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This Article is From Apr 06, 2023

एके एंटनी के बेटे के BJP में शामिल होने के क्या हैं सियासी मायने?

Manoranjan Bharati
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    April 06, 2023 23:00 IST
    • Published On April 06, 2023 23:00 IST
    • Last Updated On April 06, 2023 23:00 IST

एके एंटनी, पुराने कांग्रेसी, पूर्व रक्षा मंत्री, केरल के पूर्व मुख्यमंत्री, 10 जनपथ के काफी करीबी, सोनिया गांधी के राइट हैंड मैन माने गए, कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य रहे, जब भी कांग्रेस संकट में रही तो सोनिया गांधी ने उनका रुख किया. गुरुवार को एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी ने कांग्रेस का साथ छोड़ कर बीजेपी का दामन थाम लिया. हालाकि, ये कोई नई बात नहीं है, जो भी राजनीति पर नजर रखते हैं खासकर कि केरल की राजनीति पर उनको पता था कि ये होने वाला है.

इसी साल जनवरी के आखिरी में अनिल एंटनी ने कांग्रेस छोड़ दी थी. पीएम मोदी को लेकर बीबीसी ने जो डॉक्यूमेंट्री बनाई थी, उसको लेकर कांग्रेस के रुख से अनिल एंटनी नाराज दिखे थे. कांग्रेस की स्टूडेंट यूनियन ने बैन होने के बाद भी इस डॉक्यूमेंट्री को दिखाया था, जिसको लेकर अनिल एंटनी ने विरोध किया था. उनका कहना था कि इसमें प्रधानमंत्री के बारे में ठीक नहीं कहा गया है, ये सही नहीं है और हमें इसका विरोध करना चाहिए.

अनिल एंटनी इंजीनियर रहे हैं, इन्होंने अपनी पढ़ाई तिरुवनंतपुरम में की थी. इसके बाद स्टेडफोर्ड यूनिवर्सिटी कैलिफॉर्निया चले गए. कांग्रेस ने इन्हें अपनी आईटी सेल में जगह दी और वायनाड में राहुल गांधी जब लोकसभा का चुनाव लड़ने गए तो अनिल ने ही राहुल गांधी का सोशल मीडिया कैम्पेन संभाला था.

एके एंटनी को जितने भी लोग जानते हैं वो यह भी जानते हैं कि वो सोनिया गांधी के काफी करीबी रहे हैं. कभी भी एके एंटनी की ईमानदारी पर किसी ने भी शक नहीं किया. नरसिम्हा राव मंत्रिमंडल में महज कुछ आरोप लगने पर उन्होंने इस्तीफा दे दिया था. उनके बारे में एक कहावत है कि वह अपना इस्तीफा अपनी जेब में लेकर चलते हैं. कांग्रेस और देश की राजनीति में लोग उनकी ईमानदारी की कसमें खाते रहें.

अनिल के इस्तीफे को लेकर एके एंटनी से जब सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि इस फैसले से मैं बहुत दुखी हूं और उनका यह फैसला सही नहीं है. उन्होंने साफ कहा कि वह कांग्रेसी हैं और मरते दम तक कांग्रेसी रहेंगे साथ ही बीजेपी की नीतियों का विरोध करते रहेंगे.

अनिल का कोई राजनीतिक करियर नहीं रहा है लेकिन बीजेपी को इस फैसले से भी फायदा है. केरल के पत्रकारों का कहना है कि बीजेपी को लगता है कि इसाई समुदाय के वोटों के लिए इस तरह के नाम का उनकी पार्टी में होना जरूरी है, क्योंकि एके एंटनी को लोगों से बहुत प्यार मिला है.

एंटनी लेटिन कैथलिक समुदाय से आते हैं. कोस्टल इलाकों में इनका 13.2 फीसदी वोट माना जाता है. पूरी केरल की आबादी का ढ़ाई प्रतिशत ये हैं. बीजेपी को लगता है कि इसके ज़रिए इस आबादी तक वो पहुंच पाएंगे. इसके अलावा बीजेपी पर आरोप लगता है कि बीजेपी हिंदूवादी पार्टी है तो इस फैसले से यह आरोप भी हट सकता है. बीजेपी दिखाना चाहती है कि हमारी पार्टी में इसाई भी हैं.

कई दिनों पहले कांग्रेस प्रवक्ता टॉम पडक्कन ने भी बीजेपी का दामन थामा था. मेट्रो मैन ई श्रीधरन पहले से ही बीजेपी में हैं. बीजेपी इन छोटी-छोटी चीज़ों का ध्यान रखती आई है. केरल में जगह बनाने के लिए छोटी-छोटी चीज़ों को पकड़ना बीजेपी के लिए जरूरी है. अनिल का बीजेपी में आना भी इसी रूप में देखा जा सकता है. बीजेपी की यह रणनीति केरल के ईसाइयों में पैठ बनाना है.

मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में मैनेजिंग एडिटर हैं...

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.

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