विज्ञापन
This Article is From Mar 03, 2014

चुनावी डायरी : बीजेपी यानी अटल बिहारी वाजपेयी

Akhilesh Sharma, Rajeev Mishra
  • Blogs,
  • Updated:
    नवंबर 20, 2014 13:15 pm IST
    • Published On मार्च 03, 2014 11:03 am IST
    • Last Updated On नवंबर 20, 2014 13:15 pm IST

रविवार को लखनऊ के रमाबाई अंबेडकर मैदान पर इकट्ठा हुए लोगों को बीजेपी के मंच पर अटल बिहारी वाजपेयी की विशाल छवि नजर आई। नरेंद्र मोदी जिस वक्त रैली को संबोधित कर रहे थे, पृष्ठभूमि में अटल बिहारी वाजपेयी का विशालकाय फोटो उन्हें देख रहा था। नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में अटल बिहारी वाजपेयी को बार-बार याद किया और कहा कि उन्होंने वाजपेयी से काफी कुछ सीखा है। वाजपेयी के ही अंदाज़ में मोदी ने अपने भाषण में शेर भी सुनाए और समापन एक कविता सुनाकर किया।

बीजेपी ने काफी सोच-समझकर लखनऊ की मोदी की रैली में सिर्फ अटल बिहारी वाजपेयी का फोटो ही मंच पर लगाने का फैसला किया। लखनऊ लोकसभा सीट वाजपेयी 1991 से 2004 तक लगातार जीतते आए। इसी सीट का प्रतिनिधित्व करते हुए वो तीन बार प्रधानमंत्री बने। उन्हीं की अगुवाई में बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनावों में सबसे ज्यादा सीटें जीतीं। वाजपेयी का चेहरा आगे रख कर बीजेपी ने राज्य में सवर्णों खासतौर से ब्राह्मणों का भरपूर समर्थन हासिल किया। तब कल्याण सिंह के रूप में पार्टी के पास पिछ़ड़ी जातियों की नुमाइंदगी करने वाला बेहद मजबूत नेता भी था।
विधानसभा चुनाव से पहले 25 अप्रैल 2007 को लखनऊ में उन्होंने अपनी आखिरी रैली को संबोधित किया। जिसमें उन्होंने फिर ये दोहराया था कि दिल्ली का रास्ता लखनऊ से होकर जाता है।

मोदी और बीजेपी को वाजपेयी की ये सीख याद है। इसीलिए पार्टी ने पूरा जोर उत्तर प्रदेश पर लगाया है। हालांकि अभी उम्मीदवारों के नामों का ऐलान नहीं किया गया है। लेकिन ये तय है कि बीजेपी टिकट बंटवारे में सोशल इंजीनियरिंग का खास ध्यान रखेगी। पार्टी के सामने चुनौती है सवर्णों और पिछड़ी जातियों का समर्थन जुटाना। राज्य में ब्राह्मणों को फिर अपनी ओर खींचना भी एक बड़ा लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
गौरतलब है कि बहुजन समाज पार्टी लोकसभा चुनाव के लिए अभी तक 22 ब्राह्मण उम्मीदवारों के नाम घोषित कर चुकी हैं। उसकी रणनीति एक बार फिर दलित, मुस्लिम और ब्राह्मण गठजोड़ की है। यही रणनीति 2007 के विधानसभा चुनावों में अपना कर बीएसपी ने ऐतिहासिक जीत हासिल की थी।

इसलिए बीजेपी को अटल बिहारी वाजपेयी याद आए हैं। लखनऊ की रैली मोदी की राज्य में आठवीं रैली थी। इससे पहले किसी रैली के मंच पर अकेले वाजपेयी का फोटो नहीं लगाया गया था और न ही इतनी शिद्दत से उन्हें याद किया गया था। वाजपेयी के सक्रिय राजनीति से हटने के बाद से बीजेपी को खासतौर से उत्तर प्रदेश में उनकी कमी बेहद महसूस होती है। पिछले कई चुनावों में बीजेपी बार-बार सवर्णों को अपने साथ लाने की कोशिश कर रही है मगर उसे इसमें कामयाबी नहीं मिली है। राज्य में पार्टी का मत प्रतिशत लगातार कम होता जा रहा है। पिछड़ी जातियों में उसका समर्थन सिमटता चला गया।

बीजेपी इस पतन को संभालने के लिए इस बार गंभीर प्रयास कर रही है। पार्टी ने नरेंद्र मोदी को आगे किया है। उसे उम्मीद है कि मोदी की हिंदुत्व और विकास की छवि और पिछड़े वर्ग से आने का फायदा उत्तर प्रदेश में मिलेगा। पार्टी की कोशिश है कि मोदी उत्तर प्रदेश से ही चुनाव भी लड़ें ताकि उनकी लोकप्रियता का फायदा मिल सके। संभावना है कि मोदी बनारस से चुनाव लड़ सकते हैं। कल्याण सिंह बीजेपी में वापस आ गए हैं।

पार्टी एक या उससे अधिक पिछड़ी जातियों की राजनीति करने वाली कुछ छोटी-छोटी पार्टियों से भी तालमेल करने की कोशिश कर रही है ताकि गैर यादव पिछड़ी जातियां उसके साथ आ सकें।

हालांकि बीजेपी के लिए चुनौती बेहद कठिन है। अटल बिहारी वाजपेयी जैसे उदारवादी नेता जो मुसलमानों को भी साथ लेने की कोशिश करते रहे और लखनऊ जैसी सीट से लगातार जीतने के पीछे ये भी एक बड़ी वजह रही। उनकी जगह आज मोदी जैसे नेता हैं जिनकी छवि कट्टर नेता की है।

सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील राज्य उत्तर प्रदेश में मोदी की इसी छवि को उछाल कर समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस तीनों ही मुसलमानों को अपने साथ लेने की कोशिश कर रही हैं। राज्य में सांप्रदायिक तौर पर ध्रुवीकरण करने का प्रयास सभी पार्टियों द्वारा किया जा रहा है।

समाजवादी पार्टी सरकार के दो साल के कार्यकाल में हुए सौ से भी ज्यादा दंगों के कारण माहौल में बेहद तल्खी भी है। लेकिन क्या बीजेपी के लिए सिर्फ वाजपेयी का फोटो लगाना या उनका नाम लेना भर ही काफी है? या उनकी दी गई राजनीतिक सीख को जमीन पर लागू करना भी?

बीजेपी को राज्य में 1996 और 1998 जैसी कामयाबी दोहराने के लिए अपने मत प्रतिशत को कम से कम ढाई गुना करना होगा। इसके लिए खाली नारों से ही काम नहीं हो सकता और न ही किसी एक नुस्खे से। यही नरेंद्र मोदी की सबसे बड़ी चुनौती है।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
नरेंद्र मोदी, अटल बिहारी वाजपेयी, लखनऊ में मोदी की रैली, लोकसभा चुनाव 2014, चुनाव डायरी, Narendera Modi, Atal Behari Vajpayee, Modi Rally In Lucknow, Loksabha Elections 2014, Loksabha Polls 2014
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com