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This Article is From Nov 06, 2018

क्या कहता है कर्नाटक...

Manoranjan Bharati
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    नवंबर 06, 2018 20:52 pm IST
    • Published On नवंबर 06, 2018 20:52 pm IST
    • Last Updated On नवंबर 06, 2018 20:52 pm IST
कनार्टक में पांच सीटों पर उपचुनाव हुए हैं जिनमें से चार सीटों पर कांग्रेस-जेडीयू गठबंधन ने जीत दर्ज की है. कर्नाटक में विधानसभा की दो सीटों के लिए चुनाव हुए जिसमें जामकंडी सीट को कांग्रेस के न्यामागौड़ा ने करीब 40 हजार वोटों से जीता. जबकि रामनगरम की सीट को मुख्यमंत्री की पत्नी अनिता कुमारास्वामी ने एक लाख वोटों के जीता. यहां बीजेपी के साथ एक अजीब हादसा हो गया था. बीजेपी के उम्मीदवार ने मतदान के तीन दिन पहले कांग्रेस में शामिल होने का ऐलान कर दिया जिससे बीजेपी के पास हाथ मलने के अलावा कोई और चारा नहीं रह गया था. वहीं बेल्लारी की लोकसभा सीट को कांग्रेस ने करीब ढाई लाख वोटों से जीता है जबकि जेडीएस के शिवरामेगौड़ा ने मांडया की सीट करीब सवा तीन लाख वोटों से जीती है. जबकि बीजेपी को केवल एक ही जगह सफलता मिली वो है शिमोगा जहां येदियुरप्पा की सीट से उनके बेटे राघवेन्द्र ने 50 हजार वोटों से जीत दर्ज की.

यहां पर बेल्लारी लोकसभा सीट का जिक्र करना जरूरी है क्योंकि 2004 से लेकर अभी तक यह सीट बीजेपी के कब्जे में रही और सबसे मजेदार बात है कि एक उपचुनाव में बीजेपी यह सीट हार जाती है. वह भी तब जब 7-8 महीनों बाद फिर से लोकसभा के चुनाव होने वाले हों. वैसे बेल्लारी की सीट से सोनिया गांधी भी जीत चुकी हैं 1999 में. मगर यह सीट उसके बाद कांग्रेस के हाथ से निकल गई. दरअसल बेल्लारी जाना जाता है रेड्डी बंधुओं के लिए खासकर जर्नादन रेड्डी और उनके दो भाई करूणाकरण और सोमशेखर रेड्डी के लिए. ये खनन माफिया के रूप में जाने जाते हैं जिनके पास अकूत संपत्ति है. एक समय में जर्नादन रेड्डी ने 43 करोड़ का सोने और हीरे से जड़ा मुकुट तिरूपति में भगवान को चढ़ाया था. ये हमेशा से बीजेपी के सर्मथक रहे हैं. वो तस्वीर लोगों को अभी भी याद है जिसमें सुषमा स्वराज ने जर्नादन रेड्डी और उनके भाई के सिर पर हाथ रखा हुआ है.

खैर, इन तमाम चीजों के अलावा बेल्लारी का चुनाव इसलिए महत्वपूर्ण है कि कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन को लेकर तमाम तरह की बातें कही जाती रही हैं. यहां तक कहा गया कि यह सरकार 2019 तक चल नहीं पाएगी यह भी कहा गया कि केवल येदियुरप्पा ही कर्नाटक को अच्छी सरकार दे सकते हैं. मगर इस जीत ने सभी अटकलों पर पानी फेर दिया.

कर्नाटक ने यह साबित कर दिया कि जरूरी नहीं है कि चुनाव के लिए कोई देशव्यापी गठबंधन हो. कर्नाटक ने साबित किया कि यदि कांग्रेस विभिन्न राज्यों में बीजेपी विरोधी पार्टियों से गठबंधन करती है तो भी बीजेपी को शिकस्त दी जा सकती है. जैसे कर्नाटक में जेडीएस, तमिलनाडु में डीएमके, आंध्र में तेलगुदेशम, बिहार में आरजेडी, उत्तरप्रदेश में सपा और बसपा, यदि ये समाकरण भी तैयार कर लिए जांए तो 2019 में बीजेपी को कङ़ी टक्कर दी जा सकती है.

राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल और उत्तराखंड में कांग्रेस और बीजेपी की सीधी टक्कर है मगर बीजेपी की दिक्कत है वह इन राज्यों में अपने चरम सीमा तक जा चुकी है और उससे अच्‍छा प्रदर्शन नहीं किया जा सकता है. यही वजह है कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कर्नाटक के इस उपचुनाव का महत्व काफी बढ़ गया है. इसने एक रास्ता दिखाया है कि किस तरह एक बड़ा और एक छोटा दल मिल कर जीत का रास्ता बना सकते हैं. बस साथ रहने की जरूरत है और 2019 के लिए एक नई सरकार के लिए दिल्ली दूर नहीं है.

(मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में 'सीनियर एक्ज़ीक्यूटिव एडिटर - पॉलिटिकल न्यूज़' हैं...)

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति NDTV उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार NDTV के नहीं हैं, तथा NDTV उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है...

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