बलूचिस्तान में तिरंगा लहराया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीरें लेकर पाकिस्तान के विरोध में प्रदर्शन हो रहे हैं. पाकिस्तान के क़ब्ज़े वाले कश्मीर में लोगों का हुजूम सड़कों पर निकल कर पाकिस्तान के खिलाफ आवाज उठा रहा है. विदेशों में बसे ग़ुलाम कश्मीर के लोग वहां के हालात पर चिंता जता रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय समुदाय हर दिन बलूचिस्तान और पीओके में मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाओं पर चिंता जता रहा है. विदेशी मीडिया की दिलचस्पी वहां की घटनाओं में दिखने लगी है.
ये एक बड़ा बदलाव है
सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से बलूचिस्तान और पीओके का जिक्र और फिर लाल क़िले से खुलेआम ऐलान भारत की विदेश नीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जा रहा है. इस बदलाव में बड़ी भूमिका निभाने वाले कुछ महत्वपूर्ण नेताओं से चर्चा के बाद पता चला है कि पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब देने से ज्यादा इस बदलाव के पीछे सोच ये है कि पाकिस्तान को ये संदेश दिया जाए कि वो जैसा बोएगा, वैसा ही काटेगा.
इन नेताओं के मुताबिक जम्मू कश्मीर में आतंकवादी बुरहान वानी के ख़ात्मे के बाद राज्य में अशांति पैदा होते ही पाकिस्तान ने दुनिया भर में अपने कूटनीतिज्ञों को भेजना शुरू किया. उसका इरादा संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में कश्मीर मुद्दे का बड़े पैमाने पर अंतरराष्ट्रीयकरण करना था.
सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि कश्मीर घाटी में अशांति फैलाने में पाकिस्तान की बड़ी भूमिका है. उकसाने वालों की पहचान की गई है और इसमें पाकिस्तान से उनके रिश्ते स्थापित होते हैं. घाटी में ऐसा करने वालों को सीमा पार से फ़ंडिंग हो रही है. पाकिस्तान की ओर से ऐसे तत्वों को बढ़ावा दिया जा रहा है.
सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक घाटी में तीन तबके अशांति फैलाने में लगे हुए हैं. पहला समूह आतंकवादियों का है. पहले ये छिप कर रहते थे और सुरक्षा बल इनसे सीधे-सीधे बंदूक से मुक़ाबला करते हैं. राज्य के कई हिस्सों में पत्थर फेंकने वाले प्रदर्शनकारियों में इनकी मौजूदगी अब खुल कर दिखने लगी है.
दूसरा समूह अलगाववादियों का है. इनमें पाकिस्तान परस्त अलगाववादियों से लेकर आजादी की मांग करने वाले गुट शामिल हैं. मगर मौजूदा अशांति के दौर में इनकी घबराहट अब जगज़ाहिर है क्योंकि इन्हें लग रहा है कि हालात उनके हाथों से निकल रहे हैं. देरसवेर वो सरकार के सामने बातचीत की पेशकश करेंगे.
तीसरा गुट सबसे ज्यादा सिरदर्द पैदा कर रहा है. ये धार्मिक विचारधारा से प्रभावित है. पाकिस्तान परस्त इन लोगों में कई तरह के लोग शामिल हैं जो खुल कर और बढ़-चढ़कर पत्थर फेंकने वाले प्रदर्शनों में हिस्सा लेते हैं. इनमें समाज के अलग-अलग तबके के लोग हैं. ये बच्चों के दिमाग़ में ज़हर घोल रहे हैं. दिन-रात भारत विरोधी नारे लाउडस्पीकरों से सुनवाए जा रहे हैं.
सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार ने ऐसे 80 लोगों की पहचान की है. अब अपेक्षा है कि इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. गृह मंत्री राजनाथ सिंह के कश्मीर दौरे में सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा होनी है. केंद्र सरकार अपनी ओर से अधिक मदद देने का आश्वासन भी दे रही है. सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि कश्मीर में कर्फ़्यू मुद्दा नहीं है. बल्कि प्रदर्शनकारियों की ओर से बुलाई गई हड़ताल की वजह से अशांति फैली हुई है.
