केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद और उनके परिवार के सदस्यों की कथित संलिप्तता वाले नौकरी के बदले जमीन घोटाले के सिलसिले में अपना अंतिम आरोपपत्र शुक्रवार को दाखिल कर दिया. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि सीबीआई द्वारा विशेष अदालत को सौंपी गई अंतिम रिपोर्ट में उन सभी रेलवे जोन को शामिल किया गया है, जहां लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों द्वारा कथित तौर पर जमीन लिए जाने के एवज में नौकरी दी गई थी.
उन्होंने कहा कि जांच पूरी होने पर सीबीआई ने विशेष न्यायाधीश (सांसद/विधायक मामले) के समक्ष 78 आरोपियों के खिलाफ अपना तीसरा और अंतिम आरोप पत्र दाखिल किया. आरोपियों में लालू प्रसाद, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटे तेजप्रताप यादव (जिनके खिलाफ पहली बार आरोप पत्र दाखिल किया गया है), बेटी हेमा यादव, पूर्व ओएसडी भोला यादव और राजद प्रमुख के एक पूर्व कर्मचारी सदस्य शामिल हैं.
सीबीआई ने आरोपियों के खिलाफ आपराधिक षडयंत्र के साथ-साथ धोखाधड़ी और जालसाजी से संबंधित भारतीय दंड संहिता की धाराएं तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधान भी लगाए हैं. उन्होंने बताया कि आरोपियों में 29 रेलवे अधिकारी, 37 अभ्यर्थी और छह अन्य निजी व्यक्ति शामिल हैं.
सीबीआई के प्रवक्ता ने कहा कि जांच के दौरान, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने पाया कि लालू प्रसाद ने रेलवे के अधिकारियों, अपने परिवार के सदस्यों और अन्य लोगों के साथ मिलकर एक आपराधिक साजिश को आगे बढ़ाते हुए, मौजूदा दिशानिर्देशों का पूर्ण उल्लंघन करते हुए भारतीय रेलवे के 11 जोनों में ‘ग्रुप डी' के पदों पर नियुक्ति की.
उन्होंने कहा कि यह कार्य उम्मीदवार द्वारा स्वयं या उसके परिवार के सदस्यों द्वारा भूमि हस्तांतरण के बदले में किया गया. इन पदों के लिए पात्र बनने के लिए उम्मीदवारों ने फर्जी शैक्षणिक प्रमाण पत्र भी प्रस्तुत किए. प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, “रेलवे के विभिन्न जोनों में नियुक्त किये गये अभ्यर्थी मुख्यतः उन जिलों से थे जो लंबे समय से तत्कालीन केन्द्रीय रेल मंत्री और उनके परिवार के सदस्यों के निर्वाचन क्षेत्र थे.”
पिछले साल 3 जुलाई को सीबीआई ने इस मामले में बिहार के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री और लालू प्रसाद के बेटे तेजस्वी यादव के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था. विशेष अदालत छह जुलाई को इस रिपोर्ट पर विचार करेगी.
इस संबंध में एक अधिकारी ने कहा, ‘‘जांच के दौरान, यह पाया गया कि आरोपियों ने रेलवे अधिकारियों के साथ साजिश रची और अपने या अपने करीबी रिश्तेदारों के नाम जमीन लेने के एवज में व्यक्तियों की भर्ती की. यह भूमि तत्कालीन सर्किल दर से कम कीमत पर और बाजार दर से भी बहुत कम कीमत पर हासिल की गई थी.''
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं