Bihar Election 2025: बिहार भाजपा ने अपने दोनों दिग्गज नेता जो नीतीश कैबिनेट में उपमुख्यमंत्री पहली बार डिप्टी सीएम रहते विधानसभा के चुनावी युद्ध में उतार दिया हैं. इससे पहले भाजपा का कोई भी नेता बतौर उपमुख्यमंत्री रहते बिहार में विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा है. विधानसभा चुनाव में दोनों उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी तारापुर और विजय कुमार सिन्हा लखीसराय से चुनाव लड़ रहे हैं. हालांकि, ये दोनों नेता पहले भी चुनाव लड़ते रहे हैं, पर उपमुख्यमंत्री बनने के बाद यह इनका पहला विधानसभा चुनाव होगा. विगत है कि सुशील मोदी उपमुख्यमंत्री रहते कभी चुनाव नहीं लड़े.
अपने-अपने समाज में पकड़
भाजपा के दोनों दिग्गज नेता का अपने अपने समाज में मजबूत पकड़ मानी जाती हैं. सम्राट चौधरी कोयरी समाज से आते हैं, वहीं, विजय सिन्हा ताकतवर माने जाने वाली भूमिहार समाज से आते हैं. सम्राट चौधरी गैर यादव ओबीसी का चेहरा माने जाते हैं और कहीं न कहीं उन्हें नीतीश कुमार के विकल्प के रूप में भाजपा आगे बढ़ा रही हैं. आमतौर पर कोयरी कुर्मी नीतीश कुमार का आधार वोट माना जाता हैं. लालू और राजद का सवर्णों में सबसे घोर विरोधी कोई है तो वह भूमिहार समाज हैं. विजय सिन्हा उसी भूमिहार समाज से आते हैं और भाजपा का शुरुआती दौर से ही आधार वोट माना जाता है. विजय सिन्हा भूमिहार समाज के बड़े नेताओं में से एक हैं.
सम्राट चौधरी
सम्राट चौधरी का जन्म 16 नवम्बर 1968 के भागलपुर जिले के तारापुर के लखनपुर गांव में हुआ. सम्राट चौधरी बिहार सरकार में 1999 में कृषि मंत्री और 2014 में शहरी विकास और आवास विभाग के मंत्री रह चुके हैं. 28 जनवरी 2024 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ उपमुख्यमंत्री की शपथ ली और कुशवा समाज के एक मजबूत नेता माने जाते हैं.. वर्तमान में विधान परिषद का सदस्य सम्राट चौधरी बिहार के उपमुख्यमंत्री हैं, जो कुशवाहा जाती से संबंध रखते हैं. राजनीतिज्ञ परिवार से सम्बन्ध रखने वाले सम्राट के पिता श्री शकुनी चौधरी सात बार विधायक और सांसद रह चुके हैं और माता पार्वती देवी तारापुर से विधायक रह चुकी हैं. विद्यालय जीवन के बाद सम्राट ने मदुरई कामराज विश्वविद्यालय से पी. एफ. सी. की पढाई की है.
विजय सिन्हा जैसे कई दिग्गज बीजेपी के पुराने नेता हैं. पर सम्राट चौधरी को बीजेपी में शामिल हुए अभी महज 6 साल ही पूरे हुए. वो पहले प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष बने और बाद में उपमुख्यमंत्री बनाए गए . विधानसभा चुनाव में इस बार तारापुर से चुनाव लड़ रहे है. इस बार तारापुर में उप-मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी (भाजपा) और राजद के अरुण कुमार के बीच मुख्य मुकाबला है. इस हॉट सीट पर बड़े बड़े राजनैतिक पीड़ितों का नजर है.
