बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव (फाइल फोटो)
पटना:
बिहार में आउटसोर्सिंग सेवा में कोटा सिस्टम लागू किया गया है. ये फ़ैसला राज्य कैबिनेट ने बुधवार को को लिया. गुरुवार को इस मामले पर श्रेय लेने की होड़ शुरू हो गयी. विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने दावा किया कि ये असल में उनका ही आइडिया था जिसे नीतीश कुमार लागू करने का काम कर रहे हैं. एक संवादाता सम्मेलन में तेजस्वी ने ये दावा ठोकते हुए कहा कि अगर किसी को विश्वास ना हो तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने पूछ सकता है. तेजस्वी ने कहा कि इससे पूर्व जब बिहार विकास मिशन में नियुक्ति चल रही थी तब भी उन्होंने सामाजिक स्थिति को ध्यान में रखकर नियुक्ति करने की सलाह दी थी जिसे माना भी गया. फ़िलहाल नीतीश कुमार के सात निश्चय के क्रियान्वयन में बिहार विकास मिशन की अहम भूमिका है.
राज्य कैबिनेट द्वारा पारित प्रस्ताव के अनुसार अब बिहार में किसी भी कम्पनी, जिसकी सेवा राज्य सरकार द्वारा ली जा रही है, उस कम्पनी को पचास प्रतिशत आरक्षण देना होगा. जिसमें अनुसूचित जाति के लोगों के लिए 16 प्रतिशत, अति पिछड़ा वर्ग के लिए 18 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग के लिए 12 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग की महिला के लिए तीन प्रतिशत और अनुसूचित जन जाति के लिए एक प्रतिशत आरक्षण होगा.
निश्चित रूप से नीतीश कुमार सरकार द्वारा उठाए गए क़दम पर हर दल क्रेडिट लेने में पीछे नहीं रहना चाहता. ख़ासकर राजद का आकलन है कि नीतीश ने पंचयतों में अति पिछड़ी जाति के लोगों को आरक्षण देकर राज्य की राजनीति में अपनी जड़ और मज़बूत की है.
इसलिए तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार से मांग है कि अगर केंद्र जातिगत आरक्षण का आंकड़ा सार्वजनिक नहीं करता तब ख़ुद का सर्वेक्षण कराकर ग़रीब लोगों के लिए अलग बजट बनाया जाय. लेकिन अब देखना यह होगा कि तेजस्वी के इन दावों पर आख़िरकार नीतीश कुमार की क्या प्रतिक्रिया होती है.
वहीं जेडीयू नेताओं का कहना है तेजस्वी का यह दावा कि नीतीश कुामर को उन्होंने ने ही आइडिया दिया था, हास्यास्पद है. तेजस्वी के दावे आजकल मुंगेरी लाल के हीसन सपने की तरह हो गए हैं क्योंकि वह कुछ भी सोच लेते हैं और दावा करने लगते हैं.
राज्य कैबिनेट द्वारा पारित प्रस्ताव के अनुसार अब बिहार में किसी भी कम्पनी, जिसकी सेवा राज्य सरकार द्वारा ली जा रही है, उस कम्पनी को पचास प्रतिशत आरक्षण देना होगा. जिसमें अनुसूचित जाति के लोगों के लिए 16 प्रतिशत, अति पिछड़ा वर्ग के लिए 18 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग के लिए 12 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग की महिला के लिए तीन प्रतिशत और अनुसूचित जन जाति के लिए एक प्रतिशत आरक्षण होगा.
निश्चित रूप से नीतीश कुमार सरकार द्वारा उठाए गए क़दम पर हर दल क्रेडिट लेने में पीछे नहीं रहना चाहता. ख़ासकर राजद का आकलन है कि नीतीश ने पंचयतों में अति पिछड़ी जाति के लोगों को आरक्षण देकर राज्य की राजनीति में अपनी जड़ और मज़बूत की है.
इसलिए तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार से मांग है कि अगर केंद्र जातिगत आरक्षण का आंकड़ा सार्वजनिक नहीं करता तब ख़ुद का सर्वेक्षण कराकर ग़रीब लोगों के लिए अलग बजट बनाया जाय. लेकिन अब देखना यह होगा कि तेजस्वी के इन दावों पर आख़िरकार नीतीश कुमार की क्या प्रतिक्रिया होती है.
वहीं जेडीयू नेताओं का कहना है तेजस्वी का यह दावा कि नीतीश कुामर को उन्होंने ने ही आइडिया दिया था, हास्यास्पद है. तेजस्वी के दावे आजकल मुंगेरी लाल के हीसन सपने की तरह हो गए हैं क्योंकि वह कुछ भी सोच लेते हैं और दावा करने लगते हैं.
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