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This Article is From May 16, 2023

कर्नाटक CM की रेस में सिद्धारमैया चल रहे हैं आगे

Manoranjan Bharati
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    मई 16, 2023 17:30 pm IST
    • Published On मई 16, 2023 17:27 pm IST
    • Last Updated On मई 16, 2023 17:30 pm IST

कर्नाटक के मुख्यमंत्री की दौड़ में सिद्धारमैया सबसे आगे चल रहे हैं. डी के शिवकुमार भी है मगर सिद्धारमैया उनसे आगे हैं.  इसके कई कारण हैं. सबसे प्रमुख कारण है राहुल गांधी की पसंद सिद्धारमैया बताए जाते हैं. इसके पीछे कई कारण गिनाए जा रहे हैं. सबसे प्रमुख कारण है कि सिद्धारमैया को पूरे कर्नाटक का नेता माना जाता है. OBC कुरबा जाति से आने के बावजूद उनकी पकड़ सभी वर्गों में है. कर्नाटक में चुनाव से पहले हुए सर्वे में भी मुख्यमंत्री के तौर पर लोगों की पहली पसंद सिद्धारमैया ही रहे हैं. बाकी नेता तो उनकी लोकप्रियता में काफी पीछे थे. जेडीएस से कांग्रेस में आने के बावजूद सिद्धारमैया कांग्रेस में काफी लोकप्रिय हैं.

सूत्रों के मुताबिक, कर्नाटक में कांग्रेस विधायक दल की जो बैठक हुई उसमें भी सबसे अधिक विधायकों ने सिद्धारमैया के पक्ष में वोट डाला है. सिद्धारमैया के पास पूरे पांच साल तक सरकार चलाने का अनुभव है और उनकी कर्नाटक के मुस्लिम, OBC और दलित वोटरों पर मजबूत पकड़ मानी जाती है. लेकिन कुछ बातें हैं जो सिद्धारमैया के पक्ष में नहीं जाती हैं वो है उनका कांग्रेस में बाहरी होना. वो जेडीएस से कांग्रेस में आए. फिर 2018 में मुख्यमंत्री रहते हुए सिद्धारमैया कांग्रेस को दुबारा सत्ता में नहीं ला पाए. कांग्रेस ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाया, विपक्ष का नेता बनाया और उनके विरोधियों का कहना है कि सिद्धारमैया कर्नाटक की राजनीति में अपनी पारी खेल चुके हैं और कांग्रेस को भविष्य की ओर देखते हुए किसी नए नेतृत्व को आगे लाना चाहिए. सिद्धारमैया 75 साल के हो चुके हैं. लेकिन फिर भी उनका मौका बन सकता है. कांग्रेस सिद्धारमैया को 2024 के लोकसभा चुनाव तक अच्छे परिणाम की गारंटी ले कर मुख्यमंत्री बना सकती है. वैसे भी सिद्धारमैया कह चुके हैं कि यह उनका आखिरी चुनाव है.

अब बात करते है डी के शिवकुमार की. उनकी सबसे बड़ी ताकत है कि कांग्रेस में वो काफी नीचे से कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचे हैं. शिवकुमार यूथ कांग्रेस में रहे और 1985 में देवगौड़ा के खिलाफ चुनाव लड़े और केवल 15 हजार वोटों से हारे. शिवकुमार 1989 में पहली बार विधायक बने और इस बार 7वीं बार चुनाव जीते हैं. कांग्रेस के संकट मोचक माने जाते हैं. गुजरात के विधायकों को कर्नाटक में ठहराने का जिम्मा भी सोनिया गांधी ने उन्हीं को दिया था. सोनिया गांधी के काफी करीबी हैं. यहां तक कि जब शिवकुमार तिहाड़ जेल में बंद थे तो सोनिया गांधी उन्हें देखने तिहाड़ तक गई थीं. प्रियंका भी उन्हें पसंद करती हैं. प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते संगठन पर उनकी पकड़ है. 

मगर जो बातें उनके खिलाफ जाती हैं, उनमें सबसे प्रमुख है कि उन पर ED,IT,CBI के मुकदमे हैं और वो जेल भी जा चुके हैं. उनकी पकड़ पुराने मैसूर के इलाके तक मानी जाती है. लेकिन उनके पास मौका है कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते उनका मुख्यमंत्री पद पर दावा बनता है. यदि शिवकुमार को बनाया गया तो वोक्कालिगा होने के नाते कांग्रेस के वोट बैंक में एक और जाति के वोट जुड़ सकते हैं, जो अभी तक दवगौड़ा परिवार या जेडीएस का माने जाते रहे हैं.

शिवकुमार भले ही 1985 में देवगौड़ा से चुनाव हार गए थे कि मगर उसका बदला उन्होंने 1999 में कुमारास्वामी को हरा कर ले लिया है. एक और बात है कि 2013 में जब सिद्धारमैया मुख्यमंत्री बने थे तब उन्होंने शिवकुमार पर कुछ अदालती मामलों की वजह से मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया था. मगर 6 महीने बाद कांग्रेस आलाकमान के दबाब में सिद्धारमैया को शिवकुमार को अपने कैबिनेट में लेना पड़ा. मौजूदा हालत में भी सिद्धारमैया और डी के शिवकुमार के बीच मुख्यमंत्री की रेस जारी है. मगर फिलहाल सिद्धारमैया आगे चल रहे हैं. अगले 24 घंटे दोनों के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं.

मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में मैनेजिंग एडिटर हैं...

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.

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