सियासी सफर
सम्राट चौधरी की सियासत की शुरुआत 1999 में तब हुई, जब लालू यादव ने उन्हें राबड़ी सरकार में कृषि मंत्री बनाया. उस वक्त वे न विधायक थे और न विधान परिषद सदस्य. बीजेपी के दिवंगत नेता सुशील मोदी के विरोध की वजह से मंत्री पद से हटना पड़ा. कम उम्र में ही लालू यादव ने उन्हें मंत्री बना दिया. लेकिन 2000 में खगड़िया जिले की परबत्ता सीट से आरजेडी के टिकट पर जीतकर पहली बार विधायक बन गए. 2010 में फिर उसी सीट से जीते. चौधरी ने चार बार विधानसभा का चुनाव लड़ा, जिसमें 2000 और 2010 में जीत हासिल हुई और 2005 और 2015 में हार हुई.
विजय सिन्हा
विजय सिन्हा भूमिहार समाज से आने वाले भाजपा के मजबूत नेता है जो अभी लखीसराय से पार्टी के विधायक है. एक अनुभवी सवर्ण नेता जो कई महत्वपूर्ण पद रहे हैं. विधानसभा अध्यक्ष से लेकर कई विभागों के मंत्री, विपक्ष के नेता जैसे पदों पर रहे है. वर्तमान में नीतीश कैबिनेट में उपमुख्यमंत्री है. लखीसराय के शिक्षक घर में जन्मे विजय सिन्हा लखीसराय से तीसरी बार विधायक चुने गए. बिहार मंत्रिमंडल में उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा की शैली आक्रामक मानी जाती है, जो NDA के लिए महत्वपूर्ण साबित हो रही है. अपनी बेबाक बयानबाजी से विजय सिन्हा एनडीए के प्रमुख चेहरे के रूप में उभरे हैं. उनकी तेजतर्रार छवि न केवल उन्हें सुर्खियों में रखती है, बल्कि अपराध और कानून-व्यवस्था जैसे मुद्दों पर विपक्ष के खिलाफ एनडीए की रणनीति को धार भी देती है.
बड़े दिग्गजों और मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर
इनमें स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय, शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी, पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन, ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार, नगर विकास मंत्री जिवेश मिश्रा, राजस्व मंत्री संजय सरावगी, पर्यावरण मंत्री सुनील कुमार, पंचायती राज मंत्री केदार प्रसाद गुप्ता और समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी जैसे नाम शामिल हैं. कई सीटों पर एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधी टक्कर है, जबकि कुछ क्षेत्रों में मुकाबला त्रिकोणीय होने के संकेत हैं.
तेजस्वी की किस्मत होगी कैद
विपक्ष की ओर से भी यह चरण अहम है. महागठबंधन के नेता और सीएम पद के प्रमुख दावेदार रोघोपुर सीट से उम्मीदवार तेजस्वी यादव, पूर्व मंत्री श्याम रजक, मोकामा सीट से वीणा देवी, शिवानी शुक्ला (मुन्ना शुक्ला की बेटी) और भोजपुरी सुपरस्टार खेसारी लाल यादव जैसे नाम इस चरण को दिलचस्प बना रहे हैं. यह न केवल राजनीतिक दिग्गजों की परीक्षा है बल्कि नए चेहरों के लिए भी अपनी पहचान बनाने का अवसर है.
बिहार विधान सभा चुनाव में यदि NDA की वापसी होती है तो ऐसा कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री होंगे. नरेंद्र मोदी से लेकर अमित शाह ने यह जरूर कहा कि नीतीश कुमार के लीडरशिप में ही चुनाव लड़ा जाएगा पर चुनाव के बाद मुख्यमंत्री को लेकर उनके बयान से संशय राजनैतिक गलियारों में बना हुआ है. ऐसे हालात में यदि भाजपा अपना मुख्यमंत्री बनना चाहेगी तो सबसे प्रमुख चेहरे में दो नाम सबसे चर्चा मे बने हुए हैं. यदि पिछड़े वर्ग के किसी चेहरे पर दांव लगाना होगा तो सबसे अधिक चर्चा सम्राट चौधरी को लेकर हैं. दूसरी तरफ बीजेपी के आधार वोट माने जाने वाले वर्ग में भूमिहारों में सबसे चर्चा विजय सिन्हा को लेकर गई जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी हैं.
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