मौजूदा अशांति पैदा करने वालों में स्थानीय राजनीतिक दलों के समर्थक भी है. लिहाजा इन दलों से अपेक्षा है कि वे अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए शांति बहाली में भूमिका निभाएं. प्रधानमंत्री के साथ राज्य के विपक्षी दलों के नेताओं की मुलाकात के बाद इसमें सकारात्मक बदलाव आया है. केंद्र सरकार ने कश्मीर वापस गए पंडितों की सुरक्षा का पूरा भरोसा दिलाया है.
आजादी पर बात नहीं
वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि कश्मीर समस्या के राजनीतिक हल की बात करने वाले भ्रमित हैं. जो लोग ऐसा कहते हैं वो भूल जाते हैं कि आजादी की मांग करने वालों से कोई बात नहीं हो सकती क्योंकि संसद के प्रस्ताव में साफ है कि ग़ुलाम कश्मीर भी भारत का हिस्सा है. बातचीत सिर्फ संविधान के दायरे में ही हो सकती है. 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कश्मीरियत, जम्हूरियत और इंसानियत की बात की थी. मौजूदा सरकार भी इसी इरादे के साथ आगे बढ़ रही है. सरकार विकास के नए अवसर पैदा करने, युवाओं को रोजगार देने, क्षेत्र की गरीबी दूर करने जैसे मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है. बाढ़ राहत के पैकेज के क्रियान्वयन पर सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से नजर रखी जा रही है.
घिरेगा पाकिस्तान
कूटनीतिक मोर्चे पर भारत ने अपनी जवाबी रणनीति तैयार कर ली है. अलग-अलग देशों के बलूचिस्तान और पीओके में मानवाधिकार उल्लंघन के बारे में आ रहे बयान इसी रणनीति की सफलता है. अगले महीने होने वाले संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में पाकिस्तान पर ये दबाव चरम पर होगा. भारत को घेरने का पाकिस्तान का दांव उल्टा पड़ेगा. भारत ने पाकिस्तान को बलूचिस्तान और पीओके में मानवाधिकार उल्लंघन और वहां उठ रही आजादी की मांग पर कठघरे में खड़ा करने की तैयारी कर ली है.
इस बैठक में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज हिस्सा लेंगी. वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि भारत बलूचिस्तान में अशांति नहीं चाहता. लेकिन वो ये चाहता है कि पूरी दुनिया देखे कि किस तरह पाकिस्तान अपनी फ़ौज के ज़रिए आम लोगों पर ज़ुल्म ढा रहा है. हर देश की अपनी समस्याएं होती हैं. अगर पाकिस्तान भारत के घरेलू मामलों में दखल देकर उनका अंतरराष्ट्रीयकरण करने की कोशिश करेगा तो उसे ये समझना पड़ेगा कि उसके दामन के दाग छिपने वाले नहीं हैं और आज नहीं तो कल उसने जैसा बोया है उसे वैसा काटना ही पड़ेगा.
(अखिलेश शर्मा एनडीटीवी इंडिया के राजनीतिक संपादक हैं।)
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है। इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।
इस लेख से जुड़े सर्वाधिकार NDTV के पास हैं. इस लेख के किसी भी हिस्से को NDTV की लिखित पूर्वानुमति के बिना प्रकाशित नहीं किया जा सकता. इस लेख या उसके किसी हिस्से को अनधिकृत तरीके से उद्धृत किए जाने पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
This Article is From Aug 24, 2016
पाकिस्तान के लिए भारत का संदेश : जैसा बोओगे वैसा काटोगे
Akhilesh Sharma
- ब्लॉग,
-
Updated:अगस्त 25, 2016 23:58 pm IST
-
Published On अगस्त 24, 2016 18:30 pm IST
-
Last Updated On अगस्त 25, 2016 23:58 pm IST
-
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
बलूचिस्तान, पाकिस्तान, नरेंद्र मोदी, बलूच प्रदर्शनकारी, ब्रह्मदाग बुगती, गिलगित, पीओके, अखिलेश शर्मा, Balochistan, Pakistan, Narendra Modi, Baloch Protest, Gilgit, Akhilesh Sharma