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This Article is From Mar 02, 2017

सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए शोभा डे को लिखी खुली चिट्ठी

Kranti Sambhav
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    मार्च 02, 2017 10:04 am IST
    • Published On मार्च 02, 2017 10:00 am IST
    • Last Updated On मार्च 02, 2017 10:04 am IST
शोभा जी, प्रणाम...

(*अब 'डियर' तो लिख नहीं सकते, क्योंकि 'डियर' बोलने पर मंत्री जी ने दूसरे नेता की भावनाओं को ऐसा थकूच दिया कि डियर पार्क से भी छिटका-छिटका रहता हूं... 'प्रिय' भी नहीं लिख सकता, क्योंकि मुझे शक है कि मेरी स्वच्छंदता से जलने वाले मेरे मित्र इस चिट्ठी का प्रिंटआउट मेरी पत्नी तक पहुंचा सकते हैं, और रही बात 'आदरणीय' की, तो वह सिर्फ हमारी स्कूल प्रिंसिपल रही हैं... तो 'ब्वायल डाउन' करके जो बचा, वही संबोधन लिख रहा हूं...)

मैडम, ऐसा नहीं कि पहली बार सत्य का कोई नया पहलू उजागर हुआ है... यह आदिकाल से होता आया है, आगे भी होता रहेगा... बाकी हां, यह मान लेंगे कि आजकल गैप हो जाता है... एकांगी सत्य आकर निकल जाता है, उसको हम नोच-खसोटकर समझ नहीं पाते ठीक से... ख़ैर, जैसा कि हम कह रहे थे, पहले भी कुछेक खगोलीय घटनाओं के तहत सत्य के सबऑल्टर्न सत्यों का उद्घाटन होता रहा है, पर चूंकि उनमें मेरी कोई भी भूमिका, यहां तक कि सबसे पहले साउंड बाइट देने वाले प्रत्यक्षदर्शी के कंधे के पीछे खड़े गवाह के तौर पर भी नहीं, ताकि अपने साइकिल पंक्चर लगाने वाले को बोल पाएं कि टीवी वाला इंटरव्यू लिया था, तो इसलिए मेरी इस चिट्ठी को अभूतपूर्व मत समझिएगा...

भूतकाल में कई भूत रहे हैं, जिन्होंने सत्योद्घाटन में अभूतपूर्व भूमिका निभाई थी, पर उन सबसे अभिभूत होने का टाइम नहीं है, क्योंकि समसामयिक विषयों पर सेलिब्रिटियों को लिखी चिट्ठी के वायरल होने की आदर्श डेडलाइन खत्म हो चुकी है... पर नॉन-आदर्श पीक ऑवर में अपनी ज़िम्मेदारी का एहसास हुआ तो स्वयं को रोक नहीं पाया... आपके ट्विटर हैंडिल से पता चला है कि आप सुदूर पश्चिमी यूरोपीय देश के दृश्यों का आनंद ले रही हैं... जो हाल में कोलाहल हुआ है, उससे अनवाइंड करना ज़रूरी भी है...

दरअसल, गोवा में शूटिंग करते वक्त नारियल वृक्ष के नीचे यह ज्ञान हुआ कि दरअसल परवर्ती सत्य कई बार सत्य को डिफाइन कर देते हैं, जो महानता पहली नज़र में पकड़ में नहीं आती है... और यह अद्भुतता तब घटी, जब मैं सोशल मीडिया से दो-तीन घंटे दूर था... आप भी ट्राई कीजिएगा... आपकी प्रज्ञा इतनी रीजूविनेट हो जाती है कि सत्य चाहे कितनी भी कोशिश करे, अपनी लुंगी बचा नहीं पाता है, पकड़ में आ ही जाता है... तो आपने सत्य के सबसे उत्कृष्ट पटल ट्विटर पर जो भी सत्य लिखा, उससे पूरा देश विचलित हो गया (*देश, यानी सोशल मीडिया पढ़ें)... एक पूर्व सुंदरी, मॉडल, लेखिका इत्यादि के हिसाब से एक टुच्चा-सा ट्वीट निकला आपके हैंडल से... अब मैडम, लुच्चा तो सर्वमान्य हो चुका है, पर टुच्चा पाठ्यक्रम में आने की प्रक्रिया में ही है... धीरे-धीरे वह भी मानक भाषा में शामिल हो पाएगा... पर जब तक वह नहीं होता है, तब तक टुच्चे ट्वीट पर विद्वानों की राय बंटी ही हुई है...

