मनीष सिसोदिया और अरविंद केजरीवाल की फाइल तस्वीर
नई दिल्ली: किसी खास जगह या व्यक्ति के बारे में लोगों को यह कहते तो आपने सुना ही होगा कि वह मनहूस है। तमाम लोगों के अंधविश्वास भी आपने खूब देखे-सुने होंगे। राजनेता भी अच्छे खासे अंधविश्वासी होते हैं। एक मशहूर अंधविश्वास के बारे में तो आप जानते ही होंगे कि उत्तरप्रदेश का कोई भी मुख्यमंत्री नोएडा आने से कतराता है, माना जाता है कि अगर नोएडा में कदम रखे तो अगले चुनाव में हार पक्की। दिल्ली में आम आदमी पार्टी के लिए कानून मंत्री की कुर्सी भी कुछ ऐसी ही मनहूस बनती जा रही है।
दूसरी बार दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी की सरकार में कानून मंत्री की कुर्सी पर कोई भी नेता फेविकोल का मजबूत जोड़ लगा ही नहीं पा रहा है। पहली बार 49 दिन की केजरीवाल सरकार में सोमनाथ भारती को कानून मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई और वे पूरे समय विवादों में घिरे रहे। खैर इससे पहले कि उनकी कुर्सी पर गाज गिरती, केजरीवाल सरकार ने 49 दिन में ही इस्तीफा दे दिया। सोमनाथ का कार्यकाल 28 दिसंबर 2013 से 14 फरवरी 2014 तक रहा।
दूसरी बार प्रचंड बहुमत से सरकार बनाने वाली आम आदमी पार्टी ने जितेंद्र सिंह तोमर को कानून मंत्री की कुर्सी सौंपी और 116 दिन बाद ही उन्हें जेल से इस्तीफा देना पड़ा। फर्जी डिग्री विवाद में फंसने के बाद जितेंद्र सिंह तोमर को कोर्ट ने जेल भेज दिया था। बता दें की तोमर अभी तक आम आदमी पार्टी की ओर से सबसे लंबे समय तक कानून मंत्री की कुर्सी संभालने वाले शख़्स हैं। कार्यकाल 14 फरवरी 2015 से 9 जून 2015 तक।
तोमर के इस्तीफे के बाद कपिल मिश्रा को कानून मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई और 31 अगस्त को उन्हें कार्यमुक्त कर दिया गया। यहां गौर करने लायक बात ये भी है कि कपिल ने 28 अगस्त को खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को चिट्ठी लिखकर उन्हें हटाए जाने की आशंका जाहिर की थी। अपनी चिट्ठी में उन्होंने लिखा, शीला दीक्षित के ऊपर एफआईआर की सिफारिश करने पर उनकी कुर्सी जा सकती है।' कुछ लोग कपिल मिश्रा की छुट्टी को बिहार चुनाव से भी जोड़कर देख रहे हैं। केजरीवाल ने नीतीश का साथ देने की घोषणा की है और नीतीश की इन दिनों कांग्रेस से घनिष्ठता है। ऐसे में शीला दीक्षित पर कार्रवाई एनडीए के हाथ में मुद्दा दे देती। इसलिए AAP ने खुद के मंत्री पर ही कार्रवाई कर दी। कपिल कुल 84 दिन कानून मंत्री रहे। कार्यकाल 9 जून 2015 से 31 अगस्त 2015 तक।
अब कानून मंत्री की कुर्सी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के ख़ास और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सौंपी गई है। देखते हैं केजरीवाल के विश्वासपात्र मनीष इस कुर्सी को ठीक से संभाल पाते हैं या एक बार फिर रंग दिखाते हुए कानून मंत्री की कुर्सी उनकी भी बलि मांगती है।