कैसे बदली रातों रात पंजाब की सियासत?

पंजाब को दलित मुख्यमंत्री देकर कांग्रेस ने अपने लिए मास्टर स्ट्रोक चला ही साथ ही आम आदमी पार्टी को भी विधानसभा चुनाव से पहले झटका दे दिया.

कैसे बदली रातों रात पंजाब की सियासत?

25 घंटे के लम्बे इंतजार के बाद चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब का मुख्यमंत्री बनाया गया. पंजाब में पहली बार किसी दलित को कांग्रेस ने मुख्यमंत्री बनाया. पंजाब में सबसे  ज्यादा 35% दलित वोट हैं. 34 विधानसभा सीटों पर दलित तय करता है कि कौन विधायक बनेगा. सुखजिंदर सिंह रंधावा के नाम पर लगभग सहमती बन गयी थी. कांग्रेस की वरिष्ठ नेता अम्बिका सोनी ने भी बोल दिया था कि जट सिख को पंजाब का मुख्यमंत्री बनाया जाएगा लेकिन पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने सुखजिंदर सिंह रंधावा के मुख्यमंत्री बनाने पर एतराज जताया और अपनी बात कांग्रेस आलाकमान तक पहुंचाई. 

दरअसल, अगर कोई भी जट सिख पंजाब का मुख्यमंत्री बन जाता तो नवजोत सिंह सिद्धू की भविष्य की राजनीति को झटका लग सकता था. जब तक जट सिख के मुख्यमंत्री बनने की बात चल रही थी तो लगने लगा था कि नवजोत सिंह सिद्धू आज रन आउट हो गए है लेकिन जब पंजाब के मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा हुई तो लगा कि नवजोत सिंह सिद्धू आज शतक मारने में कामयाब हो गए. 

शुरुआत हुई थी कि हिन्दू चेहरे और पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा. जिस पर राहुल गांधी से लेकर नवजोत सिंह सिद्धू तक, सब सहमत थे लेकिन पंजाब के माझा इलाके के आने वाले सिख नेताओं ने दिल्ली में प्रियंका गांधी से बात की और कहा कि पंजाब में जट सिख को अगर मुख्यमंत्री नहीं बनाया तो कांग्रेस 2022 का चुनाव हार जाएंगे. एक बार दिल्ली आलाकमान घबरा गया और एक बार फिर विचार विमर्श दिल्ली में शुरू हुआ.

अंबिका सोनी, के सी वेणुगोपाल ने राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की और आखिर में ना ही जट सिख को मुख्यमंत्री बनाया और ना ही किसी हिन्दू को. राहुल गांधी ने आखिर में दलित को मुख्यमंत्री बनाकर राजनीतिक चाल चली. 

इससे पहले कांग्रेस ने पार्टी के महासचिव अजय माकन और हरीश चौधरी को पर्यवेक्षक बनाकर चंडीगढ़ भेजा था. कांग्रेस आलाकमान को डर था कि कहीं कैप्टन अमरिन्द्र सिंह बगावत ना कर दें. कैप्टन को हटाने से तीन दिन पहले ही दिल्ली आलाकमान ने विधायकों से बात करनी शुरू कर दी थी. शाम को पांच बजे विधायक दल की बैठक होनी थी और दिल्ली आलाकमान की रणनीति के मुताबिक कम से कम 45 विधायकों को कहा गया कि आप लोग प्रस्ताव पारित कर दीजिए कि हम कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर फैसला छोड़ते है. जिसे भी मुख्यमंत्री बनाया जाएगा, हमें मंजूर होगा. कांग्रेस आलाकमान की रणनीति सटीक चल रही थी. 

पंजाब को दलित मुख्यमंत्री देकर कांग्रेस ने अपने लिए मास्टर स्ट्रोक चला ही साथ ही आम आदमी पार्टी को भी विधानसभा चुनाव से पहले झटका दे दिया. पंजाब के मालवा इलाके में आप पार्टी को बहुत फ़ायदा हुआ था और एक बड़ा दलित वोट जो आम आदमी पार्टी के साथ है उसे तोड़ने का प्रयास भी राहुल गांधी ने इस फैसले के जरिए किया गया है. 
 
इससे पहले विधायक, सांसद और कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के विरोध के बावजूद कांग्रेस आलाकमान ने नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया और अब कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाकर और एक दलित को पंजाब का मुख्यमंत्री बनाकर यह संदेश दिया है कि कांग्रेस आलाकमान कमजोर नहीं है. नवजोत सिंह सिद्धू और पंजाब के नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के जरिए गांधी परिवार पार्टी के बाकि नेताओं यह संदेश देना चाहता है कि सबको कांग्रेस आलाकमान और पार्टी के हिसाब से ही काम करना होगा. इन फैसलों से एक संदेश सीधे जयपुर भी गया है जहां, कैबिनेट विस्तार काफी लम्बे समय से अटका हुआ है.

(आदेश रावल वरिष्ठ पत्रकार हैं. आप ट्विटर पर @AadeshRawal पर अपनी प्रतिक्रिया भेज सकते हैं)

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