भोपाल शहर का नाम सुनते ही झीलों और पहाड़ियों से घिरे एक शांत शहर की तस्वीर उभर कर आखों के सामने आ जाती है, लेकिन पिछले 40 वर्ष में भोपाल में काफी बदलाव हुआ है. चारों दिशाओं में बढ़ती आबादी, गगनचुम्बी इमारतें, बढ़ते वाहन, प्रदूषण तथा विकास के नाम पर कटते वृक्षों के कारण देखते ही देखते भोपाल एक 'मेट्रो' शहर में तब्दील होता जा रहा है.
लेकिन राजधानी के पूर्व के दूरदर्शी नेतृत्व ने शायद इस खतरे को भांप लिया था. उन्होंने शहर के जीवनदायी बड़े तालाब के किनारे के जंगल को गिट्टी खदानों और बिल्डर लॉबी से बचाने और प्रकृति को संरक्षित रखने के लिए 'वन विहार' नामक राष्ट्रीय पार्क की कल्पना को साकार कर दिया. आज 45 वर्ष बीत जाने के बाद 4.48 वर्ग किलोमीटर के इस पार्क में 1,400 प्रकार के विभिन्न जानवर विचरण करते हैं. भोपाल निवासियों को ऑक्सीजन प्रदान करने वाला यह सबसे बड़ा स्रोत है, यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा. हर वर्ष लगभग 3.50 लाख प्रवासी इस राष्ट्रीय अभयारण्य का भ्रमण करते हैं.

Photo Credit: Mahesh Joshi
पूर्व दिशा में भदभदा से वन विहार में प्रवेश 'चीकू द्वार' से होता है. चीकू शेर वन विहार का एक प्रिय प्राणी था, जिसकी 1984 में मृत्यु हो गई. इस द्वार का नाम उसकी स्मृति में रखा गया है. पश्चिम द्वार का नाम 'रामू' द्वार है, जो बड़े तालाब की ओर जाता है. यह द्वार वन विहार के कर्मठ चौकीदार रामू के नाम पर है. नीलगाय के हमले में रामू की मौत हो गई थी.

Photo Credit: Mahesh Joshi
वन विहार का 60-65 फ़ीसदी हिस्सा पहाड़ों और पठार से घिरा हुआ है, बाकी भाग एक चंद्रकोर की तरह है, जो बड़े तालाब से लगा हुआ है. वर्षभर 7-8 महीने यहां का मौसम गर्म और शुष्क रहता है, जबकि बाकी दिनों में बारिश के कारण मौसम अत्यंत खुशनुमा बन जाता है. वन विहार में बेल, इमली, सीताफल, अमलतास, बबूल, और खैर के वृक्ष बहुतायत में पाए जाते हैं. कुछ जंगली जड़ी-बूटियां भी पाई जाती हैं, जिनमें चिरोटा, जंगली तुलसी इत्यादि शामिल है.

Photo Credit: Mahesh Joshi
वन विहार में पिंजरों के पीछे कई जंगली जानवर विचरण करते हैं. इस शहरी जंगल में भालू, हिमालयन भालू, तेंदुआ, शेर, बंगाल टाइगर, लकड़बग्घा आदि पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन जाते हैं. झुरमुटों के पीछे मगरमच्छ और घड़ियाल को धूप का आनंद लेते देखा जा सकता है. कछुओं के लिए भी एक बड़ा-सा स्थान बनाया गया है. शाकाहारी जानवर, जैसे - चीतल, सांबर, नीलगाय और काले हिरण खुले वातावरण में विचरण करते दिखाई पड़ जाते हैं.

Photo Credit: Mahesh Joshi
वन्य प्रेमियों और छात्रों को आकर्षित करने हेतु वन विहार विविध गतिविधियों का आयोजन करता रहता है, जिनमें पक्षी अवलोकन शिविर, नेचर वॉक / ट्रेकिंग और वन्य कर्मियों से मुलाकात शामिल है. वन विहार में देशी पक्षियों की कुल 207 नस्लें एवं 50 विदेशी प्रजातियां रखी गई हैं. इन सभी गतिविधियों के माध्यम से वन्य प्रेमी और छात्र वन्य प्राणियों और पक्षियों के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं.
वन विहार का प्रशासन नवाचार को भी बढ़ावा दे रहा है, जिनमें 'फ्रेंड्स ऑफ़ वन विहार' और प्राणियों को गोद लेने जैसी योजनाएं शामिल हैं. इन नवाचारों को बहुत ही अच्छा प्रतिसाद मिला है. कुल मिलाकर वन विहार शहर में एक सुरम्य जंगल है, जो आबादी और प्रकृति के मध्य सेतु का काम कर रहा है. इसमें कोई संशय नहीं कि दोनों एक दूसरे के पूरक हैं.
आशीष कोलारकर उद्यमी, सॉफ्टवेयर एवं कंप्यूटर के जानकार तथा प्रकृति प्रेमी हैं और भोपाल में रहते हैं...
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.