- राजद नेता तेजस्वी यादव का नीतीश कुमार पर हमला
- कहा- NDA ने बिहार को सर्कस बना दिया
- 'नीतीश जी की नैतिकता और अंतरात्मा नहीं जाग रही'
बिहार में बाढ़ और भारी बारिश के बाद हुए जल जमाव को लेकर सियासत जारी है. सरकार की सहयोगी दल BJP के कुछ नेता भी इसे लेकर नीतीश कुमार पर हमलावर हैं. उधर, इसी कड़ी में आज प्रमुख विपक्षी दल राजद (RJD) ने NDA गठबंधन वाले नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की सरकार पर हमला बोला है. तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर कहा कि NDA ने बिहार को सर्कस बना दिया है. बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने बीजेपी (BJP) और जेडीयू (JDU) नेताओं के बीच मचे घमासान को लेकर ट्वीट किया, 'NDA ने बिहार को सर्कस बना दिया है. विफलता छुपाने के लिए ये लोग कुत्ते-बिल्ली की तरह झगड़ रहे है. क्या सृजन घोटाले और बालिकागृह बलात्कार कांड का डर है जो इतनी लानत-मलानत होने के बावजूद भी नीतीश जी नैतिकता और अंतरात्मा नहीं जगा उल्टा कुर्सी के लालच में विचार बेच मनुहार में लगे हैं.''
NDA ने बिहार को सर्कस बना दिया है। विफलता छुपाने के लिए ये लोग कुत्ते-बिल्ली की तरह झगड़ रहे है।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) October 9, 2019
क्या सृजन घोटाले और बालिकागृह बलात्कार कांड का डर है जो इतनी लानत-मलानत होने के बावजूद भी नीतीश जी नैतिकता और अंतरात्मा नहीं जगा उल्टा कुर्सी के लालच में विचार बेच मनुहार में लगे है।
पटना में बाढ़ हुई कम, लेकिन बीजेपी-जेडीयू के बीच 'पानी सिर के ऊपर'
इससे पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 'दशहरा' कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी एवं BJP के अन्य नेताओं के शामिल नहीं होने पर तंज कसते हुए तेजस्वी ने ट्विटर पेज पर लिखा कि एनडीए के कप्तान अकेले असहाय फिल्ड में खड़े हैं. उनके सहयोगी उनसे दूर भाग रहे हैं और अपराधी की तरह छुप रहे हैं. उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार पर तंज कसते हुए पूछा है कि आपके लिए मुख्यमंत्री का दशहरा कार्यक्रम का बहिष्कार करना आसान नहीं था, क्या ऐसा नहीं है? तेजस्वी यादव ने यह बात बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के 11 सितंबर को किए गए एक पुराने ट्वीट के जवाब में लिखा है, जिसमें कहा गया था कि नीतीश कुमार बिहार एनडीए के कप्तान हैं और वही 2020 में होने वाले चुनाव में कप्तान रहेंगे. अगर कप्तान चौका या छक्का मारते हैं और विरोधी को एक इनिंग से पराजित करते हैं तो उसे बदलने का सवाल ही कहां उठता है?
Hello Mr. Vice Captain,
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) October 9, 2019
Your helpless Captain is alone in the field. Ur faithful colleagues are getting him bowled & run out. Why you have run away & hiding like a criminal? It's ok to be rescued. It wouldn't have been easy for you to boycott CM's “Dussehra” program, isn't it? https://t.co/PQcAgMwUFB
गिरिराज सिंह और तेजस्वी यादव के 'सुर और ताल' में इतनी समानता क्यों हैं?
बता दें कि 8 अक्टूबर को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में होने वाले रावण दहन कार्यक्रम से पहले वहां खड़ा किया गया रावण नीचे गिर पड़ा था. इसकी तस्वीर राष्ट्रीय जनता दल के नेता एवं बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने अपने ट्विटर पेज पर शेयर किया है और लिखा, ''अपने से अधिक बदनियत, अवगुणों, विकारों एवं बुराइयों से परिपूर्ण शीर्ष सत्ताधारियों के हाथों वध करवाना वह अपनी तौहीन समझता है. आशा है नीतीश कुमार और सुशील मोदी समझ गए होंगे.''
पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में होने वाले रावण दहन कार्यक्रम से पहले वहाँ खड़ा किया गया रावण नीचे गिर पड़ा।
— Rashtriya Janata Dal (@RJDforIndia) October 8, 2019
अपने से अधिक बदनियत, अवगुणों, विकारों एवं बुराइयों से परिपूर्ण शीर्ष सत्ताधारियों के हाथों वध करवाना वह अपनी तौहीन समझता है।आशा है नीतीश कुमार और सुशील मोदी समझ गए होंगे। pic.twitter.com/poBGWPxI4X
इससे पहले पटना में बाढ़ से मची तबाही ने शहर की व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी थी. पक्ष विपक्ष दोनों मुखर रहे लेकिन लोगों की परेशानी को कम करने में कामयाब नहीं हो पाए. बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को रेस्क्यू कर बाहर निकाला गया था. दो दिन तक वो भी अपने घर में फंसे रहे थें. इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रकृति के प्रकोप पर कुपित होते रहे. कभी उनका गुस्सा हथिया नक्षत्र पर तो कभी मीडिया पर निकलते रहा. कुल मिलाकर उनके विकास पुरुष की ख्याति बाढ़ के पानी में ध्वस्त होती रही और वो कुछ नहीं कर पाए.

बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को भी NDRF की टीम ने बाहर निकाला था.
बारिशों के पानी में कई नेताओं के ख्वाब डूब गए. अब तक विकास पुरुष कहलाने वाले राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की छवि पटना के बाढ़ में तार-तार हो गई. उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी असहाय नजर आए. स्मार्ट सीटी की बात कहने वाले सुशील कुमार भी प्रभावित लोगों की जगह सरकार को बचाते नजर आए. नगर विकास मंत्री सुरेश शर्मा ने भी अपनी जिम्मेदारियों से हाथ यह कह कर झाड़ लिया कि नगर आयुक्त तक उनकी बात नहीं सुनते. पटना की मेयर सीता साहू प्रेस कांफ्रेंस के दौरान यह बताने में नाकामयाब रही कि नाले की सफाई और उसके रख रखाव पर कितने पैसे खर्च हुए. नगर विकास के लिए हजारों करोड़ रुपये का बजट लेकिन हाल ऐसा कि ड्रेनेज की सफाई तक नहीं हुई.
बाढ़ में राहत और बचाव की जगह सियासत कुछ ज्यादा ही दिखाई दिए. तेजस्वी यादव इस दौरान पूरी तरह गायब दिखें. सरकारी अमला सुस्त और सत्ता में शामिल सहयोगी दल के नेता विपक्ष की तरह मुखर. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए कहा कि पटना का जलप्रलय प्राकृतिक आपदा नहीं, व्यवस्था की अव्यवस्था है, सरकार की चूक है. गिरिराज सिंह ने कहा कि राहत व्यवस्था कागजों में सिमटी हुई है. प्रशासन के लिए बाढ़ उत्सव के समान है. विभागीय प्रावधान की आड़ में मानवीय संवेदना के साथ मजाक किया जा रहा है.
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पटना में बाढ़ के बाद अब उससे पनपने वाली बीमारियों का खतरा ज्यादा है. साफ सफाई का मुद्दा तो है ही सवाल यह भी है कि राज्य की राजधानी इस प्रकार की समस्या से मुक्त हो पाएगी? सत्ता पक्ष और विपक्ष की बयानों के बीच राज्य की समस्या हरदम दबती नजर आई है. नहीं तो किसी राज्य की राजधानी में इतनी अव्यवस्था फैल जाती और सरकारी अमला कुछ कर पाने में असमर्थ रहता? अव्यवस्था का यह रावण आज भी जिंदा है और कल भी जिंदा रहेगा.
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