केंद्र सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों के 'धन्यवाद मोदी जी' वाले पत्रों से लेकर मुंबई में लालबाग के डांडिया समारोह में अभिनय करने के लिए सुपरस्टार रणवीर सिंह की सेवा लेने तक BJP बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) चुनाव के लिए अपने प्रचार अभियान पर काफी मशक्कत कर रही है.
बृहन्मुंबई महानगरपालिका का सालाना बजट 40,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है. इस पर शासन करना किसी भी दल के लिए प्रतिष्ठा की बात होती है. इस साल BMC चुनाव राजनीतिक प्रतिष्ठा की लड़ाई ज्यादा प्रतीत होती है, क्योंकि शिवसेना के दोनों धड़े अपने आप को असली शिवसेना के रूप में स्थापित करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. इन दोनों धड़ों में एक तरफ शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे के बेटे उद्धव ठाकरे का गुट है, तो दूसरी तरफ मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का गुट है, जिसने हाल ही में BJP के साथ मिलकर उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से बेदखल किया है.
BJP का आक्रामक और मोटी धनराशि वाला चुनाव प्रचार अभियान पिछले महीने 5 सितंबर को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा बड़ी धूमधाम से शुरू किया गया था. तब शाह ने वित्तीय राजधानी में पार्टी कार्यकर्ताओं को न केवल संबोधित किया, बल्कि उनसे "उद्धव ठाकरे को सबक सिखाने" का भी आह्वान किया.
दशहरा के दिन, यानी 5 अक्टूबर को, शिवसेना के दोनों प्रतिस्पर्धी गुट रैलियां कर रहे हैं. पार्टी के लिए इस त्योहार का बड़ा महत्व रहा है, क्योंकि शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे हर साल मुंबई के शिवाजी पार्क में इस मौके पर पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते थे. हालांकि, शिवाजी पार्क में रैली करने के लिए CM एकनाथ शिंदे कानूनी लड़ाई हार चुके हैं. अब उन्हें अपनी रैली दूसरे सार्वजनिक पार्क में करने को मजबूर होना पड़ा है.
अपने दशहरा भाषणों में, बाल ठाकरे अपने ट्रेडमार्क अंदाज में जोशीले और भड़कीले भाषणों के साथ दुश्मनों पर तीखे हमले किया करते थे. उनके बेटे उद्धव ठाकरे और पोते आदित्य ठाकरे भी उनके साथ मंच साझा किया करते थे. दरअसल, दशहरे पर शिवाजी पार्क में ही बाल ठाकरे ने बेटे उद्धव ठाकरे को पार्टी के नए प्रमुख के रूप में लोगों के सामने पेश किया था.
एकनाथ शिंदे अपनी रैली के लिए आवंटित स्थान का तीन बार निरीक्षण कर चुके हैं. गौरतलब है कि उन्होंने अभी तक अपने डिप्टी देवेंद्र फडणवीस या महाराष्ट्र BJP में किसी अन्य को अपने कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया है. मैंने महाराष्ट्र के राजनीतिक परिदृश्य में जिन वरिष्ठ नेताओं से बात की, उन लोगों ने दो बातें स्पष्ट कीं - न बाल ठाकरे और न उद्धव ठाकरे ने भाजपा नेताओं को कभी अपने दशहरा कार्यक्रमों में आने की अनुमति दी, जबकि उनकी पार्टियां सहयोगी थीं; यह शिवसेना द्वारा उस स्पष्ट नीति पर आधारित था कि भाजपा को भारी मराठी वर्चस्व वाले क्षेत्रों (मुंबई में कोर सेना वोटर जोन) में घुसपैठ करने की कोशिश से दूर रखना था. लेकिन एकनाथ शिंदे, जिन्हें BJP ने मुख्यमंत्री के रूप में पेश किया है, के साथ BJP ने स्पष्ट कर दिया है कि 'नो-गो एरिया' स्टैंड को बुलडोज़ करना होगा. लिहाजा, BJP ने मराठी वोटरों से जुड़ने के लिए पहले गायक अवधूत गुप्ते के साथ 'मराठी गरबा' लॉन्च किया; फिर फिल्म अभिनेता रणवीर सिंह का शो लेकर आई. आगामी BMC चुनावों के लिए BJP ने ऐसे कई 'ईवेंट्स' की योजना बनाई है. इस बार उसके लिए भी BMC चुनाव बहुत मायने रख रही है.
