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This Article is From Sep 08, 2022

नीतीश कुमार के तंज़ पर प्रशांत किशोर ने किया पलटवार, फिर डिलीट कर दिया ट्वीट

नीतीश कुमार ने दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत करते हुए पीके के आकलन का मजाक उड़ाया. दरअसल, विपक्ष के पीएम पद के उम्मीदवार के रूप में उभरने की चर्चा के बीच नीतीश कुमार ने राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल और शरद पवार जैसे नेताओं से मुलाकात की है.

नीतीश कुमार के तंज़ पर प्रशांत किशोर ने किया पलटवार, फिर डिलीट कर दिया ट्वीट
प्रशांत ने ये तस्वीरें पोस्ट कीं, और फिर डिलीट कर दीं....

चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर पर नीतीश का तंज ' बीजेपी में जाने का मन होगा' पर पलटवार करते हुए प्रशांत किशोर ने आज बिना किसी टिप्पणी के साथ तस्वीरों का एक सेट पोस्ट किया. इसमें चार तस्वीरें थीं, जिसमें नीतीश कुमार पीएम मोदी के साथ मुस्कुराते हुए नजर आए थे. अब ये पोस्ट डिलीट हो गई है. नीतीश कुमार और प्रशांत किशोर के बीच ताने-उलहाने का दौर तब शुरू हुआ जब बिहार के सीएम ने हाल ही में बीजेपी का साथ छोड़ आरजेडी और अन्य दलों के साथ मिलकर सरकार बना ली. इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पीके ने कहा था कि नीतीश कुमार एक महीने पहले बीजेपी के साथ थे और अब विपक्ष के साथ हैं. यह कितना भरोसेमंद है, ये लोगों को तय करना है. मुझे नहीं लगता कि बिहार में नई व्यवस्था का राष्ट्र पर कोई प्रभाव पड़ेगा. मैं इसे राज्य विशेष के विकास के रूप में देखता हूं. मुझे नहीं लगता कि राष्ट्रीय राजनीति पर इसका कोई प्रभाव पड़ेगा, लेकिन कोई भी प्रयास करने के लिए स्वतंत्र है. प्रशांत किशोर की इस टिप्पणी को राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश कर रहे नीतीश कुमार का महत्व कम करने की कोशिश के तौर पर देखा गया, जो कि 2024 में पीएम मोदी को चुनौती दे सकते हैं.

नीतीश कुमार ने दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत करते हुए पीके के आकलन का मजाक उड़ाया. दरअसल, विपक्ष के पीएम पद के उम्मीदवार के रूप में उभरने की चर्चा के बीच नीतीश कुमार ने राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल और शरद पवार जैसे नेताओं से मुलाकात की है.

नीतीश कुमार ने कहा था कि वो मेरे साथ आए थे, बाद में मैंने सुझाव दिया कि दूसरी पार्टियों के लिए काम छोड़ दीजिए. लेकिन वो देश भर में ये काम करते रहे, क्योंकि उनका ये धंधा है, इसीलिए उनके बयान का कोई अर्थ नहीं है. उन्होंने कहा कि बिहार में भी उन्हें जो करना है करें.

उन्होंने कहा कि 2005 से बिहार में क्या काम हुआ है, इसके बारे में उन्हें कुछ नहीं पता है. बस सस्ती लोकप्रियता के लिए अनर्गल बात करते रहते हैं. और अगर वो कोई ऐसी-वैसी बात करते हैं तो शायद अंदर से बीजेपी में रहने या उनको मदद करने का मन होगा.

इससे पहले प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार को लेकर कहा था कि वो एक महीने पहले तो पक्ष में थे, अब विपक्ष की गोलबंदी कर रहे हैं. इसीलिए उनकी विश्वसनीयता कितनी है, ये जनता पर छोड़ देना चाहिए. बिहार में अभी जो नया राजनीतिक प्रयोग हुआ है, मुझे नहीं लगता कि इसका कोई देशव्यापी परिणाम होगा. महागठबंधन की सरकार बनने के बाद भी मैंने कहा था कि बिहार में राजनीतिक घटना सिर्फ राज्य तक सीमिति है, लेकिन देश की राजनीति में इससे कोई फर्क पड़ेगा ये मुझे नहीं लगता.

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