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This Article is From Jul 26, 2017

नीतीश कुमार ने खेला बड़ा सियासी दांव, ये हैं इस्‍तीफे के अहम कारण

बार-बार के संकेत के बाद भी तेजस्‍वी ने नहीं दिया इस्‍तीफा

नीतीश कुमार ने खेला बड़ा सियासी दांव, ये हैं इस्‍तीफे के अहम कारण
नीतीश कुमार और लालू यादव के बीच तेजस्वी को लेकर बढ़ती दूरियां बनीं गठबंधन टूटने का कारण.
  • आरजेडी नेताओं की दागी छवि के कारण प्रभावित हो रही थी साख
  • इस्‍तीफा देकर सियासी बढ़त लेने की चली रणनीति
  • अपनी साफ सुथरी छवि को किया और मजबूत
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नई दिल्ली: लालू के परिजनों के खिलाफ सीबीआई के छापों के कारण जेडीयू और आरजेडी के बीच के संबंधों में खटास आती जा रही थी. होटल के बदले भूखंड मामले में लालू के पुत्र तेजस्‍वी यादव को आरोपी बनाए जाने के बाद उनके इस्‍तीफे की मांग मुखरता से जेडीयू की ओर से उठाई जा रही थी. इससे पहले लालू के दूसरे पुत्र और राज्‍य सरकार में मंत्री तेजप्रताप यादव और लालू के अन्‍य परिजनों के खिलाफ भी सीबीआई और ईडी ने कार्रवाई की थी. जेडीयू की ओर से इस्‍तीफे देने की कई बार ताकीद के बावजूद लालू ने दोटूक लहजे में कह दिया था कि तेजस्‍वी इस्‍तीफा नहीं देंगे. ऐसे में नीतीश के पास मुख्‍यमंत्री पद से इस्‍तीफा देने के अलावा कोई विकल्‍प नहीं बचा था.

नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने एनडीए से अलग होकर राज्‍य में आरजेडी और कांग्रेस के साथ महागठबंधन किया था. इस महागठबंधन ने राज्‍य में विशाल जीत दर्ज की थी, लेकिन सरकार के अस्तित्‍व में आने के बाद से ही नीतीश परेशानी महसूस कर रहे थी. राजद सुप्रीमो लालू यादव के परिवार की दागी छवि के कारण उनकी अपनी साख प्रभावित हो रही थी. राज्‍य में नीतीश की छवि ईमानदार राजनेता की है. बीजेपी के साथ बिहार में उनकी पिछली सरकार के दौरान राज्‍य का काफी विकास हुआ था. नीतीश को सुशासन बाबू के नाम से पुकारा जाने लगा था. लालू परिवार के दामन पर लगे भ्रष्‍टाचार के आरोपों के कारण नीतीश की साथ सुथरी छवि प्रभावित हो रही थी.  

इस्‍तीफा देकर नीतीश कुमार ने बड़ा सियासी दांव चला है. राज्‍य का सियासी घटनाक्रम अगले कुछ दिनों में क्‍या करवट लेता है, यह सामने आना अभी बाकी है. लेकिन इस्‍तीफे के साहसिक फैसले को लेकर नीतीश ने अपनी सियासी स्थिति को और मजबूत कर लिया है. इस कदम से उनकी छवि एक ऐसे राजनेता की बनी है जो भ्रष्‍टाचार के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं करता.

इस इस्‍तीफे के जरिये नीतीश ने यह भी संकेत भी दिया है कि वे साहस भरे फैसले लेना जानते हैं. सत्‍ता में रहते हुए उन्‍होंने जिस तरह से गठबंधन के सहयोगी दल के नेताओं पर लगे भ्रष्‍टाचार के आरोपों को लेकर सख्‍त रुख अपनाया है, उससे उनकी साफ-सुथरी छवि और मजबूत हुई है.

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