
- बिहार में पिछले चौबीस घंटे में आकाशीय बिजली गिरने से 19 लोगों की मौत हुई, जिसमें नालंदा जिले में सबसे अधिक पांच मौतें हुईं.
- CM नीतीश कुमार ने मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की और सावधानी बरतने का आग्रह किया.
- मानसून के दौरान जून और जुलाई में पूर्वी और पश्चिमी हवाओं के संपर्क से बिजली गिरने की घटनाएं रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच जाती हैं.
बिहार में पिछले 24 घंटों में आकाशीय बिजली की चपेट में आने से कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई. मुख्यमंत्री ऑफिस की ओर से जारी बयान के मुताबिक, सबसे ज्यादा पांच मौत नालंदा में हुईं, उसके बाद वैशाली (चार), बांका और पटना दो-दो लोगों की मौत हुई.
बयान में बताया गया कि इसके अलावा, शेखपुरा, नवादा, जहानाबाद, औरंगाबाद, जमुई और समस्तीपुर जिलों में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इन मौतों पर शोक व्यक्त करते हुए प्रत्येक मृतक के परिजन को चार-चार लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की और लोगों से खराब मौसम के दौरान पर्याप्त सावधानी बरतने का आग्रह किया.
CM नीतीश ने लोगों से की ये अपील
CM नीतीश ने लोगों से अपील की है कि सभी लोग खराब मौसम में पूरी सतर्कता बरतें. खराब मौसम होने पर वज्रपात से बचाव के लिये आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा समय-समय पर जारी किये गये सुझावों का अनुपालन करें. खराब मौसम में घरों में रहें और सुरक्षित रहें.
किस घटना को कहते हैं बिजली गिरना?
मौसम वैज्ञानिकों और भौतिकविदों के मुताबिक बिजली गिरने की घटनाएं दो तरह की होती हैं. पहली बादल और जमीन क बीच और दूसरी बादलों के बीच.इस दौरान हाई वोल्टेज बिजली का प्रवाह होता है.इसके साथ एक तेज चमक या अक्सर गरज-कड़क के साथ बिजली गिरती है.दुनिया में बिजली गिरने का औसत प्रति सेकंड 50 का है. देश में आकाशीय बिजली से होने वाली मौतें चिंता का कारण बनती जा रही हैं. विशेषज्ञ इस दिशा में कदम उठाने की अपील कर रहे हैं.
शोधकर्ताओं ने बताया कि जून और जुलाई में मानसूनी शुरू होने के साथ ही बिजली गिरने की घटनाएं रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच जाती हैं, जो मुख्य रूप से पूर्वी और पश्चिमी हवाओं के संपर्क के कारण होती है. संसद में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा साझा किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि बादल से जमीन पर बिजली गिरने से हर साल हजारों लोगों की जान चली जाती है और बिजली से होने वाली मौतों के मामले में मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के साथ बिहार शीर्ष तीन सबसे अधिक प्रभावित राज्यों में से एक है.
मैदानी इलाकों में तूफान और बिजली गिरने की संभावना
रिपोर्ट में कहा गया है कि मैदानी इलाकों में तूफान और बिजली गिरने की संभावना रहती है, क्योंकि उत्तर-पश्चिम भारत की गर्म, शुष्क हवा बंगाल की खाड़ी से निकलने वाली नम हवा के साथ मिलती है, जिससे गहरे संवहन बादलों के निर्माण के लिए अनुकूल परिस्थितियां बनती हैं.
मुआवजा पर कितना खर्च होता है?
अध्ययन के अनुसार, पूर्वी राज्य, जिसका अधिकांश भाग सिंधु-गंगा के मैदानी इलाकों में स्थित है, बिजली गिरने से मारे गए या घायल हुए लोगों के परिवारों को मुआवजा भुगतान पर हर साल 12-15 करोड़ रुपये खर्च करता है. अध्ययन में कहा गया है कि राज्य का आपदा बजट लगभग 300 करोड़ रुपये है, जिसमें अनुग्रह भुगतान पर एक महत्वपूर्ण राशि खर्च की गई है.
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