की तस्वीर सोशल साइट पर डाली. सुशील मोदी का दावा था कि तस्वीर में शार्प शूटर के साथ तेज प्रताप यादव हैं. उन्होंने सवाल उठाया अब कहां गया नीतीश कुमार का सुशासन.
 
15 सितंबर को लालू प्रसाद और बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने सोशल साइटों पर मोर्चा संभाल लिया. सिर्फ विरोधी दल ही नहीं मीडिया पर सवाल उठाए गए..तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री की कुछ तस्वीरें जारी कर सवाल रखे और एक के बाद एक कई ट्वीट किए. हर ट्वीट को लालू यादव रीट्वीट करते रहे और लालू यादव के ट्वीट को तेजस्वी.

16 सितंबर को दोपहर में तेजस्वी यादव ने फिर से हमला शुरू किया और बीजेपी के केंद्रीय मंत्री और नेताओं की तस्वीरें जारी कीं. उनका दावा है कि इन तस्वीरों में जो शख्स दिख रहा है वह शार्प शूटर है, वह भी एक नहीं दो-दो. शाम होते-होते लालू यादव ने सोशल साइट पर नसीहत दी कि टीआरपी सब कुछ नहीं, पत्रकारिता धर्म है.

दूसरा खेमा भी खामोश नहीं है. सुशील मोदी ने 16 सिंतबर को शहाबुद्दीन की एक तस्वीर डाली है, जिसमें उनका दावा है कि साथ में जो शख्स है वह भी एक शूटर है. दोनों तरफ से कोशिश यह बताने की है कि तुम्हारा दामन ज्यादा दागदार है.

हालांकि नीतीश कुमार अभी इस पिक्चर पॉलिटिक्स से दूर हैं और फिलहाल सोशल साइटों पर अपनी मुलाकात और योजनाओं से जुड़ी बातें ही पोस्ट कर रहे हैं. फिर भी सवाल यह उठता है कि क्या बिहार में सिर्फ किसी एक दल में अपराधी हैं या फिर अपने अपराधी को कम खतरनाक और दूसरे को ज्यादा बताकर जनता को भरमाने की कोशिश हो रही है?

मिहिर गौतम एनडीटीवी इंडिया में एसोसिएट न्यूज़ एडिटर हैं.

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