इन दिनों सोशल मीडिया हो या अखबार; बाहर के राज्यों में फंसे प्रवासी बिहारियों के घर लौटने की अपील से भरी होती हैं, लेकिन बिहार में नीतीश कुमार सरकार ने पटना हाईकोर्ट में एक शपथ पत्र दायर कर साफ-साफ शब्दों में कह दिया हैं कि जब तक लॉकडाउन हैं तब तक इन्हें लाना संभव नहीं. प्रवासी बिहारियो को ना लाने में अपनी मजबूरी का कारण राज्य सरकार ने लॉकडाउन का कानून और इसका सख्ती से पालन करना बताया हैं.
हालांकि बिहार सरकार ने अपने जवाब में विस्तृत रूप से अपने अब तक उठाये हर कदम की चर्चा की हैं. जिसमें प्रवासी मजदूरों के लिए उनके खाते में एक हजार रुपए डालने के अलावा विभिन्न शहरों में उनके लिए चलाये जा रहे कैम्प की चर्चा की गयी हैं. लेकिन छात्रों के बारे में इसका कहना हैं कि जब कोटा के जिला अधिकारी ने उन्हें घर वापस जाने का पास निर्गत किया तो उसका विरोध केंद्र और राज्य सरकार से जताया.
फिलहाल राज्य सरकार के इस विरोध के बाद बृहस्पतिवार को लोकसभा अध्यक्ष और कोटा से सांसद ओम बिड़ला ने एक वीडियो जारी कर कहा कि जिन राज्य सरकारों ने कोरोना संकट के बीच कोटा में कोचिंग कर रहे विद्यार्थियों को गृह राज्य ले जाने की व्यवस्था की, उन्हें साधुवाद. जो बच्चे अब भी कोटा में हैं, उनके माता-पिता को आश्वस्त करता हूं कि स्थानीय अभिभावक के रूप में, मैं हर समय प्रत्येक बच्चे के साथ हूं.
जिन राज्य सरकारों ने कोरोना संकट के बीच कोटा में कोचिंग कर रहे विद्यार्थियों को गृह राज्य ले जाने की व्यवस्था की, उन्हें साधुवाद। जो बच्चे अब भी कोटा में हैं, उनके माता-पिता को आश्वस्त करता हूं कि स्थानीय अभिभावक के रूप में, मैं हर समय प्रत्येक बच्चे के साथ हूं।
— Om Birla (@ombirlakota) April 23, 2020
इस बीच पटना हाईकोर्ट की एक और खंडपीठ ने एक बार फिर से राज्य सरकार से जवाब तलब किया हैं. ये याचिका एक छात्रा के पिता के द्वारा दायर की गयी हैं. इस बीच कोटा से अपनी बेटी को लाने के आरोपी भाजपा विधायक अनिल सिंह के मामले में एक अधिकारी के बाद उनके सुरक्षा में तैनात दो पुलिसकर्मी को भी निलंबित किया गया है.
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