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This Article is From Jul 11, 2022

कुछ दिनों के लिए स्थगित किया गया ऑपरेशन लोटस अब गोवा में जारी है

Swati Chaturvedi
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जुलाई 11, 2022 13:56 pm IST
    • Published On जुलाई 11, 2022 13:56 pm IST
    • Last Updated On जुलाई 11, 2022 13:56 pm IST

भाजपा द्वारा महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की सरकार गिराने और "एकनाथ शिंदे सेना" बनने के बाद लाजिमी है कि अब उनके निशाने पर गोवा के कांग्रेस विधायक ही होंगे.

गौरतलब है कि कांग्रेस के प्रति अपनी वफादारी का वादा करने के लिए 11 कांग्रेस विधायकों ने खुद के हस्ताक्षर वाले हलफनामा के अलावे मंदिरों और चर्चों में शपथ ली थी. अब इन 11 कांग्रेस विधायकों में से छह बिना छुट्टी लिए ही अनुपस्थित हो गए है. इस बार कांग्रेस ने काफी तेजी से कार्रवाई की. अपने विपक्ष के नेता (एलओपी) माइकल लोबो को बर्खास्त कर दिया और कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत को सार्वजनिक रूप से दोषी ठहराया. कांग्रेस के गोवा प्रभारी दिनेश गुंडू राव ने कहा,”पार्टी ने उन्हें बीजेपी एजेंट कहा है जो कांग्रेस में दो-तिहाई विभाजन की कोशिश कर रहे थे और विधायकों को बड़ी रकम की पेशकश कर रहे थे."

दलबदल विरोधी कानून के तहत कार्रवाई से बचने के लिए भाजपा को अपने पक्ष में कांग्रेस के आठ विधायकों को लाने की जरूरत है.

गौरतलब है कि माइकल लोबो कांग्रेस के लिए बिल्कुल नए हैं और वे अभी बागियों के पॉइंट पर्सन बन गए हैं. वह चुनाव से ठीक पहले इस साल जनवरी में ही पार्टी में शामिल हुए थे और  और कई स्थानीय गोवा कांग्रेस नेताओं के विरोध के बावजूद उन्हें विपक्ष का नेता बनाया गया था.

कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रविवार देर रात मुकुल वासनिक को गोवा भेजा. गोवा विधानसभा का सत्र आज से शुरू हो रहा है. ये एक संयोग ही है कि गोवा में भाजपा के रणनीतिकार और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव आजकल ठहरे हुए हैं. औऱ उनकी उपस्थिति निस्संदेह ही कांग्रेस में विद्रोह और फिर भाजपा में विलय के लिए प्रेरित करती है. मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने हालांकि दावा किया कि श्री यादव कैबिनेट फेरबदल के लिए सलाह देने गोवा आए हुए हैं.

रविवार की सुबह कांग्रेस के लिए बड़ी चर्चा और अटकलों का दौर शुरू हो गया था कि भाजपा को गोवा में भी एक "शिंदे" मिल गया है जो एक को छोड़कर सभी को अपने पाले में मिला लिया है. दिन भर प्रतिद्वंद्वी खेमे ने बारी-बारी से मीडिया को जानकारी दी. एक बार जब भूपेंद्र यादव गोवा में उतरे तो कांग्रेस उखड़ती नज़र आने लगी क्योंकि वे अपने विधायकों का पता ही नहीं लगा पा रहे थे. गोवा में फिर एक बार रिसोर्ट पॉलिटिक्स की शुरूआत देखने को मिल रही है जिसके तहत विधायकों को भ्रष्ट करने और पाला बदलने के लिए तरह तरह के प्रलोभन की पेशकश होने लगी है. लेकिन आज से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र के साथ  भाजपा चाहती है कि यह विलय स्पीकर के हाथों निर्विवाद रूप से हो.

एक भाजपा विधायक ने चुटकी लेते हुए कहा, "वे महाराष्ट्र के विधायकों को गोवा ले आए थे जो एक रिसॉर्ट हब है. अब वे कांग्रेस के लोगों को कहां ले जाएंगे?"

दिनेश गुंडू राव ने सार्वजनिक रूप से कांग्रेस के भाजपा में विलय की अफवाहों को खारिज कर दिया और एक संवाददाता सम्मेलन में अपनी एकता दिखाने का वादा किया. प्रेस इंतजार कर रहा था क्योंकि प्रेस-कांफ्रेंस में देरी हो रही थी और परेशान गुंडू राव आनन फानन में विधायकों और दिल्ली को डायल कर रहे थे. एक विधायक ने यह दावा किया कि जब वह संवाददाता-सम्मेलन के लिए जा रहे थे तभी उनकी कार खराब हो गई. वहीं एक दूसरे विधायक का बहाना था कि वह "चर्च में प्रार्थना कर रहे हैं.”

तो गोवा के इन घटनाक्रमों का दोनों पार्टियों के लिए क्या मतलब है? भाजपा ने फरवरी में ही गोवा में सरकार बनाई थी और चाहती थी कि कांग्रेस के विधायक उनकी पार्टी में शामिल हो जाएं.

फिलहाल तो भाजपा ने कांग्रेस पार्टी में एक वर्टिकल विभाजन ला ही दिया है और सत्र समाप्त होने तक विलय की योजना पर रोक लगा दी है.

"ऑपरेशन लोटस" का गोवा संस्करण बिना किसी गलती के अच्छी तरह से और सही मायने में पटरी पर है. भाजपा जल्द ही महाराष्ट्र में कांग्रेस के विधायकों  को ठीक उसी तरह निगल लेगी जिस तरह महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की सेना को.

कांग्रेस गोवा में अस्तित्व के संकट से जूझ रही है क्योंकि भाजपा "कांग्रेस मुक्त गोवा" पर  काम कर रही है. उधर कांग्रेस के छह विधायक भाजपा में शामिल होने के लिए तैयार बैठे हैं तो कांग्रेस उन्हें पकड़ने के लिए बेताब है, साथ ही यह भी सुनिश्चित कर रही है कि वफादारों को पुरस्कृत किया जाए. जाहिर तौर पर लड़खड़ा रहे गोवा के विधायकों की राहुल और सोनिया गांधी के साथ बैठक की योजना बनाई जा रही है.

बीजेपी ने कांग्रेस को नोटिस पर रखा है. औऱ यह भी एक हकीकत है कि महाराष्ट्र की सफलता के बाद किसी भी राजनीतिक कदम को नकारा नहीं जा सकता है.

स्वाति चतुर्वेदी लेखिका तथा पत्रकार हैं, जो 'इंडियन एक्सप्रेस', 'द स्टेट्समैन' तथा 'द हिन्दुस्तान टाइम्स' के साथ काम कर चुकी हैं...

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