कांग्रेस नेता और पूर्व पार्टी प्रमुख राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा कि देश में लगाई गई 'एमरजेंसी' एक भूल थी. उन्होंने यह बात अमेरिका के कॉर्नेल विश्वविद्यालय (Cornell University) में प्रोफेसर और भारत के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु के साथ ऑनलाइन चर्चा में कही. आपातकाल (Emergency) पर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि वह एक गलती थी. बिलकुल, वह एक गलती थी. और मेरी दादी (इंदिरा गांधी) ने भी ऐसा कहा था.”
इस पर आरजेडी नेता शिवानंद तिवारी का बयान भी सामने आया है. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा है, 'आपात काल पर राहुल गांधी के बयान का स्वागत करता हूं. आज हालात आपातकाल से ज्यादा खराब हैं. राहुल जी के इस कथन से मैं इत्तफ़ाक़ रखता हूं. लोकतंत्र के लिए आवश्यक सभी संवैधानिक संस्थाओं की स्वायत्तता लगभग समाप्त कर दी गई हैं. सरकारी नीतियों का विरोध जोखिम का काम हो गया है.'
आपात काल पर राहुल गांधी के बयान का स्वागत करता हूँ. आज हालत आपातकाल से ज़्यादा ख़राब है, राहुल जी के इस कथन से में इत्तफ़ाक़ रखता हूँ. लोकतंत्र के लिए आवश्यक सभी संवैधानिक संस्थाओं की स्वायत्तता लगभग समाप्त कर दी गई हैं.
— Shivanand Tiwary (@shivanand_baba) March 3, 2021
सरकारी नीतियों का विरोध जोखिम का काम हो गया है.
इमरजेंसी एक भूल थी, ये मेरी दादी ने भी माना था : राहुल गांधी
साथ ही राहुल गांधी ने कहा कि आपातकाल में जो भी हुआ वह 'गलत' था और उसमें और आज की परिस्थिति में मूलभूत अंतर है. राहुल गांधी ने कहा कि एमरजेंसी के दौरान जब संवैधानिक अधिकार और नागरिक स्वतंत्रता पर अंकुश लगा दिया गया था और मीडिया पर भी कड़े प्रतिबंध लगाए गए थे और बहुत सारे विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया था, वह बुनियादी तौर पर आज की परिस्थितियों से अलग था. लेकिन कांग्रेस ने कभी भारत के संस्थागत ढांचे पर नियंत्रण का प्रयास नहीं किया और स्पष्ट तौर पर कहें तो कांग्रेस के पास ऐसी क्षमता ही नहीं है. कांग्रेस की यह शैली ही नहीं है कि वह उसे ऐसा करने की इजाजत दे.
अब हिन्दुस्तान को कतई परवाह नहीं - कहां पहुंच रही है राहुल गांधी बनाम जी-23 की लड़ाई
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