
- पूर्व केंद्रीय मंत्री RK सिंह ने BJP नेताओं से PK के आरोपों पर स्पष्ट जवाब देने या इस्तीफा देने की मांग की है
- आरके सिंह ने पार्टी के अंदर षड्यंत्र का आरोप लगाया और सम्राट चौधरी व दिलीप जायसवाल को जवाबदेह ठहराया है
- उन्होंने बिहार में शराबबंदी खत्म करने की बात कही थी और पुलिस पर शराब की बिक्री में संलिप्तता का आरोप लगाया था
पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने भाजपा को एक बार फिर मुश्किल में डाल दिया है. उन्होंने प्रशांत किशोर के आरोपों पर पार्टी के नेताओं को स्पष्टीकरण देने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि सम्राट चौधरी और दिलीप जायसवाल को जवाब देना चाहिए और अगर उनके पास जवाब नहीं है तो इस्तीफा देना चाहिए. यह पहला मौका नहीं है जब अपने बयानों से आर के सिंह ने भारतीय जनता पार्टी को असहज किया हो. लोकसभा चुनाव हारने के बाद उन्होंने अपनी पार्टी के नेताओं पर षड्यंत्र के आरोप लगाए थे.
4 जून 2024 को जब लोकसभा चुनाव के परिणाम आए तो मोदी सरकार में मंत्री रहे पूर्व नौकरशाह आरके सिंह आरा से चुनाव हार चुके थे. हालांकि उनके समर्थक यह कहते रहे हैं कि आर के सिंह को राज्यसभा भेजकर केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं.
आरके सिंह ने पार्टी नेताओं पर ही षड्यंत्र का लगाया आरोप
20 फरवरी 2025 को आरके सिंह ने अपनी ही पार्टी के नेताओं पर षड्यंत्र का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि पवन सिंह को भाजपा नेताओं ने पैसे देकर चुनाव लड़वाया. बिहार के एक दो नेता हैं जो नहीं चाहते थे कि हम चुनाव जीत जाएं. जिन्होंने षडयंत्र किया, अगर उनको टिकट मिलेगा तो हम उन्हें चुनाव हरवाएंगे.

उनके बयान पर आरा से भारतीय जनता पार्टी के विधायक अमरेंद्र सिंह ने पलटवार करते हुए कहा था कि अगर उनके दिमाग में ऐसी कोई बात है तो उन्हें यह पार्टी के फॉरम पर रखना चाहिए ना कि सार्वजनिक रूप से. बड़हरा विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह ने यह तक कह दिया था कि आरके सिंह का मानसिक संतुलन बिगड़ गया है.
शराबबंदी के खिलाफ भी दे चुके हैं बयान
24 मार्च 2025 को उन्होंने कहा कि बिहार से शराबबंदी समाप्त की जानी चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि थाना अध्यक्ष समेत पुलिस ही शराब की बिक्री करवाती है इसमें नौजवान बर्बाद हो रहे हैं. भाजपा शराबबंदी के पक्ष में रही है. इसलिए उनका यह बयान भी खासा चर्चा में रहा था.

पीएम मोदी की सभा में भी नहीं पहुंचे थे आरके सिंह
30 मई को रोहतास के बिक्रमगंज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली में उनकी गैरमौजूदगी ने भी सुर्खियां बटोरी थी. 19 अगस्त को दिल्ली में आरके सिंह और पवन सिंह की मुलाकात हुई. वही पवन सिंह जिनको आरके सिंह अपनी हार का जिम्मेदार बताते रहे उनके साथ मुस्कुराते हुए तस्वीर खिंचाते दिखे. इस मुलाकात के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि दोनों नेता मिलकर शाहाबाद इलाके में नए राजनीतिक समीकरण बना सकते हैं. पवन सिंह ने अपने एक्स हैडल पर फोटो पोस्ट करते हुए लिखा था, "एक नए सोच के साथ नई मुलाकात."
क्या खत्म हो गई पवन सिंह से नाराजगी?
20 सितंबर को आरके सिंह आरा में चंद्रवशी सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे. यहां मीडिया से बात करते हुए उन्होंने पवन सिंह के प्रति सहानुभूति जताई. उन्होंने कहा कि पवन सिंह के साथ गलत हुआ. उन्होंने यह भी कहा कि पवन सिंह को भाजपा में वापस लौट आना चाहिए. तब यह साफ हो गया कि पवन सिंह और आरके सिंह के बीच की दूरियां समाप्त हो गई हैं.

22 सितंबर को उन्होंने अपनी ही पार्टी के नेताओं से स्पष्टीकरण या इस्तीफा देने की मांग कर एक बार फिर से पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं. सियासी हलकों में यह चर्चा तेज है कि आरके सिंह अब भाजपा के नेताओं से आरपार के मूड में हैं. अब यह देखना होगा कि उनका अगला बयान क्या आता है?
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