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This Article is From Dec 12, 2014

रवीश की कलम से : संयुक्त राष्ट्र में गांधी के बाद अब योग

Ravish Kumar
  • Blogs,
  • Updated:
    दिसंबर 12, 2014 12:58 pm IST
    • Published On दिसंबर 12, 2014 12:46 pm IST
    • Last Updated On दिसंबर 12, 2014 12:58 pm IST

21 जून को विश्व अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाएगा। संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस प्रस्ताव को 90 दिनों से भी कम के रिकार्ड समय में पास कर दिया है। 193 में से 177 सदस्यों ने विश्व योग दिवस मनाए जाने को लेकर अपनी सहमति दी है।

योग के प्रति इस स्तर पर आम सहमति बताती है कि विश्व दिवस बनने से पहले ही योग कितना वैश्विक रूप ले चुका है। इससे पहले जब महात्मा गांधी के जन्मदिन पर भारत ने अहिंसा दिवस मनाने का प्रस्ताव पेश किया था, तब 140 देशों ने ही समर्थन किया था।

योग को पहचान की ज़रूरत नहीं है, न ही इसका प्रसार विज्ञापन से हुआ है, फिर भी इस सुखद उपबल्धि पर भारत सहित दुनिया भर में करोड़ों लोग खुश हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपनी खुशी सार्वजनिक रूप से ज़ाहिर की। उनका कहना है कि योग में पूरे मानव समाज को एक साथ लाने की क्षमता है। यह ज्ञान, कर्म और भक्ति का बेहद सुंदर संगम है।

योग भारत का पुराना ब्रांड अंबेसडर है। आज से नहीं, दशकों से। इसके पीछे उन तमाम छोटे-बड़े योग गुरुओं का योगदान रहा है, जिन्होंने अपनी लगन और साधना के दम पर इसे प्रचारित किया और इसके ज़रिये लाखों लोगों को स्वास्थ्य लाभ कराया।

योग के भीतर की दुनिया भी काफी बदली है। ऐसा नहीं है कि साधना का पक्ष कमज़ोर हो गया है, लेकिन योग अंग्रेजी का योगा बनकर एक पैकेजिंग में भी बदल चुका है। योग गुरु के नाम पर कई लोग राजनीतिक लाभ भी लेने लगे हैं। फिर भी योग ज्ञान भी है और आज की ज़िंदगी के हिसाब से त्वरित समाधान भी। ऐसा कोई देश नहीं होगा, जहां किसी योग गुरु द्वारा स्थापित योग केंद्र न हो।

सोशल मीडिया पर कई लोग इस मौके पर उन लोगों को उलाहना दे रहे हैं, जो दक्षिणपंथी राजनीति का विरोध करते हैं। धार्मिक संकीर्णता की राजनीति का विरोध करने का मतलब कैसे हो गया कि वो व्यक्ति धर्म या योग का भी विरोधी होगा। किसी ने लिखा कि अब सेकुलरवादी क्या करेंगे। दरअसल ये वो लोग हैं, जो योग को किसी राजनीतिक रूप से संगठित धर्म के दायरे से बाहर देखना ही नहीं चाहते। वे खुद से हिन्दू धर्म के नाम पर राजनीति करने वालों की संकीर्ण मानसिकताओं के विरोध में योग का विरोध जोड़ देते हैं।

शायद प्रधानमंत्री के इस कदम से योग धर्म और उसके प्रति संकीर्ण समझ से बाहर निकल सकेगा। योग को लेकर राजनीतिक रूप से यहां भ्रांतियां भी फैलाई जाती रही हैं। यह सब है और रहेगा, लेकिन योग को हर धर्म के लोगों ने अपनाया है।

संयुक्त अरब अमीरात, ईरान, इराक, सीरिया, अफगानिस्तान, बांग्लादेश ने भारत के इस प्रस्ताव का समर्थन किया है। सोशल मीडिया पर योग के समर्थक होने के नाम पर जो लोग अन्य लोगों पर सवाल उठा रहे हैं, उन्हें यह तथ्य भी देखना चाहिए और कहना चाहिए कि योग में वो वैश्विक गुण है, जिसे लोग धर्म के चश्मे से बाहर जाकर देख सकते हैं। पहले भी और अब तो और भी योग धर्म या कहें तो मठ-मंदिर के दायरे से आज़ाद होकर वैश्विक रूप से ले चुका है।

