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This Article is From Nov 25, 2018

मध्य प्रदेश: शिवपुरी की कोठी नंबर 17

Ravish Ranjan Shukla
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    नवंबर 25, 2018 15:35 pm IST
    • Published On नवंबर 25, 2018 14:12 pm IST
    • Last Updated On नवंबर 25, 2018 15:35 pm IST
शनिवार को ग्वालियर से करीब 110 किमी की दूरी तय करके शिवपुरी पहुंचा. रोड बहुत अच्छी बनी है लेकिन जैसे ही आप शिवपुरी शहर में दाखिल होंगे आपको पता लगेगा कि धूल की चादर में लिपटा शिवपुरी का विकास उस तरीके का नहीं हुआ जिसका ये हकदार था. सिंधिया घराने की छाप ग्वालियर की तरह यहां भी हर जगह दिखती है. सिंधिया राजपरिवार ने इसे अपनी रियासत की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया था. इस शहर को विकसित करने में माधवराव सिंघिया प्रथम का बहुत योगदान था. दूसरा अंग्रेजों की बड़ी छावनी होने के नाते 1900 वी शताब्दी में इसे बड़े तरीके से बसाया गया था. यहां के पुराने बाशिंदे और हमारे स्थानीय रिपोर्टर अतुल गौड़ बताते हैं कि प्रसिद्ध इंजीनियर विश्वशरैया ने इस शहर के आधुनिकीकरण की नींव रखी थी.

इस शहर में 52 कोठी, 52 कचेहरी और 52 तालाब थे. लेकिन आज तालाब को पाटकर लोगों ने घर बना लिए अब महज छह तालाब ही बचे हैं. कोठियों की जहां तक बात है यहां की सबसे मशहूर कोठी है कोठी नंबर 17....अंग्रेज अधिकारियों के रहने के लिए बनाई गई इसी कोठी में तात्या टोपे को फांसी से पहले रखा गया था. तात्या टोपे 1857 की क्रांति में झांसी की रानी के खास सहयोगी थे. उन्हें 8 अप्रैल 1859 को पारोन के जंगलों से पकड़ा गया और इसी कोठी में उनका कोर्ट मार्शल करके शिवपुरी शहर के बाहर फांसी दे दी गई थी. फांसी वाली जगह पर अब उनकी मूर्ति लगी है.यहां के लोग कहते हैं कि ये तात्याटोपे की ये मूर्ति धीरे धीरे घूम रही है. वो जिस दिशा की ओर देख रहे हैं उसी ओर विकास हो रहा है.

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जबकि शिवपुरी से तीन बार की विधायक यशोदाराजे सिंधिया रह चुकी हैं. चौथीबार वो मैदान में हैं. लेकिन मूर्ति के घूमने की बात मेरे पल्ले पड़ी नहीं...खैर कोठी नंबर 17 अब संग्राहलय के तौर पर बनी है शनिवार को बंद रहने के कारण आपको तात्या टोपे से जुड़ी चीजों को नहीं दिखा पा रहा हूं. यहां माधव राष्ट्रीय उद्यान है. जो माधव राव सिंधिया प्रथम के पसंदीदा जगहों में से एक था. यहां शेर के खत्म होने से अब इस राष्ट्रीय उद्यान की चमक फीकी पड़ गई है. यहां से निकल कर अब पुराने शिवपुरी के अहीर टोले जा रहा हूं जहां यशोदाराजे की नुक्कड़ सभा है.....

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(रवीश रंजन शुक्ला एनडटीवी इंडिया में रिपोर्टर हैं.)

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