- नालंदा सीट पर सीएम नीतीश के करीबी और मंत्री श्रवण कुमार ने एक बार फिर से जीत हासिल की है.
- नालंदा विधानसभा क्षेत्र में JDU को कुर्मी, कुशवाहा, मुस्लिम और अनुसूचित जाति के मतदाताओं का समर्थन प्राप्त है.
- नालंदा सीट पर श्रवण कुमार ने कांग्रेस उम्मीदवार कौशलेंद्र कुमार उर्फ छोटे मुखिया को हराया है.
नालंदा विधानसभा सीट पर एनडीए को शानदार जीत मिली है. नीतीश कुमार के गृह जिले की इस सीट पर जेडीयू ने अपना उम्मीदवार उतारा था. जेडीयू के श्रवण कुमार का मुकाबला कांग्रेस के कौशलेंद्र कुमार उर्फ छोटे मुखिया से था. कौशलेंद्र कुमार को श्रवण कुमार ने 33008 वोटों के अंतर से हरा दिया है. श्रवण कुमार को चुनाव में 105432 वोट मिले हैं. उन्होंने लगातार 8वीं बार जीत हासिल की है.
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नालंदा में JDU-कांग्रेस के बीच था मुकाबला
नालंदा विधानसभा सीट पर मुकाबला दिलचस्प था. यहां की राजनीति नीतीश की विरासत और जातिगत समीकरणों से गहराई से जुड़ी हुई है. इस सीट पर मुख्य मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच था. श्रवण कुमार की साख फिर से दांव पर थी. नालंदा सीट पर पहले चरण में कुल 60.68 प्रतिशत मतदान हुआ. इस सीट पर मुख्य मुकाबला जेडीयू के श्रवण कुमार, कांग्रेस के कौशलेंद्र कुमार उर्फ छोटे मुखिया और जन सुराज की कुमारी पूनम सिन्हा के बीच था, जिसमें जेडीयू को सफलता हासिल हुई है.
मौजूदा विधायक श्रवण कुमार फर जीते
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले में स्थित नालंदा सीट जेडीयू का पारंपरिक गढ़ मानी जाती है. 2020 में यहां से श्रवण कुमार विधायक बने थे. श्रवण कुमार इस सीट से जीतते आ रहे हैं. इस क्षेत्र में उनकी मजबूत राजनीतिक पकड़ है.
- नालंदा विधानसभा सीट पर शुरुआत में कांग्रेस के श्यामसुंदर प्रसाद और निर्दलीय उम्मीदवार राम नरेश सिंह बारी-बारी से जीतते रहे.
- पहले चार चुनावों में श्यामसुंदर और राम नरेश ने दो-दो बार जीत हासिल की.
- लेकिन नीतीश कुमार का राजनीतिक दबदबा बढ़ते ही इस क्षेत्र की राजनीतिक दिशा बदल गई.
- नीतीश सरकार में सीनियर मंत्री और JDU उम्मीदवार श्रवण कुमार ने नालंदा सीट पर लगातार 8वीं बार जीत हासिल की है.
- साल 2015 के चुनाव में श्रवण कुमार ने बीजेपी उम्मीदवार को महज 3,000 से कम वोटों के अंतर से मात दी थी. उस समय जेडीयू महागठबंधन का हिस्सा थी.
- JDU और उसकी पूर्ववर्ती समता पार्टी ने 1996 से नालंदा लोकसभा सीट पर लगातार 9 चुनाव जीते.
- एनडीए गठबंधन ने नालंदा की 7 में से 6 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की
नालंदा सीट पर नीतीश कुमार का खास प्रभाव
बिहार विधानसभा की 243 विधानसभा सीटों में नालंदा सीट एक हाई प्रोफाइल सीट है, क्यों कि सीएम नीतीश का यहां अच्छा प्रभाव है. नालंदा विधानसभा क्षेत्र सिर्फ राजनीतिक ही नहीं बल्कि ऐतिहासिक तौर पर भी अहम है. यहां पर मौजूद प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है. वर्तमान नालंदा विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1977 में हुई थी. इस सीट पर जेडीयू का दबदवा पिछले एक दशक से बना हुआ है.
नालंदा जिला 1972 में पटना से अलग कर बनाया गया था. इसकी प्रशासनिक राजधानी बिहारशरीफ एक अलग विधानसभा सीट है. नालंदा सीट पर बिहार के सीएम नीतीश कुमार का खास प्रभाव है. यह विधानसभा क्षेत्र सामाजिक और राजनीतिक रूप से बहुत ही एक्टिव है. बिहार की राजनीति की दिशा तय करने में नालंदा सीट की भूमिका अहम मानी जाती है. नालंदा विधानसभा सीट की चर्चा एक बार फिर जोरों पर है.
नालंदा सीट पर किन जातियों की पकड़
नालंदा जिले में नीतीश कुमार की कुर्मी जाति का खास प्रभाव है. नीतीश कुमार का जन्म भले ही बख्तियारपुर में हुआ हो लेकिन पूरे जिले में उनकी मजबूत पकड़ है. उन्हें कुशवाहा और अति पिछड़ी जातियों का भी भरपूर समर्थन मिलता रहा है. इसके अलावा, मुस्लिम और अनुसूचित जाति (के वोटर्स भी उनको समर्थन करते रहे हैं.
नालंदा सीट पर वोटर्स की संख्या
नालंदा एक ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र है, जहां सभी वोटर्स ग्रामीण हैं. वोटर्स की संख्या इस क्षेत्र में लगातार बढ़ रही है. साल 2020 के विधानसभा चुनावों में यहां 3,10,070 वोटर्स थे, जो कि 2024 के लोकसभा चुनावों में बढ़कर 3,26,659 हो गए.
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