योग एक विचार प्रणाली है। आज जिस तरह से धर्म का एक संगठित रूप बना है और उस संगठित रूप की पहचान राजनीति तरीके से होने लगी है, योग इसमें फिट नहीं बैठता है। वर्ना योग भी कर्मकांडों से भरा रहता। मगर यह खुद से साक्षात्कार का ज़रिया है। चीन, रूस, फ्रांस, अमरीका, इंग्लैंड, ब्राज़ील, क्यूबा, जर्मनी, जापान, मेक्सिको, नेपाल, स्पेन ने भी भारत के इस प्रस्ताव का समर्थन किया है।

भारत की इस कामयाबी को धर्म के गौरव के चश्मे से देखने वालों को इस मौके पर वैश्विक उदारता का प्रदर्शन करना चाहिए। ऐसा नहीं है कि भारत को संयुक्त राष्ट्र में यह कोई पहली कामयाबी मिली है।

इससे पहले भारत की पहल पर संयुक्त राष्ट्र की महासभा 15 जून, 2007 को प्रस्ताव पास कर हर साल 2 अक्टूबर के दिन को विश्व अहिंसा दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया था। तब इस प्रस्ताव को पेश करते हुए उस समय के विदेश राज्य मंत्री आनंद शर्मा ने कहा था कि भारत के प्रस्ताव को 140 देशों ने समर्थन किया है। इससे साबित होता है कि महात्मा गांधी का दुनिया भर में कितना आदर है और उनका दर्शन आज भी प्रासंगिक है।

आनंद शर्मा ने कहा था कि अहिंसा दुनिया की महानतम शक्ति है। तब इस कामयाबी को भी भारत की बड़ी कामयाबी के रूप में पेश किया गया था, जिसे हम आज भूल चुके हैं। इतना भूल चुके हैं कि गांधी के हत्यारे को राष्ट्रभक्त बताने लगते हैं।

संयुक्त राष्ट्र के दिवसों की संख्या इतनी है कि शायद ही किसी को याद रहे। संयुक्त राष्ट्र की वेबसाइट पर जाकर गिनने लगा, तो यह संख्या 121 हो जाती है। 21 जून को मनाये जाने वाला योग दिवस 121वां हैं। सबसे ज्यादा विश्व दिवस मार्च और जून महीने में मनाए जाते हैं। इन दोनों महीनों में पंद्रह दिन तो कोई न कोई दिवस मनता ही रहता है। उसी तरह अप्रैल और अक्टूबर में 14 दिन, नवंबर में 13 दिन, नवंबर में 13 दिन, मई और दिसंबर में 11 दिन कोई न कोई अंतर्राष्ट्रीय दिवस होता है। सबसे कम जनवरी में एक और उसके बाद फरवरी में 5 दिन होते हैं।

13 फरवरी को रेडियो दिवस, तो 30 अप्रैल को अंतर्राष्ट्रीय जैज़ दिवस मनाया जाता है। 21 फरवरी को मातृभाषा दिवस, तो 23 अप्रैल को अंग्रेजी दिवस मनाया जाता है। 21 मार्च को विश्व कविता दिवस मनाया जाता है। 20 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस भी मनता है।

बीमारियों में मलेरिया, कैंसर, तपेदिक के नाम से भी अंतर्राष्ट्रीय दिवस दर्ज हैं। 18 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय नेल्सन मंडेला दिवस मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र की वेबसाइट से पता चला कि इस दिन 67 मिनट किसी दूसरे के मदद में देने होते हैं। उम्मीद है, आप इसका आधा तो करते ही होंगे। भारत इन दिनों परमाणु परीक्षण पर बहुत गौरव करता है, लेकिन शायद ही कोई नेता बताता हो कि संयुक्त राष्ट्र 29 अगस्त को परमाणु परीक्षण विरोधी दिवस मनाता है।

हम इन दिवसों की औपचारिकताओं को समझते हैं। फिर भी गांधी के बाद योग के नाम पर संयुक्त राष्ट्र महासभा में मिली इस कामयाबी को अनदेखा नहीं किया जा सकता। 121 दिवसों की सूची में गांधी और योग को मुस्कराता देख किसे अच्छा नहीं लगेगा।

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