यह ख़बर 26 अगस्त, 2014 को प्रकाशित हुई थी

बाबा की कलम से : आख़िर शिवसेना की घबराहट की वजह क्या है?

फाइल फोटो

नई दिल्ली:

उपचुनाव में बीजेपी के प्रर्दशन के बाद एनडीए में उसके सबसे पुराने सहयोगी शिवसेना ने चेताया है कि लोकसभा और विधान सभा चुनाव अलग-अलग होते हैं और महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन को कमर कसने की जरूरत है।

शिवसेना मानती है कि बीजेपी को इस उपचुनाव के नतीजों से बाद कमर कसने और आत्मचिंतन करने की जरूरत है। दरअसल शिवसेना को अहसास है कि इस बार यह गठबंधन सत्ता के काफी करीब है और हर कदम फूंक-फूंक कर रखने की जरूरत है।

पिछले 15 सालों से कांग्रेस−एनसीपी गठबंधन महाराष्ट्र की सत्ता पर काबिज है और उनके पास शरद पवार के साथ-साथ कई कद्दावर नेता मौजूद हैं। तमाम अनबन के बाद भी कांग्रेस-एनसीपी उसी तरह से साथ हैं, जैसे किसी शादी में पति पत्नी होते हैं। मगर इस बार हालात बदल रहे हैं।

यहां शिव सेना का बयान बीजेपी को सलाह है। वजह ये है कि अभी तक महाराष्ट्र में बीजेपी जूनियर पार्टनर होती रही, मगर लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी अधिक सीटें मांग रही है। ठीक उसी तरह जैसे एनसीपी कांग्रेस से इस बार बराबर की सीट देने की बात कर रही है।

शिव सेना को इस बात का भी अंदाजा है कि केंद्रीय मंत्री मुंडे के निधन के बाद महाराष्ट्र बीजेपी में एक तरह से संकट की हालत है। मुंडे को महाराष्ट्र भेजा जाना लगभग तय था। मगर अब बीजेपी गडकरी को अपना मुख्यमंत्री का उम्मीदवार बनाने से हिचक रही है और इसी का फायदा शिव सेना उठाना चाहती है। वह बीजेपी पर दबाब बनाए रखना चाहती है, ताकि उसे बीजेपी को अधिक सीटें न देना पड़े।

शिव सेना का यह कहना कि केवल जीत की बातों से चुनाव नहीं जीते जा सकते। सेना का मानना है कि लोगों ने नरेंद्र मोदी को देश चलाने के लिए एक बड़ा बहुमत दिया है, मगर राज्यों के चुनाव अलग हालात में लड़े जाते हैं। शिव सेना का इशारा बिहार के बीजेपी नेताओं के तरफ भी है, जहां किसी भी बीजेपी नेता से नीतिश कुमार और लालू यादव का कद बड़ा है।

लोक सभा चुनाव के बाद बीजेपी नेताओं का अंदाज काफी बदला है और बदला है अपने सहयोगियों के तरफ नजरिया भी। शिव सेना ने इस बार बीजेपी को हवा में न रहने की बात कहने की जुर्रत की है।

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बीजेपी का यही नजरिया हरियाणा में भी देखने को मिल रहा है, जहां हरियाणा विकास पार्टी के कुलदीप विश्नोई बीजेपी नेताओं के बुलावे का इंतजार कर रहे हैं, मगर फोन कॉल चौटाला को किया जा रहा है। कई जानकार मान रहे हैं कि उप चुनाव के नतीजे बीजेपी के नेताओं को जमीन का अहसास कराएंगे, जिससे कि वे गठबंधन की मजबूरियों को समझेगें और फिर आगे की रणनीति तय हो पाएगी।