विज्ञापन
This Article is From Aug 18, 2020

भारत को पड़ोसियों की शंकाएं और नाराजगी दूर करना जरूरी

Kadambini Sharma
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अगस्त 18, 2020 20:50 pm IST
    • Published On अगस्त 18, 2020 20:50 pm IST
    • Last Updated On अगस्त 18, 2020 20:50 pm IST

भारत के विदेश सचिव कोविड के इस दौर में भी विदेश यात्रा पर निकले हैं. और उनकी यात्रा का मुकाम है पड़ोसी बांग्लादेश. असल में पिछले एक हफ्ते में अचानक पड़ोस के मामले में कूटनीति में तेज़ी आ गई है. क्योंकि विदेश सचिव बांग्लादेश दौरे पर हैं तो पहले उसी की बात करते हैं. ये अचानक दौरा इसलिए हुआ क्योंकि अब चीनी निवेश की लंबी बांहें बांग्लादेश पहुंच चुकी हैं. वहां के मीडिया ने रिपोर्ट किया है कि तीस्ता नदी के पानी के मैनेजमेंट के लिए चीन उसे एक बिलियन डॉलर या सात हज़ार करोड़ की मदद दे सकता है. तीस्ता नदी के पानी को आपस में बांटने को लेकर भारत और बांग्लादेश पिछले आठ साल से बात कर रहे हैं पर बात बनी नहीं है. 

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी  इस समझौते के खिलाफ हैं. इसकी वजह से साल में करीब दो महीने बांग्लादेश को तीस्ता का पानी बेहद कम मिलता है और इसलिए वो नदी पर एक बांध बनाकर उपलब्ध पानी का पूरा इस्तेमाल करना चाहता है. लेकिन बांग्लादेश को चीन की इस मदद का मतलब है भारत के साथ इस मुद्दे पर हर बात खत्म हो जाएगी. पिछले कुछ दिनों में राम मंदिर निर्माण को लेकर भी बांग्लादेश में सवाल उठे हैं. इस बीच पाकिस्तान के पीएम इमरान खान और बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना के बीच फोन पर बात हुई. बताया जा रहा है कि ये बातचीत कोविड के मसले पर हुई है. अब विदेश सचिव बांग्लादेश दौरे पर हैं.

दूसरा मसला है नेपाल का, जहां पर चीन की पकड़ बस मजबूत ही होती जा रही है. वो लगातार लोन के तौर पर नेपाल को मदद दे रहा है, बड़े निवेश कर रहा है. लेकिन भारत के साथ नेपाल के रिश्ते पिछले कुछ वक्त से मुश्किल में हैं. हालांकि अब इसी हफ्ते 15 अगस्त को नेपाल के पीएम केपी ओली और पीएम मोदी के बीच फोन पर बात हुई. दोनों नेताओं में अहम मुद्दों पर आगे चर्चा को लेकर सहमति बनी. ये बातचीत बेहद अहम इसलिए हो जाती है क्योंकि कालापानी - लिपुलेख- लिंपिधुरिया विवाद के बाद नेपाल ने भारत के इलाके को अपने में दिखाते हुए नया मानचित्र ही जारी कर दिया. यही नहीं पीएम ओली के राम के जन्मस्थान को लेकर दिए विवादास्पद बयान से भी एक अलग ही हंगामा खड़ा हो गया. भारत ने विवादास्पद मानचित्र पर साफ कहा था कि  कृत्रिम तरीके से बढ़ाए गए नेपाल के इलाके को वो स्वीकार नहीं करता और नेपाल को सीमा विवाद पर बातचीत के लिए एक सकरात्मक माहौल बनाना चाहिए. भारत लगातार ये कहता रहा है कि सीमा विवाद पर बातचीत कोविड 19 महामारी से निपटने के बाद ही हो सकती है. दोनों प्रधानमंत्रियों की बातचीत के बाद दोनों देशों के बीच नेपाल में भारत के सहयोग से चल रहे विकास के प्रोजेक्टों को लेकर एक उच्च स्तरीय बैठक भी हुई  जिसमें नेपाल के विदेश सचिव और नेपाल में भारत के राजदूत ने हिस्सा लिया. लेकिन इस रिश्ते पर जल्द और ज्यादा मेहनत की जरूरत है.

एक बैठक, जो पड़ोस में हुई है, उस पर भी भारत की नज़र है और चिंता भी. चार देशों की ये वर्चुअल बैठक बुलाई चीन ने, जिसमें अफगानिस्तान, नेपाल और पाकिस्तान के विदेश मंत्री शामिल हुए. चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने इसमें कोविड से निबटने और BRI- बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव के प्रोजेक्टों पर चारों देशों के सहयोग की बात की. इसी बैठक में चीन ने बाकी दोनों देशों को पाकिस्तान - उसके आयरन ब्रदर - से सीख लेकर सहयोग करने की बात की. ये बातचीत तब हुई है जब भारत और चीन के बीच LAC - लाइन ऑफ ऐक्चुअल कंट्रोल पर तनाव लगातार बना हुआ है.

साफ है भारत को पड़ोसियों की शंकाओं को, नाराजगी को दूर करना होगा और करीब से सहयोग करना होगा, वरना चीन के लगातार फैलते प्रभाव का सामना मुश्किल होगा.

कादम्बिनी शर्मा NDTV इंडिया में एंकर और एडिटर (फॉरेन अफेयर्स) हैं...

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) :इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति NDTV उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार NDTV के नहीं हैं, तथा NDTV उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com