
राजनीति में कोई संबंध स्थायी नहीं होता... न दूरी, न नजदीकी. 2013 में जहां एक तस्वीर ने गठबंधन तोड़ दिया था, अब 2025 में वही तस्वीर गठबंधन की मजबूती का संकेत बन रही है. बिहार की सियासत में यह नया समीकरण आगामी विधानसभा चुनाव से पहले कई राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकता है. जेडीयू प्रदेश कार्यालय में ऐसा पहली बार देखा गया जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बड़ी तस्वीर लगाई गई. यह तस्वीर बहुत कुछ बयां कर रही है.
नीतीश कुमार के साथ PM मोदी की बड़ी तस्वीर
अब साल 2025 है और राजनीतिक हालात पूरी तरह बदल चुके हैं. जदयू प्रदेश कार्यालय में ऐसा पहली बार देखा गया जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बड़ी तस्वीर लगाई गई. यह दृश्य बिहार की राजनीति में एक नया संदेश देता है कि अब प्रधानमंत्री मोदी, जदयू के लिए बेहद जरूरी हो गए हैं.

2013 की कहानी क्या है?
साल 2013 की बात है, जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की एक तस्वीर देशभर के अखबारों में प्रकाशित हुई थी. इस तस्वीर से नीतीश कुमार नाराज हो गए थे और उन्होंने अपने सरकारी आवास पर आयोजित डिनर पार्टी को रद्द कर दिया था. इसके बाद एनडीए और जेडीयू के रिश्तों में दरार आनी शुरू हुई, जो इतनी गहरी हो गई कि नीतीश कुमार ने एनडीए से अलग होने का फैसला कर लिया.
इस पूरे घटनाक्रम पर जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने विपक्ष को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि अगर विपक्ष को इतनी ही चिंता है तो वे भी अपनी ‘पारिवारिक कंपनी' का पोस्टर लगा लें, उन्हें कौन रोक रहा है. वहीं राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने जेडीयू पर तंज कसा और कहा कि अब जेडीयू का भी टिकट भाजपा और अमित शाह ही बांटेंगे.
भाजपा प्रवक्ता कुंतल कृष्ण ने दोनों दलों के गठबंधन को स्वाभाविक बताया और कहा कि भाजपा और नीतीश कुमार का साथ बिहार के विकास और सुशासन के लिए जरूरी है.
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