ख़ैर, आपने तो ट्वीट एक आदर्श प्रयास के तहत किया था, क्योंकि आपकी मुहिम समाज को हेल्दी लाइफस्टाइल की तरफ धकेलना है... केवल सेलिब्रिटी की ज़िम्मेदारी नहीं कि वह फ़िट रहे... दौलतराम जोगावत पुलिस वाले की भी है... मन जब ऐसा साफ हो, तो डरना क्या...? अब आप डीयू की छात्रा तो हैं नहीं कि पुलिस को सुझाव देने से रहेंगी... समस्या यही कि उतना साफ मन हम लोगों का तो है नहीं... तो हो गए आहत... आहत होने को भले एक तबका राष्ट्रीय टाइमपास साबित करने की कोशिश करे, लेकिन असल सत्य है कि यह भी हमारे देशव्यापी कर्तव्यों में से एक है... अपराधबोध वैसे भी एक मिडिलक्लास विकृति है, पर फिर भी आपको बता दें कि लोगों की ट्रोलिंग से विचलित मत हों...

ऐसा तो था नहीं कि दौलतराम जोगावत की तस्वीर पहले व्हॉट्सऐप पर नहीं फैली थी... या उसका कोई 'मीम' नहीं बना था... लोगों ने चकल्लस में इसे एक दूसरे से बांटा है, बांटते हुए देखा है और हमने कुछ नहीं कहा है... मैडम, अंदर की बात बताऊं तो यह सोशल मीडिया पर गालीगलौज दरअसल हमारा डिफ़ेंस मैकेनिज़्म है, आपको कोसकर हम फिर से दौलतराम की फोटो शेयर करना शुरू कर सकते हैं... मुझे पता है कि आपको यह बात बुरी लगेगी, हर्ट हो सकती हैं, बट बी रीयल, अब अंदर से तो हम और आप सेम हैं न...! वही मीम, उन्हीं फूहड़ चुटकुलों का रसास्वादन, लोल... फर्क सिर्फ ये यह कि आपके ट्विटर फॉलोअर ज़्यादा हैं, हमारे कम... आप सेलिब्रिटी हैं, हम नहीं... आप पेज थ्री हैं, हम फुटनोट भी नहीं... तो इसीलिए आप आदर्श व्यवहार के लिए मनोनीत कर दी गई हैं, जिससे अपना पिंड छूटता है... आप तो पहले से इतनी गंभीर संभ्रांत महिला हैं, अब इससे भी ज़्यादा संभ्रांत हो जाएं, तो नेता न बन जाएं...

तो आप लोड मत लीजिएगा सोशल मीडिया पर हमारी कुंठा का... आप ट्वीट करती रहिए... सामाजिक सरोकारों से जुड़ी संवेदनशील कृतियां ऐसे ही लिखते रहिए... देखिए न, आपके लिखे ने ही तो आखिरकार दौलतराम जोगावत की बीमारी का इलाज मुमकिन करवाया है... नहीं तो मुंबई पुलिस ने पहले ही ट्वीट में दौलतराम से ऐसे पल्ला झाड़ा था, जैसे यूपी में बिजली से पॉवर मिनिस्टर ने...

...तो आप संघर्ष कीजिए, हम सबको आपके साथ आना ही पड़ेगा... बाक़ी एक वक़्त आएगा, जब लोगों को पता चलेगा कि 38 साल के करियर में जिन दौलतराम जोगावत के इलाज के लिए मुंबई पुलिस, एमपी पुलिस या इन ट्विटर ट्रोलों की अंटी से एक रुपया नहीं निकला, अब उनका इलाज हो रहा है... तो थोड़े दिनों में देखिएगा, आपसे ट्रोलियाने के लिए लोगों की कैसी भीड़ लगती है... जब मोक्ष आपके ट्विटर हैंडिल से तरने के बाद ही मिलेगा, तो फिर श्रद्धालु वहीं तो आएंगे न... आप गलती से माफी मत मांग लीजिएगा अपने ट्वीट पर, अभी बहुत से दौलतरामों के भविष्य को संवारना है... ऐसा कीजिए, जाकर सेल्फी ले लीजिए पुलिसवाले के साथ, आगे स्पॉन्सरशिप भी मिल सकता है... बहुत स्कोप है मैडम, समाज का कल्याण करना है कि विष तो कंठोगत करना पड़ेगा... और इतना पढ़कर आप यह तो समझ ही गई होंगी कि मेरी बातों में एक कालजयी फील है, क्योंकि मैं भविष्य की ऐतिहासिकता को भी पढ़ सकता हूं... सो चियर्स एंड पीस...

भवदीय

देश का सबसे तेज़ी से उभरने वाला वायरल चिट्ठी लेखक

क्रांति संभव NDTV इंडिया में एसोसिएट एडिटर और एंकर हैं...

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