विज्ञापन
This Article is From May 02, 2019

अल-क़ायदा के कारण प्रतिबंधित हुआ अज़हर, भारत में आतंकी गतिविधियों का ज़िक्र नहीं

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    मई 02, 2019 20:58 pm IST
    • Published On मई 02, 2019 20:58 pm IST
    • Last Updated On मई 02, 2019 20:58 pm IST

मसूद अज़हर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा चिन्हित, प्रतिबंधित और सूचित ग्लोबल आतंकवादी हो गया है. भारत ने लंबे समय तक कूटनीतिक धीरज का पालन करते हुए उसी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से अज़हर को ग्लोबल आतंकी की सूची में डलवाया है जहां से उसे 2009, 2016, 2017 और मार्च 2019 में पहले सफलता नहीं मिली. पांचवी बार में मिली यह सफलता कूटनीतिक धीरज का मिसाल बनेगी. 1 मई को जब 9 बजे तक चीन की तरफ से कोई आपत्ति नहीं आई तब ऐलान हो गया कि संयुक्त राष्ट्र की अल कायदा कमेटी मसूद अज़हर को अल-कायदा से संबंध रखने के आरोप में ग्लोबल आतंकी की सूची में डालती है.

भारत ने पुलवामा हमले के बाद मसूद अज़हर को आतंकी सूची में डलवाने की कवायद की थी मगर चीन भारत की दलीलों से सहमत नहीं हुआ. इस बार चीन सहमत नहीं होता तो इस पर संयुक्त राष्ट्र में खुला मतदान होता, तब चीन के लिए मुश्किल हो जाती. 27 फरवरी को अमरीका, ब्रिटेन और फ्रांस ने साझा रूप से मसूद अज़हर के ख़िलाफ़ प्रस्ताव रखा था. उसमें यह आधार था कि जैश ए मोहम्मद ने घटना की ज़िम्मेदारी ली है. 13 मार्च को चीन ने आपत्ति लगा दी थी.

इस बार 23 अप्रैल को फिर से इस प्रस्ताव को खोला गया. 1 मई तक आपत्ति दर्ज कराने की समय सीमा रखी गई थी. मसूद अज़हर को आतंकी सूची में इसलिए रखा गया है क्योंकि कमेटी ने पाया है कि मसूद अज़हर ने जैश-ए मोहम्मद को सपोर्ट किया है. जिस जैश ए मोहम्मद को संयुक्त राष्ट्र की इसी 1267 कमेटी ने 2001 को प्रतिबंधित किया था. जैश ए मोहम्मद पर आरोप था कि अल कायदा से उसके वित्तीय और अन्य संबंध आतंकी संगठन अल-क़ायदा से रहे हैं. इस संगठन ने अफगानिस्तान में आतंक बहाल करने का काम किया था. मसूद अज़हर जमात-उद-दावा का प्रमुख है. संगठन बदल-बदल कर काम करता रहा है.

पुलवामा हमले के बाद जैश ए मोहम्मद ने घटना की ज़िम्मेदारी ली थी. भारत ने इस आधार पर मसूद अज़हर को घेरा था. लेकिन इस बार के प्रस्ताव से पुलवामा हमले को हटा दिया गया. पाकिस्तान और चीन चाहते थे कि पुलवामा का ज़िक्र हटा दिया जाए. इसलिए 1267 के प्रस्ताव में पुलवामा और 2008 के मुंबई हमले का ज़िक्र नहीं है. संसद पर हुए हमले का ज़िक्र नहीं है. IC 814 की घटना का ज़िक्र है.

भारत मांग करता रहा है कि मुंबई हमले के मामले में उस पर मुकदमा चले और सज़ा हो. अच्छा होता कि मसूद अज़हर भारत में हुई आतंकी गतिविधियों के कारण प्रतिबंधित होता. इससे भारत को अपने भौगोलिक क्षेत्र में पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियों को भी मान्यता मिलती. मसूद अज़हर हमारा दुश्मन है क्योंकि वह भारत की ज़मीन पर हुए आतंकी हमलों का अपराधी है. जो भी हो उसे दूसरे कारणों से सज़ा तो मिली है. यह खुशी की बात है.

