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This Article is From Aug 12, 2015

एक ज़िंदगी जीने को : एक हीरो और एक खोई हुई लड़की की कहानी क्यों है ख़ास

Afshan Anjum
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अगस्त 12, 2015 21:21 pm IST
    • Published On अगस्त 12, 2015 20:32 pm IST
    • Last Updated On अगस्त 12, 2015 21:21 pm IST
आपने कभी सोचा है कि दिनभर की जद्दोजहद के बीच आप कितनी बार सांस लेते हैं? अगर मिनटभर में 12 बार सांस भी ली जाए तो इंसान सत्रह हज़ार से ज़्यादा सांसें लेते हुए हर दिन अपने वजूद को बनाए रखता है।

लेकिन इस दौरान ये ख़याल शायद ही आता हो कि एक दिन ऐसा भी होगा जब ज़िंदगी थम जाएगी।

इंसानी सोच ज़िंदगी की इस सच्चाई से हमेशा वाकिफ़ रही है। सब जानते हैं कि एक दिन वो नहीं होंगे। और जाने-अनजाने हम सब कुछ ऐसा ज़रूर करना चाहते हैं जिससे हमारे बाद भी हमारी मौजूदगी किसी ना किसी में ज़िंदा रहे। या तो यादों में या कुछ ऐसे कामों में जो हम दूसरों के लिए कर गए।

ऐसा ही तार छेड़ती है पाकिस्तान की 23 साल की गीता की कहानी। माफ़ कीजिए असल में हिंदुस्तान की गीता।
14 साल पहले ग़लती से सरहद पार करने वाली ये बच्ची अब बड़ी हो गई है। वो बोल और सुन नहीं सकती। लेकिन अपनी मां से मिलने और भारत आने की चाहत ने उसकी कहानी को बेहद फ़िल्मी और दिल छूने वाला बना दिया।

उसकी कहानी हाल ही में रिलीज़ हुई फ़िल्म बजरंगी भाईजान से मेल भी खाती है। ऐसे में एनडीटीवी पर बरखा दत्त के लाइव ब्रॉडकास्ट के ज़रिए उसकी मुलाकात होती है सलमान ख़ान से।
सलमान के बेहद सेक्युलर और ख़ुशमिज़ाज अंदाज़ के साथ गीता की कहानी और भी ज़्यादा अच्छी लगने लगती है। लेकिन इस कार्यक्रम में जब सलमान ने ये कहा कि गीता की मां का जब कोई अता-पता नहीं है तो उनके लिए पाकिस्तान में रहना ही बेहतर है तो गीता के आंसू नहीं थमे। वो बस रोती जाती है, रोती जाती है।
गीता का मूड ठीक करने के लिए सलमान उसे हंसाने की काफ़ी कोशिश भी करते हैं और आख़िरकार वो मुस्कुरा देती है।

सच शायद यही है कि गीता को पालने वाले पाकिस्तानी नागरिक उसके सच्चे मां-बाप हैं। आज ये बात कई लिहाज़ से मायने भी नहीं रखती कि गीता का देश कौन सा है। लेकिन 14 साल से उसकी आंखों में अपनी मां से मिलने का सपना ज़रूर है।

गीता अपने असल परिवार से मिल पाए या नहीं, उसकी ज़िंदगी का एक मक़सद है जो उसे जीने में नई ऊर्जा देता है। सलमान ख़ान भले ही क़ानून की नज़र में क्रिमिनल हों, गीता को रोते-रोते हंसा देते हैं भले ही वो सरहद के इस तरफ़ हों और वो उस तरफ़। दोनों के लिए ये पल ख़ास है।

ये कहानी हमें इतना ज़रूर बताती है कि ज़िंदगी बेश क़ीमती है। गीता जो बोल और सुन नहीं सकती, उसे जीवन भी मिला और उसका एक मक़सद भी। सलमान जिनके पास सबकुछ है, लोग उनसे नाराज़ भी हैं और जान भी छिड़कते हैं। दुख दोनों को मिला है, प्यार भी दोनों को मिला है।

दोनों के पास एक ज़िंदगी है जीने को। अपने-अपने अंदाज़ में एक-दूसरे से बिलकुल अलग भी, एक जैसी भी।

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