विज्ञापन
This Article is From May 04, 2018

रेलगाड़ियां 30-30 घंटे तक लेट कैसे हो जाती हैं?

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    मई 04, 2018 21:40 pm IST
    • Published On मई 04, 2018 21:40 pm IST
    • Last Updated On मई 04, 2018 21:40 pm IST
झारखंड के चतरा ज़िले में एक नाबालिग लड़की को बलात्कार के बाद आरोपियों ने उसे ज़िंदा जला दिया है. ये आपके मुल्क की हकीकत है. बेहतर है कि नेताओं के बकवास और झूठ से भरे भाषणों की जगह इन समस्याओं पर बात कीजिए और कुछ कीजिए. ये नेताओं से नहीं होगा. ये किससे होगा पता नहीं. वे झूठ बोलने में दिन रात लगे हैं. एक लड़की को जिंदा जला देना, रेप के बाद. बिहार के जयनगर से चल कर नई दिल्ली आने वाली स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस पिछले कई महीनों से कई घंटे की देरी से चल रही थी. जब हमने इस ट्रेन की पिछले दो चार दिनों का रिकॉर्ड देखा तो यह ट्रेन 20 से 30 घंटे की देरी से चल रही थी. हमने कहा कि जब तक यह ट्रेन समय से नहीं चलेगी हम इसका बार बार प्राइम टाइम में ज़िक्र करते रहेंगे. स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर चलने वाली ट्रेन कैसे देर से चल सकती है वो भी 30-30 घंटे की देरी से. लगता है कि प्राइम टाइम का कुछ असर हुआ है. इस ट्रेन की बोगी बिल्कुल नई है. चमचमाती हुई नज़र आती है मगर देरी से चलने के कारण इसमें चलने के लिए कलेजा चाहिए. बहरहाल प्राइम टाइम का असर हुआ है और यह 4 मई के दिन यानी आज जयनगर से समय से चली है. जो ट्रेन 20 घंटे की देरी से खुल रही थी वो आज पहली बार समय से चली है. हमारे सहयोगी प्रमोद गुप्ता का कहना है कि 2011-12 से यह ट्रेन चल रही है मगर आज तक समय से नहीं चली, अब इसकी पुष्टि हम नहीं कर सकते मगर यह हो सकता है कि देरी से चलने के कारण ट्रेन की ऐसी छवि बन गई हो.

जब हमने दो दिन लगातार प्राइम टाइम में स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस के बारे में विस्तार से चर्चा की तब रेलवे ने फैसला किया कि 4 मई को यह समय से दिल्ली के लिए रवाना होगी. इसके लिए आस-पास के स्टेशनों से बोगियां मंगा कर एक नई रेक यानी बिल्कुल नई रेलगाड़ी बनाई गई, उसे स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस का नाम दिया गया. 4 मई की सुबह से ही नई रेक की सफाई होने लगी. फिर उसे दरभंगा से जयनगर के लिए भेजा गया जहां से वह बिल्कुल राइट टाइम दोपहर 2 बजे खुली है. हमारे सहयोगी प्रमोद गुप्ता उस वक्त दरभंगा स्टेशन पर मौजूद थे जब इधर उधर से बोगियां जोड़ कर स्वतंत्रता सेनानी की नई रेक बनाई जा रही थी. यात्रियों को भी सपने जैसा लग रहा था कि वाकई ये ट्रेन राइट टाइम जा रही है. जयनगर से यह ट्रेन राइट टाइम खुली, दरभंगा पहुंची फिर वहां तक आते आते आधे घंटे लेट हो गई. यह ट्रेन रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा के इलाके से भी गुजरती है. सोचिए इस ट्रेन की क्या हालत है, 3 अप्रैल को दिल्ली से आने वाली ट्रेन 4 मई की दोपहर तक नहीं पहुंची थी. अब जब जयनगर से यह ट्रेन सही समय पर जा रही है तो हैरानी का आलम है.

