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This Article is From Feb 13, 2015

यादों के झरोखे से : 1983 वर्ल्ड कप के बाद की पूरी कहानी

Sushil Mohapatra, Rajeev Mishra
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  • Updated:
    फ़रवरी 13, 2015 01:19 am IST
    • Published On फ़रवरी 13, 2015 00:52 am IST
    • Last Updated On फ़रवरी 13, 2015 01:19 am IST

1987-88 वर्ल्डकप में कुछ बदलाव हुए। जहां पहले तीन वर्ल्डकप इंग्लैंड में खेले गए, वहीं चौथा वर्ल्डकप भारत और पाकिस्तान के मैदान पर खेला गया। मैच के ओवर 60 से घटाकर 50 कर दिए गए। आठ देश, भारत, पाक्सितान, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका, वेस्ट-इंडीज, न्यूज़ीलैंड और ज़िम्बाव्बे इस वर्ल्ड कप में शामिल हुए। कपिल देव की कप्तानी में भारत अपने सात लीग मैचों में से 4 जीतकर सेमी-फाइनल में पहुंचा था। लेकिन इंग्लैंड के खिलाफ 5 नवंबर को मुंबई में हुए सेमी-फाइनल मैच में भारत इंग्लैंड से 35 रन से हार गया और लगातार दो बार वर्ल्डकप जीतने का सपना टूट गया।
फाइनल मैच ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच 8 नवंबर को ईडन गार्डन के मैदान पर खेला गया। ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड को सात रन से हराकर अपना पहला वर्ल्डकप हासिल किया।

सन 1991-92 बेंसन एंड हेजेज वर्ल्डकप ऑस्ट्रेलिया में खेला गया। इस वर्ल्ड कप में सफ़ेद बॉल के साथ-साथ रंगीन कपड़े और फ्लड्लाइट का इस्तेमाल हुआ। भारत की टीम ने मोहम्मद अजहरूद्दीन की कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया। भारत की टीम में कई नए और युवा खिलाड़ी थे, लिटिल मास्टर सचिन तेंदुलकर भी भारत की टीम का हिस्सा थे और सबसे युवा खिलाड़ी थे। उस वक़्त सचिन की उम्र करीब 19 साल थी। अजय जडेजा, विनोद कांबली, वेंकटपति राजू, जवागल श्रीनाथ, प्रवीण आमरे, सुब्रतो बनर्जी, जैसे युवा खिलाड़ी भारतीय टीम के हिस्सा थे। इस वर्ल्ड कप में भारत का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा।

भारत अपने पहले मैच वेस्ट-इंडीज से हारने के बाद, दूसरे मैच जो श्रीलंका के खिलाफ था बारिश की बजह से रद्द हो गया। भारत का तीसरा मैच एक ऐसी टीम के साथ था जो अभी तक वर्ल्ड कप के 16 साल के इतिहास में एक-दूसरे से एक बार भी नहीं भिड़ी थी और वह टीम थी पाकिस्तान। पाकिस्तान और भारत के बीच वर्ल्ड कप इतिहास का यह पहला मैच था। दोनों टीमों के ऊपर काफी दबाब था। ऐसा लग रहा था कि यह लीग मैच नहीं बल्कि फाइनल मैच है। दोनों देशों के लोग अपनी टीम को जीतता देखना चाहते थे। लेकिन भारत के भाग्य में जीत लिखी हुई थी।

भारत ने पाकिस्तान को 43 रन हराकर इस वर्ल्ड कप में अपनी पहली जीत हासिल की और इस जीत के हीरो थे लिटिल मास्टर सचिन तेंदुलकर। सचिन ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए 54 रन की शानदार नाबाद पारी खेली और बोलिंग करते हुए 10 ओवर में 37 रन देकर एक विकेट भी हासिल किया। शानदार खेल की बजह से सचिन को "मैन ऑफ़ द मैच" का आवर्ड भी मिला।

