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This Article is From Sep 20, 2015

सुशील महापात्रा की कलम से :क्‍या हमारी राजनीति 'डेंगू' का शिकार हो रही है?

Sushil kumar Mahapatra
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    सितंबर 20, 2015 09:23 am IST
    • Published On सितंबर 20, 2015 00:54 am IST
    • Last Updated On सितंबर 20, 2015 09:23 am IST
देश में डेंगू का कहर जारी है।  डेंगू के डंक ने लोगों को बेबस कर दिया है। रोज डेंगू के नए केस सामने आ रहे हैं। पिछले कुछ साल से डेंगू जिस तरह फैल रहा है वह चिंता की बात है। अगस्त और सितम्बर माह में यह बीमारी अपना असर दिखाना शुरू करती है। हर साल की तरह इस साल भी डेंगू की वजह से कई जानें जा चुकी हैं। दिल्ली के किसी भी अस्पताल में पहुंच जाइए, डेंगू कहर मचाता हुआ दिख जाएगा। बुखार होते ही लोग घबराकर अस्पताल पहुंच जाते है। सन 2006 से यह बीमारी हर साल कई लोगों की जान ले रही है। पिछले  पांच साल में इस बीमारी की वजह से 850 से भी ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। यह आंकड़े सरकारी हैं, असलियत में कहीं ज्यादा लोगों की मौत हुई होगी।

सन 2006 में जब यह बीमारी शुरू हुई तब देश में 50 लोग इसके शिकार हुए थे। सन 2009 में डेंगू ने 80 लोगों की जान ली। हर साल यह आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। सन 2012 में सबसे ज्यादा 242  लोगों की इससे मौत हुई।  

मैं इसलिए यह आंकड़े दे रहा हूं क्योंकि हम सभी जानते हैं कि रोज हमारे देश में कैसे आंकड़ों की राजनीति होती रहती है। केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक अपने विकास की आंकड़े पेश करती रहती हैं लेकिन डेंगू के असर के बढ़ते आंकड़े पिछड़ती स्वास्थ्य सेवाओं की ओर ही इशारा करते हैं। हर साल अगर डेंगू की वजह से मौत बढ़ रही हैं तो इसका मतलब यही है कि कहीं न कहीं हमारी सरकार फेल हुई है, चाहे वह राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार। हम देश के दुश्मन को रोकने में तो कामयाब हुए हैं लेकिन डेंगू के मच्छर को रोकने में कामयाब नहीं हुए हैं।

डेंगू को लेकर राजनेता रोज सियासत की पारी खेल रहे हैं। कुछ भी हो जाए हमारे राजनेता अपनी हरकत से कभी बाहर नहीं आने वाले हैं। डेंगू की वजह से लोगों की मौत हो रही है, लेकिन राजनैतिक दल  इसे लेकर एक दूसरे पर कीचड़ फेंकने में जुटे हैं। आप देख सकते हैं, दिल्ली में आम आदमी पार्टी  और बीजेपी कैसे एक दूसरे से लड़ रही हैं। मौत का मातम भी हमारे राजनेताओं को बदल नहीं पाया है।

एमसीडी पर कब्ज़ा करने वाला बीजेपी का कहना है कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने इस साल उसके हेल्थ बजट में कटौती कर दी है जिसकी वजह से वह डेंगू को रोकने में कामयाब नहीं हो पा रही है। लेकिन एमसीडी पर तो बीजेपी के कब्ज़ा 2007 से है, जबकि डेंगू के वजह से लोगों की मौतें हर साल हुई हैं। क्या तब भी बजट की समस्या थी?

उधर दिल्ली सरकार भी दिल्ली के इस हाल के लिए एमसीडी को जिम्मेदार ठहरा रही है। दिल्ली सरकार का कहना है दिल्ली को साफ-सुथरा रखना और जन स्वास्थ्य का ध्यान रखना एमसीडी का काम है। डेंगू के मच्छरों ने कांग्रेस को भी नींद से जगा दिया है। कांग्रेस के कई बड़े नेता दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के घर के सामने धारने पर भी बैठ गए थे और इस दौरान 'केजरीवाल होश में आओ' जैसे नारे लगा रहे थे। कांग्रेस ऐसा बर्ताव कर रही है कि जैसे कांग्रेस के राज में कभी डेंगू की वजह से मौत नहीं हुई थी। सन 2006 से लेकर 2013 तक दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी और इस दौरान हर साल डेंगू की वजह से मौतें होती रहीं। तब भी कांग्रेस और बीजेपी एक-दूसरे पर कीचड़ फेंक रहे थे। अगर इस साल को छोड़ दिया जाए तो 2010 और 2011 में दिल्ली में सबसे ज्यादा मौतें हुई थीं। इन दोनों सालों में डेंगू से दिल्ली में आठ -आठ लोगों की मौतें हुईं।  

लेकिन फिर भी मैं मानता हूं कि दिल्ली की सरकार कहीं न कहीं इस बार डेंगू रोकने में विफल हुई है। अभी तक डेंगू की वजह से दिल्ली में 20 लोगों की मौत हो चुकी है।  डेंगू कोई नई बीमारी नहीं है, सरकार को पता था कि हर साल इस बीमारी से लोगों की मौतें होती हैं, लेकिन फिर भी सरकार ने इसको रोकने के लिए समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाया। जब डेंगू की वजह से बच्चों की मौत होने लगीं तब सरकार हरकत में आई। दिल्ली की सरकार अपने काम का हिसाब विज्ञापन के जरिए लोगों तक पहुंचती रहतूी है लेकिन डेंगू  जैसी बीमारी को कैसे रोका जाए, इसके लिए कोई खास विज्ञापन नहीं हैं।

लोगों को भी अपना ध्यान खुद रखना पड़ेगा। सरकार की जिम्मेदारी मानकर अपनी जिम्मेदारी भूल जाना गलत है। अपने इलाके को साफ-सुथरा रखना लोगों की भी  जिम्मेदारी है। डेंगू फैलाने वाले मच्छर घर के आसपास जमा पानी में पैदा होते हैं। जहां भी पानी जमा हुआ है उस पर दवाई डालना और सफाई रखना जरूरी है। जब भी डेंगू के लक्षण जैसे तेज बुखार,शरीर पर लाल-लाल चकत्ते दिखाई देना,पूरे बदन में तेज दर्द होना,उल्टी होना ,चक्कर आना जैसे लक्षण  दिखाई दे रहा हो तो तुरंत अस्पताल जाना चाहिए और डेंगू की जांच  करानी चाहिए। डेंगू का टेस्ट हर सरकारी अस्पताल में होता है। जो लोग EWS कोटा में आते हैं वह प्राइवेट अस्पताल में भी कम पैसे में इलाज करा सकते हैं। यदि डेंगू के इलाज को लेकर कोई समस्या आ रही है तो सरकार की हेल्पलाइन नंबर  1031 पर सम्पर्क कर सकते हैं। जब आपके नेता नहीं बदल रहे हैं तो खुद अपने आपको बदल लीजिए और अपना ख्याल खुद रखिए।

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