- कहा- हर साल अज्ञात बीमारी से बच्चे मर रहे, फिर भी नहीं निदान
- यह नीतीश जी का सुशासन है तो कुशासन की नई परिभाषा गढ़नी होगी
- बिहार और केंद्र सरकार को मृत बच्चों के माता-पिता से क्षमा मांगनी चाहिए
बिहार के मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) में अज्ञात बीमारी से सौ से अधिक बच्चों की मौत और इस पर सरकार के रवैये को लेकर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी (Shivanand Tivary) ने नीतीश कुमार (Nitish Kumar) व केंद्र सरकार को निशाना बनाया है. इस बीमारी, जिसे 'चमकी बुखार' कहा जा रहा है, का कारण और निदान न मिलने पर तिवारी ने नीतीश कुमार के 'सुशासन' पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने केंद्र और बिहार सरकार (Bihar Government) से कहा है कि वे मृत बच्चों के मां-बाप से क्षमा याचना करें.
आरजेडी के नेता शिवानंद तिवारी ने 'फेसबुक' पर एक पोस्ट में लिखा है कि 'सोमवार तक मुजफ्फरपुर में 133 बच्चों की मौत हो चुकी है. बताया जा रहा है कि इस जानलेवा रोग से पीड़ित अन्य 151 बच्चे अस्पताल में भर्ती हैं. यह रोग नहीं, महामारी है. आश्चर्य की बात है कि वर्षों से यह बीमारी बच्चों की जान ले रही है. लेकिन यह बीमारी है क्या, यह होती क्यों है और इसका इलाज क्या है, अभी तक इसकी जानकारी नहीं मिल पाई है.'
उन्होंने कहा है कि 'एक शोध के अनुसार इस अज्ञात रोग से मरने वाले प्राय: सभी बच्चे दलित और पिछड़े समाज के परिवारों के हैं. शायद इसलिए भी इस मामले में न तो बिहार सरकार और न ही भारत सरकार उतनी तत्पर और संवेदनशील दिखाई दे रही है.'
तिवारी ने कहा है कि 'मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी ने कहा है कि ''हर वर्ष बरसात के पहले यह जानलेवा बीमारी आती है और बच्चों की जान लेती है. अभी तक इस बीमारी का कारण पता नहीं चल पाया है.'' नीतीश जी इस बयान के जरिए क्या साबित करना चाहते हैं! तेरह वर्षों से बिहार के मुख्यमंत्री हैं. इस बीच प्रति वर्ष बरसात के पहले इस अज्ञात बीमारी से बच्चों के मरने का रिवाज सा बन गया है. आश्चर्य है कि इतना लंबा समय बीत जाने के बावजूद न तो इस बीमारी के कारण का पता लग पाया है और न ही इसके इलाज का. इसके बावजूद नीतीश जी के शासन को अगर कोई सुशासन कहता है तो कुशासन की नई परिभाषा गढ़नी होगी!'
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उन्होंने कहा है कि 'भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्री भी इस बीच मुजफ्फरपुर आकर औपचारिकता पूरा कर गए हैं. औपचारिकता हम इसलिए कह रहे हैं कि 2014 में भी यही महाशय स्वास्थ्य मंत्री थे और बच्चों की मौत का जायजा लेने उस वक्त भी मुजफ्फरपुर आए थे. उन्होंने उस समय वादा किया था कि मुजफ्फरपुर अस्पताल में 100 बिस्तरों वाली नई इकाई इस बीमारी से ग्रस्त बच्चों के लिए बनाई जाएगी तथा बेहतर इलाज के लिए और भी इंतजाम किए जाएंगे. पांच बरस के बाद पुन: इनका मुजफ्फरपुर आगमन हुआ और लगभग उन्हीं वादों को उन्होंने फिर दोहराया जो 2014 में किए थे. हमें इस बात पर भी आश्चर्य है कि नीतीश जी ने भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्री को उनके द्वारा किए गए वादों का स्मरण कराकर उसे पूरा कराने में कोई दिलचस्पी क्यों नहीं दिखाई.'
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शिवानंद तिवारी ने कहा है कि 'आज विज्ञान का जमाना है. आज के जमाने में अगर कोई यह कहता है कि वर्षों वर्ष से बच्चों की जान लेने वाली इस बीमारी के कारण और निदान की जानकारी नहीं मिल रही है तो उसको लायक और कुशल शासक तो नहीं ही माना जाएगा. दुनिया भर में महामारियों का सामना करने में एक-दूसरे के साथ सहयोग करने की परंपरा बनी हुई है. अगर अपने देश में इस बीमारी के कारण का पता नहीं चल पा रहा है तो दुनिया के अन्य मुल्कों से इस विषय में सहायता प्राप्त की जा सकती है. दुनिया भर की प्रयोगशालाओं के दरवाज़े इस तरह की प्राकृतिक आपदाओं का कारण का पता लगाने के लिए खुले रहते हैं.'
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आरजेडी नेता ने कहा है कि 'मुजफ्फरपुर में अब तक हुई सैकड़ों बच्चों की मौत के मामले में न सिर्फ बिहार सरकार बल्कि भारत सरकार भी आपराधिक लापरवाही और असंवेदनशीलता की दोषी है. इसलिए दोनों सरकारों को अब तक हुई लापरवाही के लिए सार्वजनिक रूप से खेद व्यक्त कर मृतक बच्चों के माता-पिता से क्षमा याचना करनी चाहिए. रोग के कारण और निदान की जानकारी के लिए इस क्षेत्र के सर्वोत्तम लोगों को मुजफ्फरपुर आमंत्रित किया जाना चाहिए ताकि भविष्य में गरीबों के बच्चों की इस महामारी से रक्षा हो सके.'
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