पाकिस्तान भारत से जरूर हार गया था, लेकिन पाकिस्तान की टीम शानदार खेल का प्रदर्शन करते हुए सेमी-फाइनल में पहुंची थी। और वर्ल्ड कप के इतिहास में यह चौथी बार था जहाँ पाकिस्तान सेमी-फाइनल में पहुंचा था। सेमी-फाइनल में न्यूज़ीलैंड को हराकर पाकिस्तान ने फाइनल में प्रवेश किया और यह पाकिस्तान का वर्ल्ड कप का पहला फाइनल था। अब पाकिस्तान हार मानने वाला नहीं था। पाकिस्तान ने इंग्लैंड 22 रन से हराकर वर्ल्ड कप अपने नाम किया। पाकिस्तान के साथ-साथ भारत के लोग भी पाकिस्तान की इस जीत से खुश थे। वसीम अकरम के शानदार ऑल राउंड प्रदर्शन के वजह से उनको फाइनल मैच में "मैन ऑफ़ द मैच" का पुरस्कार मिला।

1996 में खेला गया वील्स वर्ल्ड कप भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका के मैदान पर खेला गया। क्रिकेट की पंडितों ने भारत और पाकिस्तान पर वर्ल्ड कप जीतने की भविष्यवाणी की थी, लेकिन उनकी इस भविष्यवाणी को जिसने गलत साबित किया वह था श्रीलंका। श्रीलंका ने कमाल के खेल का प्रदर्शन करते हुए ऑस्ट्रेलिया को हराकर वर्ल्ड कप अपने नाम किया। कहीं न कहीं भाग्य ने भी श्रीलंका का साथ दिया। कोलंबो में बम ब्लास्ट की वजह से ऑस्ट्रेलिया और वेस्ट-इंडीज जैसी टीमों ने श्रीलंका के मैदान पर खेलने से मना कर दिया था, जिसकी वजह से बिना मैच खेले श्रीलंका को चार अंक मिल गए थे और श्रीलंका के लिए रास्ता आसान हो गया। इसके बाद श्रीलंका ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए श्रीलंका ने अपना हर मैच जीता और वर्ल्ड कप अपने नाम किया। भारत और श्रीलंका के बीच पहला सेमी-फाइनल कोलकता में खेला गया था, लेकिन दर्शकों के हंगामे की वजह से यह मैच आधे में ही बंद करना पड़ा और श्रीलंका को जीता घोषित किया गया।

विनोद कांबली इसकी वजह से इतने दुखी हो गए थे कि वह मैदान से रोते हुए पैविलियन लौटे थे। सनथ जयसूर्या के शानदार खेल की वजह से "मैन ऑफ़ द सीरीज" के अवार्ड से नवाज़ा गया था।

इसके बाद लगातार तीन वर्ल्ड कप ऑस्ट्रेलिया ने अपने नाम किए। 1999, 2002/03, 2006/07 वर्ल्डकप में शानदार खेल का प्रदर्शन करते हुए तीनों बार लगातार वर्ल्डकप जीतकर क्रिकेट की किताब में एक नया अध्याय लिखा। उस वक़्त ऑस्ट्रेलियाई टीम काफी मजबूत टीम मानी जाती थी। ऑस्ट्रेलिया के पास शानदार खिलाड़ी मौजद मौजूद थे। स्टीव वॉ, रिकी पोंटिंग, एडम गिलक्रिस्ट, ग्लेन मैकग्रा, शेन वार्न जैसे शानदार खिलाड़ी ऑस्ट्रेलिया टीम का हिस्सा थे।

सातवें वर्ल्डकप में ऑस्ट्रेलिया ने फाइनल मैच में पाकिस्तान को हराकर वर्ल्डकप अपने नाम किया। आठवां वर्ल्डकप में साउथ अफ्रीका, ज़िम्बाब्वे और कीनिया में खेला गया। सौरभ गांगुली की कप्तानी में भारत ने यह वर्ल्ड कप खेला।
भारत ने शानदार खेल का प्रदर्शन करते हुए फाइनल में जगह बनाई, लेकिन फाइनल में ऑस्ट्रेलिया जैसी टीम को हराना आसान नहीं था। 23 मार्च 2003 को जोहान्सबर्ग में खेले गए फाइनल मैच में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 125 रन से हराकर तीसरी बार वर्ल्ड कप अपने नाम किया।

2006/2007 आईसीसी वर्ल्डकप वेस्ट-इंडीज में खेला गया। फाइनल मैच ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका के बीच हुआ। ऑस्ट्रेलिया ने श्रीलंका को 53 रन से हराकर चौथी बार वर्ल्ड कप अपने नाम किया। राहुल द्रविड़ की कप्तानी में भारत अपने तीन लीग मैच से दो हारकर टूर्नामेंट से बाहर हो गया था।