पाकिस्तान कह सकता है कि पुलवामा का ज़िक्र नहीं है. उसे राजनीतिक तौर पर बदनाम करने के लिए इसका ज़िक्र डाला गया लेकिन मसूद अज़हर है तो उसी का नागरिक. क्या अल-क़ायदा से संबंध रखने के कारण प्रतिबंधित होना कम शर्म की बात है! भारत और दुनिया की नज़र अब इस बात पर होगी कि मसूद अज़हर की गिरफ्तारी कब होती है. वह उसके ख़िलाफ़ क्या कार्रवाई करता है. पाकिस्तान ने कहा है कि वह प्रतिबंध को लागू करेगा. 2001 में जैश-ए-मोहम्मद पर प्रतिबंध लगा था. इसके बाद भी कई घटनाओं में इस संस्था का ज़िक्र आता है. इसके बाद भी वही अमरीका और वही चीन पाकिस्तान के साथ संबंध बनाए हुए हैं.

चीन ने भी इस घटना पर बयान जारी किया है. चीन हमेशा मानता रहा है कि इस तरह का काम विस्तृत जानकारी, ठोस सबूत, पेशेवर आधार और सर्वसम्मति से होना चाहिए न कि पूर्वाग्रह के आधार पर. संबंधित पक्षों से सकारात्मक बातचीत के बाद प्रासंगिक देशों ने अपने प्रस्ताव को बदला है. चीन को एतराज़ नहीं है. यानी चीन को जिन बातों से एतराज़ से था उसे मान लिया गया है.

चीन ने अपने बयान में यह भी जोड़ा है कि पाकिस्तान ने आतंकवाद से लड़ने में काफी योगदान का है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय पाकिस्तान को इस बात का श्रेय दे. आतंक से लड़ने में पाकिस्तान को सहयोग करे.

चीन ने चंद रोज़ पहले पाकिस्तान को अपने सभी मौसमों का साथी बताया था. पाकिस्तान भी अपना स्पेस मिशन कामयाब बनाना चाहता था. मानव युक्त यान भेजना चाहता है जिसमें चीन उसकी मदद कर रहा है. भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में लंबी दूरी की कामयाबी हासिल कर ली है. वो भी अपने दम पर.

पाकिस्तान और चीन अपनी बात कहेंगे. कूटनीतिक तराजू पर बटखरा रखकर नहीं तौला जाता है. सब अपने अपने हिसाब से भार बताते हैं. विश्लेषण एक तरफ. मसूद अज़हर पर प्रतिबंध एक तरफ. भारत ने जिन कारणों से प्रयास किया था वो भले न माने गए हों मगर जिस दिशा में प्रयास किया था वो सफल रहा है. माना गया है.

नोट- मैं आतंक और आंतरिक सुरक्षा के विषय पर नहीं लिखता. इस मामले में दूसरों का लिखा पढ़ता हूं जो इस क्षेत्र की घटनाओं पर निरन्तर नज़र रखते हैं. अध्ययन करते हैं. इस लेख के लिए दि हिन्दू की सुहासिनी हैदर और श्रीराम लक्ष्मण की रिपोर्ट पढ़ी. इंडियन एक्सप्रेस के सुभोजित रॉय और सौम्य अशोक की रिपोर्ट पढ़ी. मैंने पाकिस्तान के अखबार दि डॉन की वेबसाइट को भी देखा. पाकिस्तान का पक्ष है मगर हेडलाइन में मसूद अज़हर को प्रतिबंधित किए जाने की प्रमुखता मिली है. UNSC lists JeM chief as global terrorist इतना लिखा है. यानी आतंकी घोषित किए जाने को प्रमुखता दी गई है. मैं ऐसे विषयों पर व्हाट्स एप यूनिवर्सिटी के पोस्ट नहीं पढ़ता.

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति NDTV उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार NDTV के नहीं हैं, तथा NDTV उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com