राहुल गांधी, जिन पर दोबारा कांग्रेस अध्यक्ष आधिकारिक तौर पर संभालने का दबाव डाला जा रहा है, वो अभी भी प्रामाणिक नेतृत्व के अपनी छवि को ही पूरा कर रहे हैं. अब जब आम चुनाव के दो साल रह गए हैं, ऐसा प्रतीत होता है कि विरोधी पक्ष के दल केंद्रीय एजेंसियों द्वारा बीजेपी विरोधी धड़े में शामिल नेताओं पर की जा रही लक्षित कार्रवाई को लेकर एकजुट हो रहे हैं. हालांकि सभी बड़े राजनीतिक दल, जब उनके नेतृत्व के खिलाफ छापेमारी या सवाल-जवाब जैसी कार्रवाई सीबीआई और ईडी जैसी एजेंसियों की ओर से की जाती है तो उसे प्रतिशोध की कार्रवाई का दावा करते हैं, लेकिन जब दूसरे दलों के नेताओं के खिलाफ ऐसी कार्रवाई होती है तो उनका रुख ऐसा नहीं होता. लिहाजा एक मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करते हुए कांग्रेस ने दिल्ली सरकार के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ "छापेमारी" का स्वागत किया है. यह कार्रवाई जिस तरह 10 घंटे से भी ज्यादा जारी रही और देखा गया कि कांग्रेस विवादित शराब नीति की जांच की मांग करते हुए बीजेपी के रुख के साथ खड़ी होती नजर आई.उसने भी दिल्ली सरकार द्वारा आबकारी नीति को लागू करने और फिर इसे वापस लेने में कथित भ्रष्टाचार की जांच की मांग करते हुए कार्रवाई का समर्थन किया.
लेकिन कांग्रेस को अपने ही पैर में कुल्हाड़ी मारने को लेकर ऑनरेरी ओलंपिक गोल्ड दिया जाना चाहिए. आप और मनीष सिसोदिया के खिलाफ मोदी सरकार की कार्रवाई का समर्थन कर उसने राहुल गांधी और उनकी मां सोनिया गांधी के खिलाफ जांच को विपक्षी नेताओं पर बदले की कार्रवाई बताने के अपने दावे की अहमियत ही कम कर दी है. आखिरकार, ऐसा नहीं हो सकता है कि केवल गांधी परिवार के साथ झूठे भ्रष्टाचार के दावों और मनी लॉन्ड्रिंग की जांच को लेकर अन्याय हो रहा है. मोदी सरकार अब आप के खिलाफ छापेमारी के लिए कांग्रेस के समर्थन का आह्वान कर सकती है कि जांच एजेंसियां स्वतंत्र रूप से और केंद्र के किसी निर्देश के बिना काम करती हैं.
कांग्रेस का कहना है कि आप के खिलाफ सीबीआई के छापे के लिए उसका समर्थन इस आधार पर है कि अरविंद केजरीवाल भ्रष्ट सरकार चला रहे हैं, और यह तथ्य भी है कि वो अन्य दलों को कोई समर्थन नहीं देते हैं, जब उनके नेताओं पर छापे मारे जा रहे हैं या जेल भेजा जा रहा होता है. यह बाद वाला एक वैध बिंदु हो सकता है, लेकिन अन्य नेताओं ने बात की है - जैसे राजद सांसद के मनोज झा - आप के छापे के खिलाफ, यहां तक कि वे जोर देते हैं कि जब विपक्ष को निशाना बनाया जाता है तो आप को अधिक एकजुटता दिखाने की जरूरत होती है. राहुल गांधी ने खुद केंद्र द्वारा ओवरकिल के रूप में केंद्रीय एजेंसियों के इस्तेमाल का मजाक उड़ाया है और कहा है कि उनके परिवार और पार्टी को अधीनता और चुप्पी के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा।
इसमें दूसरी बात को सही मुद्दा माना जा सकता है, लेकिन अन्य नेता तो मुखर हुए थे- जैसे राजद सांसद मनोज झा-आप नेताओं पर छापेमारी के खिलाफ. हालांकि उन्होंने जोर दिया कि विपक्ष को निशाना बनाए जाने के दौरान आम आदमी पार्टी को ज्यादा एकजुटता दिखाने की जरूरत है.राहुल गांधी खुद केंद्र द्वारा केंद्रीय एजेंसियों के इस्तेमाल को सीमा के पार बताते हुए उपहास उड़ाया है. उन्होंने कहा कि उनके परिवार और पार्टी को जुखने और खामोश रहने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता.