2011 में खेला गया वर्ल्ड कप भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका के मैदान पर खेला गया। घरेलू मैदान पर खेलने की वजह से भारत के पास एक मौका था, वर्ल्डकप अपने नाम करने का। पहला मैच भारत और बांग्लादेश के बीच 19 फरवरी को ढाका में खेला गया। धोनी की कप्तानी में भारत ने अपना पहला मैच 87 रन से जीत कर विजय अभियान शुरू किया। भारत ने अपने छह लीग मैच में चार जीत और एक टाई के साथ क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई। भारत ने क्वार्टर फाइनल मैच में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 24 मार्च को अहमदाबाद में खेला और ऑस्ट्रेलिया को पांच विकेट से हराकर भारत ने सेमी-फाइनल में प्रवेश किया। भारत और पाकिस्तान के बीच सेमी-फाइनल मैच 30 मार्च को चंडीगढ़ में खेला गया। भारत  ने पाकिस्तान को 29 रन से हराकर फाइनल में जगह पक्की की।
श्रीलंका ने न्यूज़ीलैंड को हराकर फाइनल का रास्ता तय किया था। फाइनल मैच 2 अप्रेल को मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेला गया। भारत के पास एक मौका था 28 साल के बाद वर्ल्डकप जीतने का। श्रीलंका ने पहले बैटिंग करते हुए भारत के सामने 274 रन का लक्ष्य रखा।
पहले ओवर में वीरेंद्र सहवाग खाता खोलने से पहले आउट हो गए और भारत के ऊपर दबाब बढ़ गया। वर्ल्ड कप जीतने का सपना और दूर होते हुए नज़र आया, जब भारत के सबसे अनुभवी खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर सिर्फ 18 रन बनाकर आउट हो गए। तब भारत का स्कोर सिर्फ 31 रन था। विराट कोहली और गौतम गंभीर के बीच अच्छी साझेदारी हुई। दोनों ने मिलकर भारत का स्कोर 100 के ऊपर पहुंचाया। जब भारत का स्कोर 114 रन था तब कोहली 35 रन के निजी स्कोर पर आउट हो गए। अब महेंद्र सिंह धोनी ने अपने आपको बैटिंग आर्डर में प्रोमोट किया और युवराज सिंह से पहले बैटिंग करने आए। ऐसा लग रहा था कि कप्तान कुछ कर दिखाना चाहते है। धोनी का यह निर्णय सही साबित हुआ।
धोनी ने मैदान के चारों तरफ शानदार शॉट्स खेलते हुए भारत की पारी को आगे बढ़ाया, 49वें ओवर में कुलशेखरा के नौवें ओवर की दूसरी गेंद पर छक्का मारकर भारत को जीत दिलवाई। धोनी ने 79 गेंद का सामना करते हुए 91 रन की नाबाद पारी खेली। गौतम गंभीर ने भी 97 रन की शानदार पारी खेली। महेंद्र सिंह धोनी को "मैन ऑफ़ द मैच" और युवराज सिंह को "मैन ऑफ़ द सीरीज" का ख़िताब मिला।

अगर रिकॉर्ड की बात की जाए तो सचिन तेंदुलकर के नाम वर्ल्डकप में सबसे ज्यादा रन बनाने का रिकॉर्ड अभी तक कायम है। सचिन ने 45 मैच में करीब 57 के औसत से 2278 रन बनाये हैं जिसमें छह शतक और 15 अर्द्धशतक शामिल हैं। सचिन के बाद वर्ल्डकप में सबसे ज्यादा रन बनाने का रिकॉर्ड रिकी पोंटिंग और ब्रायन लारा के नाम हैं। अगर गेंदबाजी की बात किया जाए तो ग्लेन मैकग्रा के नाम सबसे ज्यादा विकेट लेने का रिकॉर्ड है। मैकग्रा ने 39 मैचों में 71 विकेट लिए हैं।

2015 का वर्ल्ड कप ऑस्ट्रेलिया में खेला जायेगा। 14 फरवरी शुरू हो रहे इस वर्ल्डकप में 14 देश हिस्सा ले रहे हैं। महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया में पहुँच चुकी है। भारत को अपना पहला मैच पाकिस्तान के खिलाफ 15 फरवरी को खेलना है।

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