शिवसेना के दोनों गुट - टीम ठाकरे और टीम शिंदे का वोट बैंक शहरी इलाकों में ही है. उन्हें मुंबई के वोटरों से ताकत मिलती रही हैं. उधर, देवेंद्र फडणवीस के शहरी मैदान में प्रवेश करने से एकनाथ शिंदे अब असहज महसूस कर रहे हैं.
इस बीच, टीम ठाकरे, जो अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है, उसे यह सुनिश्चित करना होगा कि वह BMC चुनाव जीत जाए - और अपने पारंपरिक गढ़ अंधेरी (पूर्व) में शिंदे गुट के साथ शानदार चुनावी मुकाबला करे. उधर, पूर्ववर्ती MVA सहयोगी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और कांग्रेस पार्टी ने संकेत दिया है कि वे BMC चुनाव में टीम ठाकरे का समर्थन करेंगे.
शिवसेना के दोनों गुटों के बीच मुकाबला जोरदार और चरम पर है. व्हाट्सएप और सोशल मीडिया पर, दोनों खेमे दशहरे को लेकर एक दूसरे का मजाक उड़ाने वाले वीडियो जारी कर रहे हैं. सूत्रों का कहना है कि उद्धव ठाकरे, जिन्होंने बाल ठाकरे के जीवित रहते शिवसेना के वीडियो देखे थे, यह सुनिश्चित करने के लिए नए वीडियो की समीक्षा कर रहे हैं कि वे प्रोपगेंडा के तौर पर वितरित होते हैं. BMC चुनाव की तारीख अभी घोषित नहीं की गई है. शिवसेना पिछले 25 साल से इसे जीतती आ रही है.
गौरतलब है कि BJP ने BMC चुनावों में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे को आगे रखकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है. 2020 में, BJP ने योगी आदित्यनाथ, अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा जैसे शीर्ष नेताओं को हैदराबाद निकाय चुनावों के प्रचार में रखा था. तब पार्टी तेलंगाना में पैर जमाने के लिए एक व्यापक पहल शुरू करने के लिए उन स्थानीय चुनावों का उपयोग करने की इच्छुक थी.
BJP नेताओं का कहना है, "हमें 2024 के लिए महाराष्ट्र चाहिए (महाराष्ट्र में 48 लोकसभा सीटें हैं) और हम मोदी जी के चेहरे को ही आगे रखकर हर चुनाव जीतते रहे हैं, इसलिए उन्हें आगे रखकर हम यह साबित करने और दिखाने की कोशिश कर रहे हैं हैं कि हम BMC चुनावों को कितनी गंभीरता से लेते हैं." उम्मीद की जा रही है कि अमित शाह चुनावी राज्य गुजरात में अपने दौरों को बढ़ाएंगे और पड़ोसी महाराष्ट्र पर भी इसी तरह का ध्यान देंगे.
सूत्रों का कहना है कि टीम ठाकरे क्षेत्रीय कार्ड खेलेगी और BJP-एकनाथ शिंदे गठबंधन पर "मराठी मानुष" को धोखा देने का आरोप लगाएगी. सबूत के तौर पर, वे राज्य के साथ हुए भेदभाव वाले व्यवहार की कहानी को प्रमुखता से प्रचारित करेगी कि कैसे महाराष्ट्र से 20 अरब डॉलर की चिप बनाने की परियोजना गुजरात भेज दी गई.
BMC अब 'चुनावी सोना' बन गया है. इसके बारे में कुछ भी स्थानीय नहीं रह गया है.
स्वाति चतुर्वेदी लेखिका तथा पत्रकार हैं, जो 'इंडियन एक्सप्रेस', 'द स्टेट्समैन' तथा 'द हिन्दुस्तान टाइम्स' के साथ काम कर चुकी हैं...
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