
- आगामी बिहार विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने अभी तक तेजस्वी यादव को महागठबंधन का नेता घोषित नहीं किया है.
- कांग्रेस पिछली बार की तुलना में अधिक सीटों पर लड़ना चाहती है और जीतने वाली सीटों की मांग कर रही है.
- सीट बंटवारे की कमान RJD के लालू यादव ने संभाली है और कांग्रेस से उम्मीदवार सूची बनाने को कहा है.
Bihar Assembly Elections 2025: बिहार में आज कल इस पर चर्चा हो रही है कि कांग्रेस महागठबंधन के नेता के तौर पर तेजस्वी यादव के नाम की घोषणा क्यों नहीं कर रही है? बुधवार को जब बिहार के कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरू से इस पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पर बिहार की जनता फैसला करेगी. जब राहुल गांधी बिहार में वोटर अधिकार यात्रा कर रहे थे, तब सब को लग रहा था कि वो किसी रैली या संवाददाता सम्मेलन में तेजस्वी यादव को महागठबंधन का नेता या चेहरा घोषित कर देंगे, मगर यह हुआ नहीं. RJD मन मसोस कर रह गई.
अब कांग्रेस के नेता निजी बातचीत में कह रहे हैं कि चुंकि RJD सबसे अधिक सीटें लड़ेगी और जीतेगी भी इसलिए नेतृत्व भी उन्हीं का होगा और जहां तक घोषणा की बात है वह उचित समय पर किया जाएगा.

वोटर अधिकार यात्रा की सफलता के बाद कांग्रेस का जोश हाई
मगर अंदर की बात ये है कि वोटर अधिकार यात्रा की सफलता के बाद कांग्रेस अब पिछली बार की तरह 70 सीटों पर लड़ना चाहती है और इस बार जीतने वाली सीटों की मांग कर रही है. कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि पिछली बार उन्हें जो सीटें दी गई थीं वो सब वैसी सीटें थीं जो BJP और JDU की सबसे मजबूत सीटें थीं. इस बार कांग्रेस की रणनीति साफ है वो उन सीटों पर लड़ना चाहती है जहां महागठबंधन का वोट हो और जातिगत समीकरण के तहत उन सीटों को जीता जा सके.
सीट बंटवारे के लिए RJD ने लालू को दी कमान
कांग्रेस सूत्रों की माने तो सीटों की संख्या पर तो बातचीत हो सकती है, मगर कौन सी सीट पर लड़ा जाए इस पर कांग्रेस समझौता करने के मूड में नहीं है. कांग्रेस 70 से कम सीटें भी लड़ने के लिए तैयार है. इन्हीं सब चीजों को देखते हुए कांग्रेस के साथ सीटों के बंटवारे की कमान RJD की तरफ से लालू यादव ने खुद अपने हाथ में ले लिया है.
उम्मीदवारों की सूची तैयार करने के बाद चर्चा
माना जा रहा है कि लालू यादव ने कांग्रेस से कहा है कि वो पहले अपने उम्मीदवारों की सूची तैयार करके उनके पास आए. फिर उस पर बैठ कर बातचीत होगी. कांग्रेस का कहना है कि यदि RJD को अपने मुस्लिम-यादव वोट बैंक से आगे जाना है तो उसे कांग्रेस का साथ मजबूती से देना होगा.

कांग्रेस का दावा- दलित-अगड़ी जातियों का वोट हमारे साथ
उसकी वजह है कि कांग्रेस ने राजेश राम को अपना प्रदेश अध्यक्ष इसलिए बनाया है कि दलित वोटों में सेंध लगाया जाए. साथ ही कांग्रेस का कहना है कि अगड़ी जातियों में भी कांग्रेस के कुछ वोट हैं, जिसे अपने पाले में किया जा सकता है. बिहार के 20 फीसदी दलित वोटों में कांग्रेस सेंध लगाती है खासकर रविदासी वोटरों में. क्योंकि उनकी संख्या बिहार में सबसे अधिक है.
सीमाचंल की 24 सीटों पर कांग्रेस का दावा मजबूत
फिर मुकेश सहनी के जरिए अति पिछड़ों में, साथ में वामपंथी माले को जोड़ दिया जाए तो NDA को चुनौती दी जा सकती है. बिहार से कांग्रेस के लोकसभा में 3 सांसद हैं, जिसमें से किशनगंज से मोहम्मद जावेद और कटिहार से तारिक अनवर वहीं पप्पू यादव पूर्णिया से निर्दलीय जीते हैं. जो आजकल कांग्रेस के खेमे में हैं. सीमांचल की 24 सीटों पर कांग्रेस का दावा सबसे मजबूत रहेगा.

एनडीए में भी सीट बंटवारे पर कई पेंच
NDA की तरह महागठबंधन में भी सीटों के बंटवारे को लेकर कई पेंच फंसे हुए हैं. जाहिर है पशुपति पारस, JMM, मुकेश सहनी, 3 वामदलों के बीच सीटों को बंटवारा आसान नहीं होगा. माले इस बार पिछली बार से अधिक सीटें मांग रही है, क्योंकि लोकसभा में उनके भी 2 सांसद हैं. कुल मिलाकर अभी की स्थिति में यह लगभग तय हो गया है कि अब सीटों के बंटवारे के मुद्दे पर राहुल गांधी, तेजस्वी और लालू यादव को मिल बैठ कर फैसला लेना होगा.
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