- प्रधानमंत्री मोदी ने नवादा में युवाओं को बेहतर शिक्षा और रोजगार के अवसर बिहार में ही मिलने का आश्वासन दिया
- मोदी ने कांग्रेस और राजद पर छठ पूजा का अपमान करने और बिहार की जनता को छलने का आरोप लगाया
- मोदी ने जंगलराज के दौर को कटु, क्रूर और भ्रष्ट शासनकाल बताते हुए बिहार के विकास के लिए एनडीए की जरूरत बताई
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नवादा में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए राजद और कांग्रेस पर तीखा हमला बोला और युवाओं को जंगलराज की याद दिलाई. उन्होंने कहा कि अब बिहार के युवाओं को बिहार में ही अच्छी शिक्षा और रोजगार के अवसर मिलेंगे. बिहार में सैकड़ों उद्योग लगेंगे, यहां बने मोबाइल और इलेक्ट्रिक गाड़ियां विदेशों में निर्यात होंगी. पीएम ने कहा कि आने वाले समय में बिहार का नौजवान बिहार में ही काम करेगा और बिहार का नाम रोशन करेगा, यह मोदी की गारंटी है.
पीएम मोदी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस और राजद की नजर में छठ पूजा एक “ड्रामा” है और वे छठी मैया का अपमान करते हैं. उन्होंने कहा कि मगध की मिट्टी ने भारत को अनेक महान संतानें दी हैं और अब समय आ गया है कि बिहार और मगध को उसका पुराना गौरव लौटाया जाए.

प्रधानमंत्री ने कहा, "चारे वाले सोचते हैं कि बिहार की जनता को चरा जाएंगे, लेकिन जनता इनके रग-रग की सच्चाई जानती है. आरजेडी हो या कांग्रेस, दोनों केवल दो परिवारों के इर्द-गिर्द सिमटी पार्टियां हैं, बिहार का सबसे भ्रष्ट परिवार और देश का दूसरा सबसे भ्रष्ट परिवार."
उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि इन दोनों परिवारों में अब भीतरघात शुरू हो गया है. एक जंगलराज के युवराज हैं, जिन्हें लगता है कि पदयात्रा ने उन्हें ही पैदल कर दिया. वहीं सीएम पद के उम्मीदवार को कांग्रेस ने हामी तक नहीं भरी. दोनों दल अब एक-दूसरे के बाल नोंचने में जुटे हैं. स्थिति यह है कि हर बूथ पर कांग्रेस के कार्यकर्ता राजद को हराने की ठान चुके हैं. 11 नवंबर को मतदान खत्म होते ही कांग्रेस और आरजेडी एक-दूसरे पर टूट पड़ेंगे.

पीएम मोदी ने कहा कि बिहार का विकास केवल एकजुट एनडीए ही कर सकता है. उन्होंने याद दिलाया कि कांग्रेस के एक प्रधानमंत्री ने कहा था कि 'दिल्ली से 1 रुपया भेजने पर जनता तक 15 पैसे पहुंचते हैं', जबकि अब मोदी सरकार में किसानों को केंद्र से जो ₹6000 मिलते हैं, वही सीधे उनके खाते में पहुंचते हैं — अब कोई करप्शन या कमीशन नहीं है.
उन्होंने जंगलराज की याद दिलाते हुए कहा कि उस दौर में लोगों के सपने चूर-चूर हो गए थे. राजद के शासनकाल में बिहार में 37 हजार अपहरण हुए थे. स्थिति यह थी कि जब किसी का वेतन बढ़ता था तो वह खुश नहीं होता था, बल्कि डर जाता था कि अब रंगदारी ज्यादा देनी पड़ेगी. कट्टा, क्रूरता, कटुता, कुशासन और करप्शन ही जंगलराज की पहचान थी.
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