दिल्ली के आबकारी मंत्रालय का प्रभार संभालने वाले मनीष सिसोदिया के खिलाफ कार्रवाई की सोशल मीडिया पर कांग्रेस द्वारा संचालित हैंडल की ओर से सराहना की गई. जैसा कि भाजपा ने यह हास्यास्पद दावा किया कि स्वास्थ्य और शिक्षा में मनीष सिसोदिया के काम की प्रशंसा में पहले पन्ने का लेख "पेड न्यूज" था, कांग्रेस ने इस बात का समर्थन किया. मनीष सिसोदिया की पार्टी ने दावा किया है कि यह न्यूयॉर्क टाइम्स की उनके नेता की प्रशंसा के बाद बीजेपी की ओर से उठाया गया कदम है. आम आदमी पार्टी, जो आम तौर पर तमाम मुद्दों पर मोदी सरकार के साथ खड़ी दिखती है और बीजेपी ने सुर्खियों में छा गए और न्यूज चैनलों के शो में छाए नीष सिसोदिया पर रेड के साथ पूरी ताकत झोंक दी है. यह उसी तरह का संकेत देता है कि कमजोर आदमी सबसे बेहतर करने की कोशिश कर रहा है और उसे डरा-धमकाकर रोकने का प्रयास किया जा रहा है. यह वही डेविड बनाम गोलियथ की कहानी है, जिसका इस्तेमाल केजरीवाल बार-बार करते आ रहे हैं.
निश्चित तौर पर कांग्रेस और राहुल गांधी इस बात को मानते हैं कि अरविंद केजरीवाल लगातार अपने वादों पर खरा उतरते हुए उन लोगों के लिए कांग्रेस का एक विकल्प बनते जा रहे हैं, जो बीजेपी का समर्थन नहीं करते हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी के अभियान की घोषणा के ठीक के बाद ये छापेमारी हुई है. जब मनीष सिसोदिया के घर सीबीआई ने छापेमारी की, तो हर न्यूज चैनल पूरे दिन इसी स्टोरी को लेकर टिका रहा. कांग्रेस आम आदमी पार्टी के बढ़ते जनाधार की अनदेखी नहीं कर सकती. जो बेहद शक्तिशाली और दमनकारी बीजेपी की ताकत के खिलाफ एक आम आदमी की लड़ाई के प्रोजेक्शन को लगातार आगे बढ़ा रही है. आम आदमी पार्टी के प्रत्येक नेता ने यही कहा कि ये छापेमारी दिखाती है कि अरविंद केजरीवाल ही मोदी के खिलाफ सबसे ठोस विकल्प हैं.
तथ्य यह है कि न्यूयॉर्क टाइम्स ने दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य और शिक्षा के आमूलचूल बदलाव पर ध्यान केंद्रित किया है, क्योंकि अरविंद केजरीवाल, विशेष रूप से पंजाब चुनाव के बाद,"दिल्ली मॉडल" के शासन के एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं, उनका कहना है कि इससे पूरे देश को लाभ होगा.
आप आगामी गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव में उतरने को तैयार है और अरविंद केजरीवाल दोनों ही राज्यों में पूरी ताकत झोंक रहे हैं. रणनीति है कि दूसरे राज्यों में कांग्रेस के वोटों में सेंध लगाई जाए और खुद को बीजेपी के मुख्य प्रतिद्वंद्वी के तौर पर पेश किया जाए. लेकिन पसोपेश में पड़ी कांग्रेस मुश्किल से ही गुजरात और हिमाचल प्रदेश में टक्कर देते हुए दिख रही है. यह करीब दो साल पहले दिल्ली के चुनाव के वक्त की याद दिलाती है. बहरहाल राहुल गांधी बड़ी दुविधा में फंसे हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी को संभाला जाए या नहीं. उनका आखिरी संदेश यही था कि वो ये जिम्मेदारी नहीं चाहते लेकिन नेतृत्व को इस तरह दूसरे हाथों में जाने देना भी नहीं चाहते. बहरहाल, आप हर उस मौके को भुना रही है और राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी को गंभीरता से पेश करने की कवायद को मजबूत कर रही है, और शायद इस छापेमारी से केंद्र ने कोई गलती की है.
स्वाति चतुर्वेदी लेखिका तथा पत्रकार हैं, जो 'इंडियन एक्सप्रेस', 'द स्टेट्समैन' तथा 'द हिन्दुस्तान टाइम्स' के साथ काम कर चुकी हैं...
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