दो दिन के प्राइम टाइम के बाद यह गाड़ी टाइम पर चल रही है. हमने सोचा था कि स्वतंत्रता सेनानी सोमवार से सही समय पर चलने लगेगी मगर शुक्रवार को ही इसमें बदलाव की कोशिश शुरू हो गई. हम कुछ हफ्तों तक इसका रिकॉर्ड रखेंगे. कहीं ऐसा न हो प्राइम टाइम के कारण एक बार के लिए राइट टाइम चला दिया और फिर भूल गए. हाज़ीपुर स्टेशन पर शाम पौने सात बजे के करीब जब यह पहुंची तो वहां भी यात्री हैरान हो उठे कि ये वही स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस है जो कभी राइट टाइम चलती ही नहीं है. लेट भी होती है तो दस घंटे बारह घंटे और बीस घंटे.

हमारे सहयोगी कौशल किशोर सही समय पर इसके हाज़ीपुर पहुंचने के वक्त मौजूद थे. वहां मौजूद यात्रियों के लिए आज का दिन यादगार था. जो ट्रेन दिल्ली से जयनगर से चली है वह भी देर से चल रही थी. लेकिन एक नई ट्रेन बनाकर स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस को सही समय से चलाने का प्रयास किया गया है.

अब हम रेल मंत्री और रेलवे बोर्ड को दूसरी रेलगाड़ियों का चैलेंज देंगे जो पिछले कई हफ्तों और महीनों से दस से बीस घंटे की देरी से चल रही हैं. यात्री परेशान हैं, मीडिया में ये सब बातें रिपोर्ट होती नहीं हैं. यात्रियों के समय की कीमत की किसी को परवाह ही नहीं है. आज ही दरभंगा स्टेशन पर जो यात्री अमृतसर जाने वाली शहीद एक्सप्रेस पकड़ने आए तो स्टेशन पर पता चला कि सात आठ घंटे लेट है. वेटिंग रूम बंद होने से भी यात्री नाराज हो गए. एक ट्रेन है पटना-कोटा एक्सप्रेस ये हर दिन 15 से 20 घंटे लेट चलती है.

4 मई को चलने वाली 13239 नंबर की पटना-कोटा एक्सप्रेस 19 घंटे 10 मिनट लेट है. 3 मई को चलने वाली पटना-कोटा एक्सप्रस 10 घंटे लेट खुली थी. 2 मई को पटना-कोटा एक्सप्रेस 16 घंटा 45 मिनट की देरी से रवाना हुई थी.

बिहार से बड़ी संख्या में छात्र कोचिंग के लिए कोटा जाते हैं. अलग-अलग ज़िलों से चलकर मां बाप और छात्र पटना रेलवे स्टेशन पर घंटों इंतज़ार करते रहते हैं. मच्छरों का आतंक भी झेलते रहते हैं. 16 दिसंबर 2016 को हमसफर एक्सप्रेस की शुरुआत हुई थी. यह ट्रेन सीसीटीवी, जीपीएस, मोबाइल लैपटॉप चार्जिंग प्वाइंट से लैस थी. इसे मध्यम वर्गीय यात्रियों को ध्यान में रखकर बनाया गया था. इसी 13 अप्रैल से चंपारण हमसफर एक्सप्रेस की शुरुआत हुई. इसका ट्रेन नंबर है 15705. पुरानी दिल्ली से कटिहार के बीच चलती है. ब्रांड न्यू ट्रेन है ये. महीना भी नहीं हुआ है शुरू हुए और ये ट्रेन देरी से चलने लगी है.

3 मई को चंपारण हमसफर एक्सप्रेस 14 घंटे 51 मिनट की देरी से कटियाहर से चली. दिल्ली पहुंचते-पहुंचते यह ट्रेन 18 घंटे से भी ज्यादा लेट हो चुकी है. 22406 नंबर की भागलपुर ग़रीब रथ की लेटलतीफी से भी यात्री काफी परेशान हैं. 4 मई को यह ट्रेन आनंद विहार से 11 घंटा 35 मिनट की देरी से रवाना होने वाली थी. एक और हमसफर एक्सप्रेस का हाल बताता हूं. 4 मई को बेंगलुरू से अगरतला के लिए चलने वाली हमसफर एक्सप्रेस के 23 घंटे देरी से चलने की सूचना है. उम्मीद है इस ट्रेन में मुख्यमंत्री बिप्लब देब न चल रहे हों वरना वे कहीं बयान न दे दें कि ट्रेन से जाने की क्या ज़रूरत है, पहले लोग अंतर्ध्यान हो जाते थे. बेहतर है कि बिप्बल देब रेल मंत्री को फोन कर पूछें कि अगरतला के लोगों की कोई वैल्यू है या नहीं. 23 घंटे कोई ट्रेन कैसे लेट चल सकती है. आप यात्रियों से पूछिए उनका कितना नुकसान हो रहा है. चूंकि ट्रेन का देरी से चलना मीडिया में रिपोर्टिंग के लायक नहीं समझा जाता मगर यह इतनी बड़ी समस्या हो गई है कि अखबार भरे पड़े हुए हैं. ऐसी खबरों की कतरनों से. कई बार मुख्य रूप से भी खबरें छपी हैं मगर कोई असर नहीं है. एक और ट्रेन है, नई दिल्ली से बरौनी जाने वाली वैशाली एक्सप्रेस. 4 से 8 घंटे की देरी तो इसके लिए आम बात हो गई है.

