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This Article is From Jan 25, 2019

गणतंत्र दिवस पर हमारे मेहमान दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति को जानें...

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जनवरी 25, 2019 17:18 pm IST
    • Published On जनवरी 25, 2019 17:18 pm IST
    • Last Updated On जनवरी 25, 2019 17:18 pm IST

शिक्षा, कला, विटेंज वाइन और तेज़ रफ़्तार से भागने वाली कारों का सुख सिर्फ अमीरों तक सीमित नहीं रहना चाहिए. यह उस शख्स का कहना था जो एक मजदूर नेता के तौर पर राजनीतिक यात्रा शुरू करता है और दक्षिण अफ्रीका का राष्ट्रपति बनता है. सीरिल रामाफोसा भारत के गणतंत्र दिवस समारोह के मेहमान हैं.

रंगभेद के समय हर सुख सुविधा पर श्वेत लोगों के कब्ज़े के विरोध में रामाफोसा फर्स्ट क्लास में चला करते थे और महंगे होटलों में रुका करते थे. 1999 में जब नेल्सन मंडेला से पार्टी में नेतृत्व की लड़ाई हार गए तब राजनीति छोड़ बिजनेस की तरफ चले गए और दक्षिण अफ्रीका के अमीर लोगों में शुमार हो गए. बिजनेस की दुनिया में उनकी रातों रात अमीरी को लेकर कई किस्से चलते रहते हैं. एक दशक तक राजनीति छोड़ बिजनेस करने वाले रामाफोसा ने जब एक कंपनी में अपना शेयर बेचा तो उनके पास 580 मिलियन डॉलर आ गए. वे दक्षिण अफ्रीका के अमीर लोगों में से एक हैं.

ट्रेड यूनियन लीडर के रूप में 1987 की हड़ताल ने रंगभेदी सरकार को हिला दिया था. मगर वही रामाफोसा मज़दूरों की हत्या पर खनन कंपनी का साथ देने लगे. 2012 में एक मल्टीनेशनल कंपनी में हड़ताल कर रहे मज़दूरों पर पुलिस ने गोली चला दी. 34 मज़दूर मारे गए. रामाफोसा ने उस कंपनी के निदेशक के तौर पर हड़ताली मज़दूरों पर सख़्त कार्रवाई करने की बात कर दी. पूरे देश में इतनी आलोचना हुई कि नेशनल रेडियो पर आकर मांफी मांगनी पड़ गई. पिछले साल रामाफोसा दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति बने हैं.

बस यूं ही इच्छा हुई कि आज सीरिल रामाफोसा पर रिसर्च करते हैं. इंटरनेट पर कई अखबारों की सामग्री से आप हिन्दी के पाठकों के लिए पेश कर रहा हूं. रामाफोसा उस पार्टी के नेता हैं जिसका दक्षिण अफ्रीका पर 25 साल से राज है. अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस. रामाफोसा से पहले ज़ुमा राष्ट्रपति थे जिन्हें भ्रष्टाचार के अनेक आरोपों के कारण हटा दिया था. रक्षा सौदों में उन पर 700 से अधिक आरोप लगे थे. उनकी सरकार के भ्रष्टाचार के किस्से अभी भी सामने आते रहते हैं. अब उसकी आंच राष्ट्रपति रामाफोसा पर भी पड़ने लगी है.

एक कंपनी है बोसासा. इसके बड़े अधिकारी ने दक्षिण अफ्रीका के जांच आयोग के सामने कह दिया है कि मंत्रियों ने उनसे रिश्वत ली है. आरोप है कि यह कंपनी अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस को बीस साल से फंड कर रही है जिसका लाभ भी मिला है. राष्ट्रपति रामाफोसा कहते हैं कि वे बेदाग़ हैं. बोसासा ने पार्टी को फंड दिया है और उनकी जानकारी में नहीं था. विपक्ष के नेताओं का कहना है कि इसी 7 फरवरी को जब संसद का सत्र शुरू होगा तो ज़ुमा की तरह रामाफोसा को भी जाना होगा. उन्हें पद से हटा दिया जाएगा.

दक्षिण अफ्रीका प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों का देश है. भयंकर आर्थिक असामनता है. अंतरराष्ट्रीय कारपोरेट की लूट का स्वर्ग कह सकते हैं. हाल ही में वहां से अजय गुप्ता और अतुल गुप्ता परिवार को भागना पड़ा था. दक्षिण अफ्रीका के वित्त राज्य मंत्री ने कहा दिया कि गुप्ता परिवार ने उन्हें वित्त मंत्री बनाने की पेशकश की थी. गुप्ता परिवार के पूर्व राष्ट्रपति ज़ुमा से काफी अच्छे संबंध बताए जाते हैं. ज़ाहिर है इस तरह की लूट का नुकसान जनता को भुगतना पड़ रहा है. जनता गरीबी में जी रही है. 9 साल के 10 बच्चों में से 9 को पढ़ना नहीं आता है. 30 प्रतिशत बेरोज़गारी बताई जाती है.

रंगभेद से निकल कर यह देश भ्रष्टाचार, हिंसा और गरीबी की भयंकर चपेट में है. पिछले साल इसकी मुद्रा में 13 प्रतिशत की गिरावट आई थी. दक्षिण अफ्रीका में ज़मीन के वितरण का मुद्दा काफी समय से चला आ रहा है. अभी तक सरकार की नीति थी कि जो भी श्वेत ज़मीन बेचेगा, सरकार ख़रीद कर वितरण करेगी. मगर इससे कुछ खास लाभ नहीं हुआ. संसद ने कानून पास कराया कि शहरी ज़मीन लेकर गरीबों में बांट देंगे. इससे ट्रंप बेचैन हो गए कि श्वेत किसानों की ज़मीन लेकर दूसरे को दी जा रही है. दक्षिण अफ्रीका ने ट्रंप के इस बयान का घोर विरोध किया था.

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