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This Article is From May 30, 2015

42 साल तक अरुणा शानबाग कोमा में और उसका मुजरिम पश्चाताप के नशे में

Ravish Ranjan Shukla
  • Blogs,
  • Updated:
    मई 30, 2015 22:13 pm IST
    • Published On मई 30, 2015 22:08 pm IST
    • Last Updated On मई 30, 2015 22:13 pm IST
दिल्ली से करीब 65 किलोमीटर दूर पापरा गांव की नींद 42 साल बाद टूटी है। धूल उड़ाती मीडिया की बड़ी गाड़ी और कैमरे के लेंस शायद इतनी बड़ी तादाद में 42 साल बाद ही यहां दिखे हैं।

42 साल बाद गांववालों को पता चला कि मुंबई के किसी अस्पताल की नर्स अरुणा शानबाग सालों तक कोमा में रहने के बाद इसी 18 मई को उनकी मौत हो गई। 42 साल से उसका मुजरिम सोहन लाल को भी पीने की लत है। मेरी इस जानकारी का आधार सोहनलाल की दो बहुओं और पड़ोसियों से की गई बातचीत के आधार पर है।

पापरा गांव के दो कमरों के छोटे मकान में जब मैं पहुंचा तो वहां सन्नाटा था। मुंह पर कपड़े डाले एक महिला बच्चे को नहला रही थी। मैं गांव के कई बच्चों की भीड़ लेकर सोहनलाल के इस घर में दाखिल हुआ।

छोटी बहू ने पहले मीडिया के कैमरे को देखकर मुंह बनाया। बोली कल से मीडिया मेरे घर आ रही है.. आखिर जब वो मर गई, मेरे ससुर भी जेल काटी आए..तो क्यों हमें मीडिया बदनाम कर रही है। उन्हें खुद इस पर पछतावा है, अब आप लोग क्या चाहते हो वो, क्या करें जिससे आप लोगों को पता चले कि वो अब भी अफसोस करते हैं..कभी-कभी उन्हें नींद तक नहीं आती है..शराब के नशे में क्या-क्या बड़बड़ाते रहते हैं..।

वो आगे बोली, कल रात 3 बजे मीडिया की एक वैन मेरे ससुर को उठा ले गई.. कुछ लाइव वाईव कराने.. देखो दोपहर के तीन बजने वाले है उनका कोई पता नहीं है।

सोहनलाल से कैसे और कब हुआ ये अपराध
ये उन्हीं सोहनलाल की बहू है जिनके एक अपराध से मुंबई के किंग एडवर्ड अस्पताल की एक नर्स अरुणा शानबाग 42 साल तक कोमा में रही और देश में इच्छा मृत्यु को लेकर एक नई बहस चल पड़ी। 42 साल पहले सोहनलाल इसी अस्पताल में साफ-सफाई का काम करते थे।

27 नवंबर 1973 को सोहनलाल ने अरुणा से मारपीट की और वो कोमा में चली गई। सोहनलाल का तर्क था कि उन्होंने छुट्टी नहीं दी जिसके चलते उन्होंने गुस्से में उनपर हमला किया। इसकी सजा भी सोहनलाल ने सात साल तक काटी। इसी बीच उनकी बेटी की मौत हो गई। और दो बेटे किशन और रवीन्द्र बड़े हो गई। अब उनके दो-दो बच्चे भी हैं। लेकिन इन सबके बाच उनकी पत्नी विमला ने जरूर सोहनलाल को माफ कर दिया है। अब सोहनलाल 15 किलोमीटर साइकिल चलाकर सफाई करने जाते हैं और अपने परिवार का खर्च चलाते हैं।

मीडिया से परेशान सोहनलाल
सोहनलाल के घर बैठकर उनके पड़ोसी और बहुओं से सोहनलाल का पता पूछ रहा था कि अचानक मेरे बगल में खड़े उनके पड़ोसी सुनील का मोबाइल बजा, दूसरी ओर से किसी ने उन्हें बताया कि मीडिया वालों ने सुबह आठ बजे सोहनलाल को शराब पिलाकर कहीं छोड़ दिया है। मैंने उनसे कहा कि अगर सोहनलाल मिल जाते तो मैं भी उनका इंटरव्यू कर लेता...सुनील बोला क्या साहब अब वो क्या इंटरव्यू देंगे..पी कर इन सारे हादसों को वो भूलना चाहते हैं। जब वो भूलकर इन बच्चों का पेट पालने की कोशिश कर रहे हैं तो आप लोगों ने फिर इसे छेड़ दिया। मुझे एक कविता की दो लाइनें याद आ गईं

आदमी की एक गलती, हादसे भुलाए नहीं भूलते
पॉल बर्जमैन ने पॉल बर्जमैन से कहा
और बौछारों में भीगता, धंस गया नाइटक्लब की गद्देदार दुनिया में,
सोचने से बचने के लिए।

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