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मधेपुरा : लालू यादव के क्षेत्र में क्यों नहीं जीत पाती RJD

मधेपुरा में पिछले 5 चुनाव में राजद कभी भी जदयू के मुकाबले अधिक सीटें नहीं जीत पाई. जबकि यादव मतदाताओं को राजद का कोर वोटर माना जाता है.

मधेपुरा : लालू यादव के क्षेत्र में क्यों नहीं जीत पाती RJD
  • मधेपुरा क्षेत्र समाजवादी विचारधारा का केंद्र रहा है और यहां से कई प्रमुख समाजवादी नेता चुनाव जीत चुके हैं
  • बुद्ध धर्म के प्रभाव से मधेपुरा में समाजवादी विचारधारा का ऐतिहासिक प्रसार हुआ है जो कम चर्चा में रहता है
  • पिछले 5 विधानसभा चुनावों में जदयू ने मधेपुरा में RJD की तुलना में अधिक सीटें जीती हैं और दबदबा बनाया
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पटना:

मधेपुरा समाजवादियों की धरती रही है. अगर आप पत्थर उछालें तो सौ में से अस्सी से अधिक बार वह किसी समाजवादी पर ही गिरेगा. मधेपुरा का यही परिचय है. बीएन मंडल, शरद यादव, लालू यादव जैसे नेता इसीलिए यहां से चुनाव लड़ते, जीतते रहे." डॉ भूपेंद्र मधेपुरी मधेपुरा का यही परिचय देते हैं. भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के सहायक प्राध्यापक डॉ श्रीमंत जैनेन्द्र बताते हैं कि बुद्ध के प्रभाव के कारण इस इलाके में समाजवादी विचार का प्रसार हुआ. अंग प्रदेश से प्रस्थान के बाद बुद्ध अपने शिष्यों के साथ इस इलाके में आए, यहां कई बौद्ध मठ थे. पूरा इलाका बौद्ध धर्म के प्रभाव में रहा. इसलिए समाजवाद यहां ऐतिहासिक रूप से मौजूद था." हालांकि इस ऐतिहासिक विरासत की चर्चा कम होती है. मधेपुरा पर चर्चा "रोम पोप का मधेपुरा गोप का" जैसे पॉपुलर नारे से ही होती है. दिलचस्प यह है कि मधेपुरा में पिछले 5 चुनाव में राजद कभी भी जदयू के मुकाबले अधिक सीटें नहीं जीत पाई. जबकि यादव मतदाताओं को राजद का कोर वोटर माना जाता है.

मधेपुरा में कब किसका दबदबा 

2020 के विधानसभा चुनाव मे मधेपुरा जिले की 4 में से 2 सीटें राजद ने तो 2 सीटें जदयू ने जीती. साल 2015 में तीन सीटें जदयू और एक राजद ने जीती. 2010 में भी यही परिणाम रहा था. 2005 के फरवरी में हुए चुनाव में मधेपुरा के पांच में से चार सीटों पर जदयू ने और एक पर राजद ने कब्जा जमाया था. वहीं नवंबर में हुए चुनाव में सारी सीटें जदयू ने जीत ली. 2020 के चुनाव का प्रदर्शन पिछले 5 चुनाव में राजद का जिले में सबसे बेहतर प्रदर्शन था. मधेपुरा से प्रो चंद्रशेखर चुनाव जीते तो सिंगहेश्वर से चंद्रहास चौपाल. प्रो चंद्रशेखर ने जदयू के निखिल मण्डल और जाप के पप्पू यादव को चुनाव हराया था. जदयू ने आलमनगर और बिहारीगंज पर कब्जा जमाया था. नरेंद्र नारायण यादव और निरंजन मेहता चुनाव जीते थे. परिसीमन के बाद जदयू कभी भी इन दोनों सीटों पर चुनाव नहीं हारी.

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मण्डल कमीशन, मण्डल रथ यात्रा, लालू, शरद की वजह से चर्चा में रहा मधेपुरा 

जिस मंडल आयोग की रिपोर्ट ने पूरे देश की राजनीति को बदल दिया. उसे आयोग के अध्यक्ष बीपी मंडल मधेपुरा से ही थे. आरक्षण के समर्थन में जब शरद यादव ने मंडल रथ यात्रा शुरू की तो उसकी शुरुआत भी मधेपुरा के मुरहो से ही 25 अगस्त 1992 को की गई. इस यात्रा में पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह, लालू प्रसाद यादव, रामविलास पासवान, शरद यादव और नीतीश कुमार भी शामिल हुए. जेबी कृपलानी जैसे नेता भी इस इलाके से चुनाव लड़े. बाद में मधेपुरा शरद यादव बनाम लालू यादव की लड़ाई का भी गवाह बना. जिसमें दोनों नेताओं ने एक दूसरे को पटखनी दी. इस बार भी मधेपुरा की लड़ाई दिलचस्प होने वाली है. मंत्री रह चुके 5 नेता अपनी उम्मीदवारी की जुगत में हैं. 2 पूर्व मंत्रियों ने हाल ही में पाला भी बदला है.

5 पूर्व मंत्री मैदान में आने की तैयारी में 

मधेपुरा से स्थानीय विधायक प्रो चंद्रशेखर फिर से राजद से टिकट की आस लगाए हुए हैं. वे मंत्री रहते हुए विवादित बयानों के कारण सुर्खियां बटोरते रहे थे. जदयू से नरेंद्र नारायण यादव आलमनगर से अपने टिकट की रेस में हैं. वे मौजूदा विधायक भी हैं. जदयू से ही पूर्व मंत्री रमेश ऋषिदेव सिंहेश्वर से टिकट पाना चाहते हैं, वे पिछला चुनाव हार गए थे. बिहारीगंज सीट से दो पूर्व मंत्री रविंद्र चरण यादव और रेणु कुशवाहा उम्मीदवार बनना चाहते हैं. रविन्द्र चरण भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए हैं. वे टिकट चाहते हैं लेकिन कांग्रेस ने इस सीट को "सी" कैटेगरी में रखा है. इस सीट पर पिछली बार शरद यादव की बेटी सुभाषिणी यादव कॉंग्रेस की उम्मीदवार थी. पूर्व मंत्री रेणु कुशवाहा राजद से टिकट पाने की कोशिश कर रही हैं. भाजपा इस जिले में अब तक एक भी सीट नहीं जीत पाई है. पार्टी जिले में सीट चाहती है. लेकिन कई एक्सपर्ट मानते हैं कि लेकिन समाजवादियों की धरती भाजपा के लिए पांव जमाना इतना आसान नहीं है.

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नए चेहरे भी दमखम झोंक रहे 

इस चुनाव में बीपी मंडल के पोते निखिल मंडल मधेपुरा सीट फिर से मैदान में आने की तैयारी कर रहे हैं. वहीं राजद से इंजिनियर प्रणव भी टिकट की आस लगाए बैठे हैं. इंजीनियर प्रणव MNC की नौकरी छोड़कर क्षेत्र में सक्रिय हैं. इस सीट से राजद जिलाध्यक्ष जयकांत यादव भी दावेदार हैं. वहीं आलमनगर सीट से पत्रकार रहे विनोद आशीष भी टिकट की रेस में हैं. उन्होंने आलमनगर को बाढ़ प्रभावित क्षेत्र घोषित करने के लिए मुहिम छेड़ रखी थी. इसके अलावा पूर्व सांसद आरपी यादव के बेटे सत्यजीत यादव, सांसद प्रतिनिधि बिजेंद्र यादव जैसे नाम भी दावेदारी में जुटे हैं.

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