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रणनीति या मजबूरी? तेजस्वी को CM फेस मानने पर कांग्रेस क्यों कर रही आनाकानी

सीट बंटवारा और नीतीश कुमार के सामने तेजस्वी के चेहरे का औपचारिक एलान कब होता है? सूत्रों में मुताबिक पहले 15 सितंबर तक सीट बंटवारा फाइनल करने की कोशिश थी. लेकिन अब इसमें एक से दो हफ़्ते और लग सकते हैं.

रणनीति या मजबूरी? तेजस्वी को CM फेस मानने पर कांग्रेस क्यों कर रही आनाकानी
  • इंडिया गठबंधन में बिहार का CM उम्मीदवार तेजस्वी यादव घोषित करने को लेकर अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है.
  • कांग्रेस का मानना है कि बिहार का मुख्यमंत्री बिहार की जनता ही चुनेगी और इस विषय पर स्पष्ट बयान से बच रही है.
  • सीट बंटवारे को लेकर गठबंधन में कई दल शामिल हैं, जिनके बीच सीटों का बंटवारा करने में जटिलता बनी हुई है.
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इंडिया गठबंधन में तेजस्वी यादव को बिहार का सीएम उम्मीदवार घोषित करने को लेकर सस्पेंस बरकरार है. सीएम उम्मीदवार के सवाल सीधा जवाब देने बचते हुए कांग्रेस के प्रभारी कृष्णा अल्लावरु ने बुधवार को दिल्ली में कहा कि बिहार का सीएम बिहार की जनता चुने तो बेहतर है और इसके बाद पटना में उन्होंने बयान दिया कि सीएम बिहार की जनता तय करेगी. पिछले विधानसभा चुनाव में औपचारिक तौर पर तेजस्वी को विपक्षी गठबंधन का सीएम उम्मीदवार घोषित किया गया था. लेकिन इस बार कांग्रेस खुल कर नहीं बोल रही. पिछले दिनों वोटर अधिकार यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने भी सीएम उम्मीदवार का सवाल टाल दिया था जबकि तेजस्वी उनके बगल में बैठे थे.

कांग्रेस की एक दुविधा यह भी


सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस चाहती है कि संतोषजनक सीट बंटवारे के बाद तेजस्वी यादव को सीएम उम्मीदवार घोषित किया जाए. हालांकि, उसे पता है कि सीएम उम्मीदवार के नाम पर आरजेडी को झुकाना मुश्किल है. विपक्षी गठबंधन को बहुमत मिला तो आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी होगी और ऐसे में तेजस्वी के सीएम बनने में कोई रुकावट नहीं आने वाली. कांग्रेस की एक दुविधा यह भी है कि तेजस्वी यादव को सीएम का चेहरा बनाने से गैर यादव और गैर मुस्लिम वोटरों के बीच बिहार में बदलाव लाने और इंडिया गठबंधन की सरकार बनाने का उत्साह घट सकता है.

सीट बंटवारे का पेंच सुलझाना आसान नहीं

देखना यही है कि सीट बंटवारा और नीतीश कुमार के सामने तेजस्वी के चेहरे का औपचारिक एलान कब होता है? सूत्रों में मुताबिक पहले 15 सितंबर तक सीट बंटवारा फाइनल करने की कोशिश थी. लेकिन अब इसमें एक से दो हफ़्ते और लग सकते हैं. विपक्षी इंडिया गठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस और वामदलों के साथ वीआईपी और जेएमएम, आरएलजेपी जैसे नए दल भी आए हैं. जाहिर है सीट बंटवारे का पेंच सुलझाना आसान नहीं है.

कांग्रेस का ध्यान मजबूत सीटों को हासिल करने पर

सीपीआईएमएल पिछले बार की उन्नीस की जगह तीस सीटें मांग रही है और वीआईपी भी करीब तीस सीटों के लिए दबाव बना रही है. हालांकि, आरजेडी और कांग्रेस की कोशिश है कि सीपीआई एमएल और वीआईपी समेत अन्य सभी छोटे दलों को मिलाकर पचास सीटों में समेटा जाए और बची हुई 193 सीटें आपस में दोनों बड़े दल बांट लें. आरजेडी कांग्रेस को 50–55 सीटें देना चाहती है. हालांकि, कांग्रेस का ध्यान मजबूत सीटों को हासिल करने पर है. साथ ही संख्या 60 तक ले जाने की कोशिश भी है.

मंगलवार को बिहार कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक में जब सीटों की संख्या का मुद्दा उठा तब मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रदेश के नेताओं से कहा कि आप मेहनत करेंगे तभी हम कुछ बात कर पाएंगे. इस दौरान राहुल गांधी भी मौजूद थे.

इस बीच कांग्रेस ने एलान किया है कि संभावित उम्मीदवारों को लेकर 19 सितंबर से दिल्ली में पार्टी की स्क्रीनिंग कमिटी की मीटिंग शुरू होगी. उससे पहले 16 सितंबर को पटना में प्रदेश चुनाव समिति की बैठक होगी. टिकट बंटवारे से अलग कांग्रेस आलाकमान ने बिहार में पार्टी नेताओं को निर्देश दिया है. लोगों से किए जाने वाले चुनावी वादों को घर–घर ले जाएं. इनमें महिलाओं को 2500 रुपए हर महीने, 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली और 25 लाख का स्वास्थ्य बीमा जैसे वादे हैं.

राहुल गांधी की बड़ी सभाओं की योजना बनाई गई जा रही है जिसमें वो इन वादों को एक–एक कर जारी करेंगे. इसके साथ ही सांसदों से कहा गया है कि अपने क्षेत्रों में उन लोगों के नाम वोटर लिस्ट में जुड़वाएं, जिनके नाम एसआईआर की प्रक्रिया में कट गए हैं. माना जा रहा है कि अक्टूबर की शुरुआत में बिहार चुनाव का एलान किया जा सकता है. एनडीए और इंडिया गठबंधन की मुख्य लड़ाई में प्रशांत किशोर की जनसुराज ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है.

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