बीजेपी और नरेंद्र मोदी के बचाव के बावजूद अरुण जेटली की मुश्किलें कतई कम होती नहीं नजर आ रहीं। दबाव दोनों तरफ से है सियासी भी और कानूनी भी। केजरीवाल की सरकार अपने स्टैंड पर कायम है और अब दिल्ली सरकार का एक आयोग डीडीसीए मामले पर जांच करेगा।
जांच के साथ-साथ अब अदालती कार्रवाइयों में भी अरुण जेटली को पेश होना होगा। जिसकी प्रक्रिया सरकार को और तकलीफ में डाल सकती है क्योंकि सवाल धारणा का है और इस मसले की समयसीमा कब पूरी होगी यह किसी को नहीं पता।
अभी के लिए यह साफ लगता है कि बीजेपी का बचाव जेटली के लिए अकेले काफी नहीं है, क्योंकि दोनों पक्षों ने चाहे वे अरुण जेटली हों या अरविंद केजरीवाल, मामले को सियासत के साथ-साथ अदालत के सामने भी खड़ा कर दिया है। नेता होने के साथ-साथ जेटली एक वरिष्ठ वकील भी हैं और उन्हें अदालती कार्रवाई और तारीखों का खासा तजुर्बा है। अब इस मामले में और नए मोड़ आने की संभावना पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है।
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This Article is From Dec 22, 2015
अभिज्ञान का प्वाइंट : सियासी के साथ कानूनी मामले में जेटली की मुश्किलें बढ़ीं
Abhigyan Prakash
- ब्लॉग,
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Updated:दिसंबर 23, 2015 13:22 pm IST
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Published On दिसंबर 22, 2015 20:51 pm IST
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Last Updated On दिसंबर 23, 2015 13:22 pm IST
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