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This Article is From Sep 13, 2017

हिंदी दिवस पर ज्ञान न बांटे, बस हिंदी बोलने वालों को थोड़ी-सी जगह दे दें

Mukesh Baurai
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जनवरी 22, 2018 19:07 pm IST
    • Published On सितंबर 13, 2017 19:45 pm IST
    • Last Updated On जनवरी 22, 2018 19:07 pm IST
हिंदी भाषा के बारे में लोग बातें करना शुरू कर दें तो सोच लीजिए कि हिंदी दिवस नजदीक है. क्योंकि इस दिन के अलावा शायद ही कोई हिंदी भाषा के बारे में सोचता या फिर बोलता होगा. 14 सितंबर के नजदीक आते ही आपको इंटरनेट पर हिंदी दिवस की जानकारी देने वाले कई वक्ता और लेखकों की भरमार नजर आएगी. यह काफी दिलचस्प नजारा होता है, क्योंकि जो लोग घर के बाहर निकलते ही फर्राटेदार अंग्रेजी को ही अपना स्टेटस सिंबल समझते हैं, वे लोग भी इस दौरान हिंदी का ज्ञान फैलाने में जुटे होते हैं.

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हमारे कुछ नेता भी इस दौरान मीडिया के माइक से या फिर अखबारों की हेडलाइन से पीछे नहीं रहते हैं. भले ही गूगल बाबा की मदद से, लेकिन हिंदी के बारे में कुछ पुरानी लाइनें और स्लोगन भी याद कर ही लिए जाते हैं. हम आपको यहां हिंदी का ज्ञान नहीं देने जा रहे हैं, क्योंकि वह तो आप इस दिन सोशल मीडिया या फिर जैसा हमने बताया किसी न किसी सज्जन के मुख से सुन ही लेंगे. हम आपको यहां बताने जा रहे हैं कि कैसे हिंदी को आज सिर्फ एक चोले के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है. जिसे सिर्फ कुछ ही मौकों पर स्त्री करके पहना जाता है. चलिए कुछ स्लोगनों के जरिए ही हम हिंदी दिवस और उसकी बेबसता पर रोशनी डालने की कोशिश करते हैं. 

जब तक हिन्दी नहीं बनेगी, गरीबों की शक्ति
तब तक देश को नहीं मिलेगी, गरीबी से मुक्ति.


गूगल पर मिला यह स्लोगन बता रहा है कि जब तक हिंदी गरीबों की शक्ति नहीं बन जाती है, तब तक देश को गरीबी से मुक्ति नहीं मिलेगी. लेकिन हिंदी तो गरीबों की शक्ति पहले भी थी और आज भी है. अब तो जरूरत शहरों में रहने वाले अमीरों को हिंदी सिखाने की है. ऐसी जगह जहां पर अगर किसी अंग्रेजी में पूछे गए सवाल का हिंदी में जवाब दिया तो सभी का ध्यान उसकी ओर केंद्रित हो जाता है. अब बात करते हैं गरीबों के हिंदी बोलने की. गरीब हिंदी को अपनी ताकत मानता है क्योंकि असल में वही उसकी ताकत है. लेकिन यह बात तब उसके लिए झूठी साबित हो जाती है जब शहरों में उसे उसकी इस ताकत के साथ स्वीकार नहीं किया जाता है. 

निज भाषा का जो नहीं करते सम्मान
वे कहीं नहीं पाते हैं सम्मान.


निज भाषा यानि अपनी मातृ भाषा का जो लोग सम्मान नहीं करते हैं, उन्हें कहीं भी सम्मान नहीं मिलता. स्लोगन काफी अच्छा है, लेकिन आज शायद आपको इसका उल्टा नजर आता होगा. निज भाषा बोलने वाले को कई जगह अपमानित महसूस होता है. किसी ऐसी जगह जहां आपको हिंदी में ही काम करना है, वहां होने वाले इंटरव्यू में जब सामने से अंग्रेजी में प्रश्न पूछे जाते हैं तो सोचिए निज भाषा का सम्मान करने वाले के दिल पर क्या बीतती होगी? 

हिंदी में पत्राचार हो हिंदी में हर व्यवहार हो, 
बोलचाल में हिंदी ही अभिव्यक्ती का आधार हो.
 

खैर इस सोशल मीडिया के जमाने में पत्राचार का नाम भी लोग भूल ही चुके हैं, रही बात बोलचाल में हिंदी की तो सही मायनों में यह खत्म होती जा रही है. इसका सबसे अच्छा और सरल उदाहरण है कि आप जब भी मेट्रो में सफर करते हैं और कोई लड़की या फिर लड़का आपसे रास्ता मांगता है, तो शायद ही कभी आपने किसी को हिंदी में रास्ता मांगते देखा होगा. इतना ही नहीं भीड़ में किसी साधारण आदमी का पैर अगर गलती से किसी के पैर पर चढ़ गया तो पहली कुछ लाइनें हिंदी में बोली जाती हैं और अगर सामने वाले साधारण और हिंदी की ताकत लिए व्यक्ति ने भी बोलना शुरू कर दिया तो फिर अंग्रेजी के भारी भरकम शब्दों की गोलाबारी उस पर शुरू हो जाती है. जिसके बाद हिंदी जानने वाला वह व्यक्ति सबके सामने खुद को ठगा सा महसूस करने लगता है और जीत अंग्रेजी बोलने वाले की होती है. 

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हिंदी बोलने वालों का रखें खयाल
यह सब आपको बताने का तात्पर्य यह नहीं है कि हम अंग्रेजी बोलने वालों का सम्मान नहीं करते हैं. लेकिन इस हिंदी दिवस आप कुछ ऐसा जरूर करें जिससे हिंदी बोलने वालों को सम्मान मिल सके. अंग्रेजी का इस्तेमाल सिर्फ वहीं करना चाहिए जहां पर इसकी जरूरत हो. अगर आप दोस्तों के साथ या फिर पब्लिक में किसी व्यक्ति से बात कर रहे हैं तो हिंदी भी अच्छी भाषा है एक बार इसका इस्तेमाल भी कर सकते हैं.

ऐसा कुछ भी नहीं है कि हिंदी बोलने से आपको कम पढ़ा लिखा माना जाएगा. बल्कि इससे आप सामने वाले की भावनाएं और भी अच्छी तरह से समझ पाएंगे. हिंदी का इतिहास या फिर ज्यादा जानकारी इकट्ठा करने की जगह अगर आप हर जगह और हर व्यक्ति के साथ अपने स्टेटस को मेंटेन करने के लिए अंग्रेजी बोलने का इस्तेमाल कम कर दें तो शायद यही हिंदी दिवस और हिंदी के लिए काफी बड़ी सौगात होगी.  

मुकेश बौड़ाई Khabar.NDTV.com में सब-एडिटर हैं...

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