ये वैशाली एक्सप्रेस की जनरल बोगी का नज़ारा है. क्षमता से ज़्यादा यात्री सवार हो रहे हैं. इस भीड़ को देखकर आप समझ सकते हैं कि ग़रीब यात्रियों के लिए जनरल बोगी का अनुभव कुछ नहीं बदला है. आप जो भी खबरें सुनते हैं कि चार्जर लग गया, नैपी चेंज का बोर्ड लग गया, वो सारी सुविधाएं इन भारतीयों के लिए नहीं हैं. इस भीड़ में सांस लेने की जगह नहीं मगर यात्री अपने सामान के साथ कैसे जाते होंगे हम आगे बताएंगे. बहुत से यात्री ट्रेन में तब भी नहीं चढ़ पाते हैं यही वजह है कि बिहार से दिल्ली के बीच 250 से अधिक बसें चलने लगी हैं. इन बसों में सुरक्षा और ड्राईवर की ट्रेनिंग के मानक की कहीं कोई जांच नहीं है.

यही कारण है कि गुरुवार को मुजफ्फरपुर से दिल्ली आ रही एससी बस उलट गई, आग लग गई और बस जल कर खाक हो गई. पहले खबर आई थी कि आग जलने से 12 लोगों की मौत हो गई थी मगर अब जिलाधिकारी ने कहा है कि किसी की मौत नहीं हुई है. प्रधानमंत्री और नीतीश कुमार ने भी श्रद्धांजली दे दी थी. ऐसी बसों का परमिट चेक करना चाहिए. कशिश न्यूज़ चैनल ने रिपोर्ट किया है कि बहुतों के पास नेशनल परमिट नहीं है. इसकी जगह 15 दिनों के लिए टूरिस्ट परमिट ले लेते हैं और एक परमिट पर कई बसें चल रही हैं. आम आदमी को मजबूर किया जा रहा है कि वह असुरक्षित यात्रा करे. उसकी न तो जान की कीमत है और न समय की. उम्मीद है यूपी सरकार, बिहार सरकार बिहार और दिल्ली के बीच चलने वाली बसों की तुरंत जांच करेगी और सख़्त मानक बनाएगी. यह भी जांच करें कि ये बसें किन नेताओं की हैं. ये सारी बसें आनंद विहार से दिल्ली के लिए खुलती हैं.

टीवी में आम लोगों की समस्या गायब होती जा रही है. हवा हवाई बयानों की हवाबाज़ी पर सारा कारोबार चल रहा है. यहां आम आदमी जल कर मर जा रहा है या तो कट कर मर जा रहा है. अब हम एक और ट्रेन की हालत बताते हैं. इसका नाम संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस है. मंगलवार को यह ट्रेन नई दिल्ली से पटना के लिए रवाना होने वाली थी. इसकी जनरल बोगी में इतने यात्री सवार हो गए कि बोगी का सस्पेंशन ही धंस गया और बोगी झुक गई. मेकेनेकिल विभाग ने संपूर्ण क्रांति को चलाने से ही इनकार कर दिया. इसके बाद यात्रियों को ज़बरन उतारा गया फिर ट्रेन पटना के लिए रवाना हुई. आप सोचिए यात्रियों का कितना दबाव बढ़ गया है. रिपोर्ट छप रही है कि कोच में नया बल्ब लग गया, चार्जर लग गया मगर आम लोगों की तकलीफ दूर करने के लिए नया जनरल कोच नहीं लग पाता है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com